वैज्ञानिकों ने बनाया बैटरी से चलने वाला ई-ट्रैक्टर, किसानों की लागत करेगा कम

3 से 6 महीनों में बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा ई-ट्रैक्टर

ई-ट्रैक्टर ( E tractor)

खेती में आने वाली लागत को कम कर किसानों को लाभ पहुंचाने की दिशा में देश के कृषि वैज्ञानिक नए प्रयोग और तकनीक विकसित करते रहे हैं। इसी कड़ी में हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने ई-ट्रैक्टर तैयार किया है। इस उपलब्धि के साथ ही CCSHAU ई-ट्रैक्टर (E-Tractor) पर रिसर्च करने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है।

डीज़ल की दिन-ब-दिन बढ़ती कीमतों और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए CCSHAU ने ये ई-ट्रैक्टर बनाया है। इस लेख में आगे आप जानेंगे कि कैसे ये ई-ट्रैक्टर किसानों की लागत को कम कर सकता है और अन्य डीज़ल ट्रैक्टरों की तुलना में क्यों ज़्यादा  फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।

किसानों की लागत होगी कम, पर्यावरण भी रहेगा स्वच्छ

इस ई-ट्रैक्‍टर को कृषि मशीनरी और फ़ार्म इंजीनियरिंग विभाग के एम.टेक के छात्र वेंकटेश शिंदे ने डॉ. मुकेश जैन की अगुवाई में विकसित किया है। डॉ. मुकेश जैन CCSHAU में कृषि मशीनरी और फ़ार्म इंजीनियरिंग विभाग में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, हिसार के निदेशक हैं। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर विकसित किए जाने पर ट्वीट कर वैज्ञानिकों की सराहना की।

उर्जा के बेहतरीन वैकल्पिक स्रोतों में से एक है ई-ट्रैक्टर

डॉ. मुकेश जैन ने किसान ऑफ इंडिया से खास बातचीत में इस ई-ट्रैक्टर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिन-ब-दिन पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में उर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर काम करना ज़रूरी है। इसी उद्देश्य के साथ इस ई-ट्रैक्टर को विकसित किया गया है। दो साल की कड़ी मेहनत और रिसर्च के बाद इस ई-ट्रैक्टर को डीज़ल और पेट्रोल के वैकल्पिक स्रोत के तौर पर तैयार किया गया।

डॉ. मुकेश जैन बताते हैं कि बैटरी से चलने वाली कई मशीनें बाज़ार में है, लेकिन बैटरी संचालित ट्रैक्टर किसी ने आज तक ईज़ाद नहीं किया था। मुकेश जैन और उनकी टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया।

ई-ट्रैक्टर ( E tractor)

रखरखाव और रिपेयर के खर्चे में बचत

कृषि मशीनरी और पॉवर इंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख डॉ. विजया रानी ने भी किसान ऑफ इंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि अन्य ट्रैक्टरों की तुलना में इस ई-ट्रैक्टर में घूमने वाले पुर्जो की संख्या बेहद कम है। संख्या कम होने की वजह से ट्रैक्टर में घर्षण नहीं होता। आम ट्रैक्टर में ये संख्या 300 तक होती है, जबकि इस ई-ट्रैक्टर में करीबन 30 है। इससे रखरखाव और रिपेयर का खर्चा बचता है।

ई-ट्रैक्टर ( E tractor)

इस्तेमाल करने में आसान

किसानों की लागत को कम कर उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा करने के साथ ही ये ई-ट्रैक्टर इस्तेमाल करने में भी आसान होगा। साथ ही, अन्य ट्रैक्टरों की तुलना में इस ट्रैक्टर में कंपन कम होगा, जिस वजह से किसानों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी नहीं होगी। पर्यावरण के लिहाज़ से भी ये ई-ट्रैक्टर, डीज़ल के ट्रैक्टर की तुलना में किफ़ायती है।

जानिए क्या है इस ई-ट्रैक्टर की खासियत

  • 16.2 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी से चलने वाला ये ई-ट्रैक्टर डीज़ल ट्रैक्टर की तुलना में किसानों को सस्ता पड़ेगा।
  • इसमें 12 किलोवाट (kW) का इलेक्ट्रिक ब्रशलेस डीसी मोटर है, जो 72 वोल्टेज और 2000 चक्कर प्रति मिनट पर संचालित होता है।
  • ये ई-ट्रैक्‍टर 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकता है।
  • 1.5 टन वजनी ट्रेलर के साथ ये ई-ट्रैक्‍टर 80 किलोमीटर तक का सफ़र तय कर सकता है।
  • इसकी बैटरी 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत के साथ 9 घंटे में फुल चार्ज हो जाएगी।
  • इसमें किसानों को फ़ास्ट चार्जिंग का भी विकल्प मिलेगा, जिससे ट्रैक्टर की बैटरी 4 घंटे में ही चार्ज हो जाएगी।
  • संचालन की लागत के हिसाब से ये ई-ट्रैक्‍टर, डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले 25.72 से 32 प्रतिशत तक सस्ता पड़ेगा।
  • इस ट्रैक्टर में कम्पन और शोर की बात करें तो इसमें 52% कम्पन और 21% शोर BIS कोड की अधिकतम सीमा से कम है। विजया रानी ने बताया कि जहां आम ट्रैक्टर का डेसीबल 90 के आसपास रहता है। इस ई-ट्रैक्टर का डेसीबल करीबन 74 के आसपास है।
  • ई-ट्रैक्‍टर में संचालक के नज़दीक ही इंजन न लगे होने की वजह से इसे किसान आसानी से चला सकते हैं। उन्हें इंजन की गर्माहट से राहत मिलेगी।
  • ट्रेक्टर में शानदार 77% का  ड्राबार पुल है, इसका मतलब है कि ट्रैक्टर 770 किलो खींचने में सक्षम है।

वैज्ञानिकों ने बनाया बैटरी से चलने वाला ई-ट्रैक्टर, किसानों की लागत करेगा कमकब तक किसानों को होगा उपलब्ध
प्रोटोटाइप मॉडल होने के कारण बैटरी से चलने वाले इस ट्रैक्टर की कीमत लगभग 6.5 लाख रुपये है। आम डीज़ल ट्रैक्टर की कीमत 4.50 लाख रुपये है। यदि निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है, तो बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर की कीमत डीज़ल ट्रैक्टर के बराबर होगी। डॉ.  मुकेश जैन ने बताया कि HAU ने विकास एग्रोटेक के साथ मिलकर इस ई-ट्रैक्टर को बनाया है।

अगर उनके पास इन ई-ट्रैक्टर को बनाने के 50 से 100 ऑर्डर आते हैं तो इसकी कीमत में कमी आएगी और डीज़ल ट्रैक्टर की कीमत में ही ये किसानों को उपलब्ध होगा। डॉ. जैन बताते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि अगर सरकार भी किसानों को सब्सिडी देगी तो इसके प्रोडक्शन में तेज़ी आएगी और ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को ये उपलब्ध होगा। ये ट्रैक्टर तीन से 6 महीनों में बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा।

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