Agricultural Microorganisms: भारत की कृषि क्रांति में सूक्ष्मजीवों की भूमिका की खोज

कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) जैसे बैक्टीरिया और कवक मिट्टी सुधारने, पैदावार बढ़ाने और टिकाऊ खेती को संभव बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

Agricultural Microorganisms कृषि सूक्ष्मजीव

सोचिए, मिट्टी के नीचे कुछ ऐसे मेहनती मजदूर दिन-रात काम कर रहे हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते। ये कोई कल्पित जीव नहीं, बल्कि असली सूक्ष्म जीव हैं – जैसे बैक्टीरिया, कवक और एक्टिनोमाइसेट्स, जो भारत की खेती को चुपचाप बदल रहे हैं। जब देश मिट्टी की खराब हालत, ज्यादा रसायनों के इस्तेमाल और मौसम की चुनौतियों से जूझ रहा है, तब ये छोटे जीव फ़सलों की पैदावार और टिकाऊ खेती में बड़ी मदद कर रहे हैं।

कृषि सूक्ष्मजीव क्या होते हैं? – किसानों के लिए आसान जानकारी

ये ऐसे छोटे जीव हैं जो मिट्टी में खुद-ब-खुद पाए जाते हैं। भले ही ये आंखों से न दिखें, पर खेती में इनका बहुत बड़ा रोल है। ये पौधों की बढ़त, मिट्टी की ताकत और फ़सल की सेहत को बेहतर बनाते हैं – वो भी बिना किसी केमिकल के!

खेती में सूक्ष्मजीव क्यों ज़रूरी हैं?

अच्छी मिट्टी वही है जिसमें जीवन हो – और यही जीवन ये सूक्ष्म जीव देते हैं। ये जीव:

  • मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व लाते हैं
  • पौधों को पानी और खनिज लेने में मदद करते हैं
  • फ़सलों को कीड़ों और बीमारियों से बचाते हैं
  • जड़ों की ग्रोथ के लिए मिट्टी की बनावट को बेहतर बनाते हैं

इन “अदृश्य किसानों” के सहारे रासायनिक खाद और कीटनाशक की ज़रूरत कम हो सकती है, जिससे ख़र्च भी घटेगा और पर्यावरण भी बचेगा।

किसानों के लिए उपयोगी कृषि सूक्ष्मजीवों की किस्में

  1. फ़ायदेमंद बैक्टीरिया

ये अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पौधों की जड़ों के पास रहकर उनकी मदद करते हैं:

  • राइजोबियम:

मूंग, उड़द, चना जैसी दालों की जड़ों में मिलता है। ये जड़ों पर छोटी गांठें बनाकर हवा की नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलता है जिसे पौधे आसानी से ले सकें। इससे यूरिया जैसी खाद की ज़रूरत कम हो जाती है।

  • एज़ोस्पिरिलम:

मक्का, धान, ज्वार जैसी फ़सलों में उपयोगी। ये जड़ों के पास रहकर उनकी ग्रोथ और नाइट्रोजन लेने की क्षमता बढ़ाता है।

  • एज़ोटोबैक्टर:

गेहूं, सब्ज़ी और गन्ने की फ़सलों के लिए अच्छा। यह बिना गांठ बनाए भी मिट्टी में नाइट्रोजन देता है।

  1. फ़ायदेमंद कवक

कवक भी मिट्टी की सेहत में अहम भूमिका निभाते हैं:

  • माइकोराइज़ा:

ये कवक पौधों की जड़ों से जुड़ते हैं और जड़ों का फैलाव बढ़ाते हैं। इससे पौधे ज्यादा फॉस्फोरस और पानी ले पाते हैं। सूखे और खराब मिट्टी वाले इलाकों में बहुत फ़ायदेमंद है।

  • ट्राइकोडर्मा:

यह एक रक्षक कवक है जो खराब कवकों और बीमारियों से लड़ता है। इसे इस्तेमाल करने से रासायनिक दवाओं की ज़रूरत घटती है और पौधे मजबूत बनते हैं।

  1. एक्टिनोमाइसेट्स और सायनोबैक्टीरिया
  • एक्टिनोमाइसेट्स:

ये जीव मिट्टी में बचे हुए पौधों और जैविक चीजों को तोड़ते हैं, जिससे मिट्टी की बनावट सुधरती है और पौधों को ज्यादा पोषण मिलता है।

  • सायनोबैक्टीरिया (नीला-हरा शैवाल):

ये चावल के खेतों में पाए जाते हैं और हवा की नाइट्रोजन को मिट्टी में मिला देते हैं। धान की खेती में ये प्राकृतिक सहायक होते हैं।

ये कृषि सूक्ष्मजीव साथ मिलकर कैसे काम करते हैं?

कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) अकेले काम नहीं करते। वे पौधों की जड़ों और एक-दूसरे के साथ साझेदारी बनाते हैं ताकि मिट्टी में संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर वातावरण बन सके। इससे होता है:

  • फ़सलें अधिक स्वस्थ होती हैं
  • उपज ज्यादा होती है
  • यूरिया और डीएपी जैसे महंगे इनपुट्स की ज़रूरत कम होती है
  • खेती अधिक टिकाऊ बनती है

वैज्ञानिक तरीके: सूक्ष्मजीव फ़सलों की बढ़त में कैसे मदद करते हैं?

नाइट्रोजन स्थिरीकरण:

कुछ बैक्टीरिया, विशेषकर राइजोबियम, दालों की जड़ों में गांठें बनाते हैं और वातावरण की नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलते हैं जिसे पौधे ले सकें। इससे यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है।

फॉस्फोरस घुलनशील बनाना:

फॉस्फोरस मिट्टी में अक्सर अघुलनशील रूप में होता है। बेसिलस और सूडोमोनास जैसे फॉस्फेट-घुलनशील बैक्टीरिया इसे पौधों के लिए उपलब्ध बनाते हैं, जिससे जड़ें अच्छी बनती हैं और उपज बढ़ती है।

माइकोराइज़ल कवक:

ये कवक जड़ों के नेटवर्क को फैलाते हैं, जिससे पौधों को पानी और पोषक तत्व लेने में मदद मिलती है, खासकर पोषण की कमी या सूखे वाले इलाकों में।

बीमारियों से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा:

ट्राइकोडर्मा कवक ऐसे एंजाइम बनाते हैं जो हानिकारक जीवों की कोशिका दीवारें तोड़ते हैं। ये पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की ज़रूरत घटती है।

भारत की देशी सूक्ष्मजीव तकनीकें

पारंपरिक तरीके:

गोबर, गोमूत्र और गुड़ से बना जीवामृत जैसे मिश्रण सूक्ष्मजीवों से भरपूर होते हैं जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।

सरकारी आधुनिक पहलें:

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) शोध और प्रशिक्षण के माध्यम से जैव उर्वरकों को बढ़ावा दे रहे हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मिट्टी की ताकत को आंकने के लिए सूक्ष्मजीवों से जुड़ी जानकारी भी देती है।

उदाहरण:

पंजाब में, किसानों का एक समूह कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) समूहों का सफलतापूर्वक उपयोग कर रसायनों से खराब हुई मिट्टी को ठीक कर रहा है।

तमिलनाडु में केले के बागानों में ट्राइकोडर्मा और सूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग करके मिट्टी से फैलने वाली बीमारियों को बिना रसायन के रोका जा रहा है।

पर्यावरणीय और आर्थिक असर

कम रासायनिक उपयोग:

कृषि सूक्ष्मजीवों (Agricultural Microorganisms) को जैव उर्वरक के रूप में उपयोग करने से कृत्रिम खाद और कीटनाशकों की ज़रूरत घटती है, जिससे ख़र्च भी कम होता है और पानी भी साफ रहता है।

बेहतर मृदा स्वास्थ्य:

कृषि सूक्ष्मजीवों (Agricultural Microorganisms) की सक्रियता से मिट्टी की बनावट, हवा-पानी पास करने की क्षमता और जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ती है, जिससे मिट्टी फिर से उपजाऊ बनती है।

कार्बन संग्रहण:

कुछ मिट्टी के जीव वातावरण से कार्बन को पकड़ने में मदद करते हैं, जिससे खेती जलवायु परिवर्तन से लड़ने का एक तरीका बन सकती है।

स्थिर पैदावार और जलवायु सहनशीलता:

जहां कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) ज़्यादा होते हैं, वहां के खेत सूखा, कीट और खारेपन जैसे तनावों को बेहतर झेलते हैं और उपज स्थिर बनी रहती है।

स्वीकृति में चुनौतियां

जागरूकता और शिक्षा:

कई किसान अभी भी नहीं जानते कि जैव उर्वरक कैसे लगाएं और उनका असर कैसे देखें।

गुणवत्ता की निगरानी:

बाज़ार में बिकने वाले जैव उर्वरकों की गुणवत्ता एक जैसी नहीं होती, जिससे उनका असर कम हो जाता है।

स्थानीय अनुकूलन:

हर मिट्टी, मौसम और फ़सल के लिए कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) समाधान अलग-अलग ढंग से तैयार करने पड़ते हैं।

नीतिगत सहयोग:

इन तरीकों को मुख्यधारा की खेती में लाने के लिए सरकारी स्तर पर और समर्थन की ज़रूरत है। 

आगे का रास्ता

कृषि सूक्ष्मजीवी खेती को मुख्यधारा में लाना:

जैविक, प्राकृतिक और पुनर्योजी खेती कार्यक्रमों से बायोफर्टिलाइज़र को जोड़ने से इनका उपयोग बढ़ाया जा सकता है।

जन-निजी भागीदारी:

एग्री-बायोटेक स्टार्टअप्स, विश्वविद्यालयों और सरकारी एजेंसियों के बीच सहयोग से नवाचार और विस्तार को बढ़ावा मिल सकता है।

किसान प्रशिक्षण:

प्रदर्शन, प्रशिक्षण कार्यक्रम और किसान क्षेत्रीय स्कूल विश्वास और समझ पैदा कर सकते हैं।

भविष्य के अनुसंधान

  • भारत की मिट्टी में पाए जाने वाले कृषि सूक्ष्मजीवों(Agricultural Microorganisms) का क्षेत्रवार नक्शा बनाना
  • फ़सलों और क्षेत्रों के अनुसार कृषि सूक्ष्मजीवों(Agricultural Microorganisms) के कृत्रिम मिश्रण तैयार करना

कृषि सूक्ष्मजीवों(Agricultural Microorganisms) का उपयोग कैसे करें: एक आसान चरण-दर-चरण गाइड

  1. राइजोबियम (दालों के लिए जैसे मूंग, उड़द, चना, सोयाबीन)

उद्देश्य: हवा की नाइट्रोजन को दालों के लिए उपयोगी रूप में बदलता है।

कैसे उपयोग करें (बीज उपचार):

  • 10 किलो बीज के लिए 1 पैकेट (200 ग्राम) राइजोबियम कल्चर लें।
  • थोड़ा गुड़ का पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं (स्टिकर की तरह)।
  • बीजों पर अच्छी तरह लेप करें और 30 मिनट छाया में सुखाएं।
  • सूखने के बाद तुरंत बुवाई करें।

कब करें: बुवाई से पहले।

  1. एजोस्पिरिलम और एजोटोबैक्टर (अनाज, सब्ज़ी, गन्ना आदि के लिए)

उद्देश्य: गेहूं, धान, मक्का और गन्ने जैसे गैर-दाल फ़सलों को नाइट्रोजन देना।

कैसे उपयोग करें (बीज या जड़ उपचार):

  • बीज उपचार: राइजोबियम की तरह ही करें।
  • जड़डु बोना (धान, सब्ज़ी जैसी रोपण फ़सलों के लिए):
  • 1–2 किलो कल्चर को 10–15 लीटर पानी में मिलाएं।
  • पौधों की जड़ों को 15–20 मिनट तक भिगोएं।

कब करें: बुवाई या रोपाई से पहले।

  1. फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (PSB)

उद्देश्य: मिट्टी में मौजूद फॉस्फोरस को पौधों के लिए उपलब्ध बनाता है।

कैसे उपयोग करें (मिट्टी या बीज उपचार):

  • मिट्टी में मिलाना: 2 किलो PSB को 100 किलो गोबर खाद/कम्पोस्ट में मिलाकर 1 एकड़ में डालें।
  • बीजउपचार: 10 किलोबीजकेलिए 200 ग्राम PSB (राइजोबियमजैसीविधि)।

कब करें: बुवाई या पौध रोपण के समय।

  1. माइकोराइज़ा (सूखी, कम फॉस्फोरस वाली मिट्टी और फलदार पेड़ों के लिए)

उद्देश्य: फॉस्फोरस अवशोषण और सूखा सहनशीलता बढ़ाता है।

कैसे उपयोग करें (मिट्टी या जड़ उपचार):

  • नर्सरी में: प्रत्येक पौधे की जड़ के पास 5–10 ग्राम माइकोराइज़ा मिट्टी में मिलाएं।
  • खेतमें: 2–5 किलो माइकोराइज़ा को गोबर खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर जड़ों के पास डालें।

कब करें: पौधा लगाने या नर्सरी चरण में।

  1. ट्राइकोडर्मा (बीमारी नियंत्रण और बीज की सेहत के लिए)

उद्देश्य: जड़ सड़न, मुरझाना, डैम्पिंग ऑफ जैसी फंगल बीमारियों से बचाव।

कैसे उपयोग करें:

  • बीज उपचार: प्रति किलो बीज में 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाएं।
  • मिट्टी में मिलाना: 2 किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो कम्पोस्ट में मिलाकर 1 एकड़ में डालें।
  • जड़डुबोना: 1 लीटर पानी में 10 ग्राम मिलाकर पौधों की जड़ों को भिगोएं।

कब करें: बुवाई से पहले या रोपाई के समय।

  1. नीला-हरा शैवाल (सायनो बैक्टीरिया – धान के खेतों के लिए)

उद्देश्य: चावल के लिए प्राकृतिक नाइट्रोजन स्रोत।

कैसे उपयोग करें:

  • धान की रोपाई के 7–10 दिनबाद, खड़े पानी में सूखे BGA फ्लेक्स छिड़कें।
  • 1 एकड़ में 5–10 किलो तक उपयोग करें।

कब करें: जब खेत में पानी खड़ा हो।

सूक्ष्म जीवों के प्रभावी उपयोग के लिए सामान्य सुझाव

  • सूक्ष्म जीव डालने के बाद तुरंत रासायनिक खाद/कीटनाशक न दें। 5–7 दिन का अंतर रखें ताकि वे सक्रिय हो सकें।
  • जैव उर्वरक को ठंडी, सूखी जगह पर रखें – धूप या गर्मी से दूर।
  • एक्सपायरी डेट से पहले उपयोग करें और हमेशा भरोसेमंद स्रोत सेखरीदें।
  • जैविक खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर उपयोग करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

स्वस्थ मिट्टी, खुशहाल फ़सल

कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) प्रकृति के चुपचाप काम करने वाले साथी हैं। भले ही ये दिखाई न दें, पर ये खेती की दिशा बदल सकते हैं – खासकर भारत में, जहाँ मिट्टी कमजोर हो रही है और लागत बढ़ रही है।

राइजोबियम, एजोस्पिरिलम, माइकोराइज़ा और ट्राइकोडर्मा जैसे फ़ायदेमंद कृषि सूक्ष्मजीवों (Agricultural Microorganisms) से किसान मिट्टी की ताकत बढ़ा सकते हैं, रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता घटा सकते हैं और फ़सलों को स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं। ये जीव न सिर्फ़ आपकी मिट्टी को पोषण देते हैं, बल्कि पौधों को रोगों से भी बचाते हैं और पोषक तत्वों को ज़्यादा उपलब्ध कराते हैं।

और सबसे बड़ी बात? कृषि सूक्ष्मजीवी (Agricultural Microorganisms) खेती सस्ती है, पर्यावरण के अनुकूल है और आपके खेत, फ़सल और परिवार – तीनों के लिए सुरक्षित है। चाहे आप दालें उगाते हों, अनाज, सब्ज़ी या फल – हर फ़सल के लिए एक सूक्ष्मजीव मददगार है। भारी रसायनों से प्रकृति से लड़ने के बजाय, आइए प्रकृति के साथ मिलकर काम करें। शुरुआत छोटी करें – बीज का उपचार करें, पौधों की जड़ें डुबोएं, या मिट्टी में सूक्ष्मजीव मिलाएं। जल्दी ही आप देखेंगे – जड़ों में बढ़त, पत्तों में चमक, कीट कम और पैदावार ज्यादा – वो भी मौसम की मार में भी।

याद रखें – अच्छी खेती ज़मीन के नीचे से शुरू होती है। जब आप मिट्टी के छोटे जीवों का ख्याल रखते हैं, तो वो आपको मजबूत पौधे और भरपूर फ़सल के रूप में बदले में आभार देते हैं।

खेती का भविष्य जैविक है – और शुरुआत का सही समय है – अभी।

ये भी पढ़ें : मंगल ग्रह पर खेती की संभावनाएं और चुनौतियां

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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