गन्ना किसानों को कृषि वैज्ञानिकों का तोहफ़ा, शुगरकेन कटर प्लांटर से 11 गुना कम होगी श्रम लागत
कटर प्लांटर से समय की बचत, एक बार में 7 मजदूरों के बराबर काम
शुगरकेन कटर प्लांटर के इस्तेमाल से रोपण की लागत को लगभग 53 फ़ीसदी तक कम किया जा सकता है। इससे मज़दूरी पर खर्च होने वाले पैसों की बचत तो होगी ही साथ ही गन्ना उत्पादन क्षमता में भी सुधार होगा।
किसानों के लिए खेती को आसान बनाने को लेकर देश के कृषि वैज्ञानिक नए प्रयोग और तकनीक विकसित करते रहे हैं। आज के समय में खेती के विभिन्न चरणों में कृषि उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ा है। इसकी वजह है ये न सिर्फ़ खेती को आसान बनाते हैं, बल्कि फसल का उत्पादन सही समय पर होता है। जुताई, बुवाई, कटाई, सभी तरह के कृषि कार्यों में मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ऐसे ही गन्ना किसानों को सहूलियत पहुंचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने शुगरकेन कटर प्लांटर विकसित किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-गन्ना प्रजनन संस्थान (ICAR-SBI) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (ICAR-IISR) ने इसे मिलकर तैयार किया है।
शुगरकेन कटर प्लांटर को पारंपरिक रोपण के तरीकों की तुलना में 11 गुना कम श्रम लगेगा। कटर प्लांटर समय की बचत करते हुए एक बार में 7 मजदूरों के बराबर काम करेगा। इस प्लांटर के इस्तेमाल से रोपण की लागत को लगभग 53 फ़ीसदी तक कम किया जा सकता है।
गन्ना उत्पादन क्षमता में सुधार
ICAR-SBI की निदेशक डॉ. जी. हेमाप्रभा ने बताया कि कृषि भूमि में बीज बोने या सिंचाई के लिए एक लंबी संकरी नाली बनानी हो, एक या एक से अधिक कलियों के साथ गन्ने के तने के भाग को काटना हो, उर्वरक या खाद डालना हो, मिट्टी की सतह पर कीटनाशक घोल डालना हो, मिट्टी को नीचे बैठाना हो, इन सब कामों को आसानी से इस कटर प्लांटर की मदद से किया जा सकेगा।
इन कामों को करने में जहां कई मजदूरों की ज़रूरत पड़ती है और समय भी लगता है, वहीं ये कटर प्लांटर इन सभी कृषि कार्यों को कम समय और कम लागत में पूरा कर देगा। इससे गन्ना किसानों के मज़दूरी पर खर्च होने वाले पैसों की बचत तो होगी ही साथ ही गन्ना उत्पादन क्षमता में भी सुधार होगा।
भारी चिकनी मिट्टी में रोपण करने में सक्षम
शुगरकेन कटर प्लांटर को चौड़ी पंक्ति (4 फीट और 5 फीट) के लिए डिज़ाइन और विकसित किया गया है और ये देश के दक्षिणी राज्यों में भारी चिकनी मिट्टी में रोपण करने में सक्षम है। अब कोयंबटूर स्थित स्टार्टअप पिशोन टेक्नोलॉजीज़ इस उपकरण का प्रोडक्शन करेगी। पिशोन टेक्नोलॉजीज़ को इसका लाइसेंस दे दिया गया है।