Palash: ‘पलाश ब्रांड’ ने बदली झारखंड की इन ग्रामीण महिलाओं की तकदीर, ब्रांड वैल्यू 1000 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान
पलाश ब्रांड के तहत 60 से ऊपर उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं
पलाश ब्रांड का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना है। उनके द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों को बाज़ार मुहैया करना, उचित दाम दिलवाना, ये सब पलाश ब्रांड के तहत किया जा रहा है।
झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविक मिशन (Jharkhand State Rural Livelihoods Mission, SRLM), राज्य की महिलाओं को आजीविका के कई साधन उपलब्ध कराकर मील का पत्थर साबित हो रहा है। महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने और कृषि आधारित उनके उत्पादों को एक बाज़ार प्रदान करने के लिए इस मिशन के तहत ‘पलाश ब्रांड’ बनाया गया है, जो ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित कर रहा है।
महिलाओं की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में सुधार
पलाश ब्रांड का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना है। उनके द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों को बाज़ार मुहैया करना, उचित दाम दिलवाना, ये सब पलाश ब्रांड के तहत किया जा रहा है। यह ब्रांड झारखंड की ग्रामीण महिलाओं के सभी उत्पादों को एक छत के नीचे लाकर, उन्हें अधिक लाभ अर्जित करने में मदद करता है। इसकी बदौलत महिलाएं अपने उत्पाद को सीधे पलाश मार्ट या डिस्प्ले काउंटर पर बेच सकती हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है। साथ ही पलाश के बैनर तले निर्मित स्वदेशी उत्पाद अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध हैं।

पहले के मुकाबले अधिक मुनाफ़ा
पहले ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को बाज़ार में बिचौलियों के ज़रिए बेचती थीं। इससे उनका लाभ अनुपात कम हो जाता था, लेकिन पलाश ब्रांड ने बिचौलियों को खत्म करके उन्हें सीधे अपने उत्पाद बाज़ार में बेचने का अवसर प्रदान किया है। इससे उन्हें अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिलती है। इस ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले सारे उत्पाद हॉलमार्क के साथ आते हैं, जिससे उत्पाद की विश्वसनीयता बढ़ती है। 2023 तक इस ब्रांड का बाज़ार मूल्य 1000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। ब्रांड का लोगो पलाश का फूल है, जो झारखंड का राजकीय फूल है। इस ब्रांड की टैग लाइन है, “ग्रामीण महिलाओं की श्रम शक्ति का सम्मान।” फिलहाल राज्य के अलग-अलग ब्लॉक में 42 पलाश मार्ट, 31 डिस्प्ले व बिक्री काउंटर हैं, जहां 60 से अधिक उत्पाद बेचे जा रहे हैं।

एक ही ब्रांड के तहत सारे काम
पलाश ब्रांड के तहत महिलाएं उत्पाद का निर्माण, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और बिक्री जैसे सारे काम कर रही हैं। इससे उनके उत्पाद भी लोकप्रिय हो रहे हैं। कोरोना काल में ‘पलाश मार्ट मोबाइल ऐप’ नाम से एक एप्लीकेशन भी लॉन्च किया गया। इसके ज़रिए ग्राहक घर बैठे सामान का ऑर्डर कर देते थे। उन्हें सामान की डिलीवरी हो जाती थी। इससे महिला उद्यमियों को उस मुश्किल समय में भी आमदनी की समस्या नहीं हुई।
इन सामानों की होती है बिक्री
पलाश ब्रांड के तहत अरहर दाल, आटा, सरसों तेल, रागी का आटा, मकई का आटा, जीराफूल चावल, हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर, शहद, इमली, चॉकलेट, लोबिया, त्रिफला, जामुन बीज पाउडर, लेमनग्रास, हैंडवॉश, अचार, सैनिटाइज़र, साबुन समेत 60 से भी अधिक उत्पाद बेचे जाते हैं।

साबुन बना रही महिलाएं
बोकारो ज़िले के कसमर और चास ब्लॉक की सखी मंडल की ग्रामीण महिलाएं पिछले कई महीनों से साबुन बनाने का काम कर रही हैं। इससे महीने की 3 से 4 हज़ार रुपये की आमदनी प्राप्त कर रही हैं। महिलाएं इस काम से खुश हैं और उनका कहना है कि साबुन बनाने के दौरान वह सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल रखती हैं। इन्हें पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में इनका बाज़ार और बढ़ेगा। पलाश ब्रांड ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में मदद की है।
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