आखिर क्यों किसान को फेंकनी पड़ी सड़क पर 10 क्विंटल फूल गोभी, पढ़कर आप भी सोचने पर हो जाएंगे मजबूर

हाल ही में केंद्र सरकार 3 कृषि लाई किसानों सशक्त करने के लिए लेकिन उसका किसान ही विरोध कर रहे […]

cauliflower crops

हाल ही में केंद्र सरकार 3 कृषि लाई किसानों सशक्त करने के लिए लेकिन उसका किसान ही विरोध कर रहे हैं। तर्क दिया जा रहा है कि इससे APMC खत्म हो जाएंगी। किसानों का कहना है कि APMC में उन्हें सही उपज के दाम मिलते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से जो मामला सामने आया है उसे बाकी आंदोलनरत किसानों को एक बार जरुर पढ़ना चाहिए।

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किसान ने फेंकी सड़क पर फूलगोभी

मामला पीलीभीत का है। जहां एक किसान ने सड़क पर 10 क्विंटल फूलगोभी फेंक दी। दरअसल किसान को बाजार में फूलगोभी की 1 रुपये प्रति किलोग्राम भाव की पेशकश मिल रही थी। इसी बात से किसान नाराज होकर अपनी 10 क्विंटल फूलगोभी की उपज को सड़क पर फेंक आया। उसने जरूरतमंदों और गरीबों को सड़क पर फेंकी गोभी को मुफ्त में ले जाने दिया। पीलीभीत में कृषि उपज मंडी समिति यानि एपीएमसी के परिसर में लाइसेंस वाले व्यापारियों ने गोभी की कीमत सिर्फ 1 रुपए लगाई। इतनी कम कीमत सुनकर किसान परेशान हो गया। इसीलिए उसने ऐसा किया।

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जहानाबाद के किसान, मोहम्मद सलीम का कहना है कि व्यापारी ने उनकी फसल के लिए गोभी प्रति किलो 1 रुपये कीमत बताई थी। जो उनकी उपज को एपीएमसी परिसर में लाने के परिवहन लागत से भी कम थी। किसान का कहना है कि मेरे पास आधा एकड़ जमीन है, जहां मैंने फूलगोभी की खेती की थी और बीज, सिंचाई, उर्वरक आदि पर लगभग 8,000 रुपये खर्च किए थे।

मुझे फसल लाने के लिए वाहन का 4,000 रुपये का किराया देना पड़ा था। वर्तमान में फूलगोभी का खुदरा मूल्य 12 से 14 रुपये प्रति किलोग्राम है और मैं अपनी उपज के लिए कम से कम 8 रुपये प्रति किलोग्राम की उम्मीद कर रहा था। जब मुझे मात्र 1 रुपये प्रति किलोग्राम की पेशकश की गई, तो मेरे पास अपने सभी फूलगोभी को फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जिससे कि इसे वापस ले जाने में आने वाले परिवहन लागत को बचा सकूं।”

सुनिए किसान की दर्द भरी कहानी

किसान सलीम का कहना है कि उन्हें अब निजी ऋण ज्यादा ब्याज दर पर लेना होगा क्योंकि वाणिज्यिक बैंक गरीब किसानों को ऋण सुविधा देने को लेकर तैयार नहीं है। सलीम के परिवार में 60 साल की मां, छोटा भाई, पत्नी और दो स्कूल जाने वाले बच्चे हैं। लेकिन फसल की उचित कीमत न मिलने पर वो भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। अब घर चलाने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं।

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