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कभी सोचा है कि सिर्फ एक आइडिया आपकी जिंदगी बदल सकता है? कैसा लगेगा अगर बेरोजगारी की मुश्किलें आपको सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाए? आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जो है मेघालय के री-भोई जिले के रहने वाले हैं जिन्होंने सिर्फ अपने संकल्प और मेहनत के दम पर मशरूम स्पॉन उत्पादन (Mushroom spawn production) में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही अपने अपने गांव को भी एक नई पहचान दी है। ये हैं रेमंड बी. मार्वेन जिन्होंने बेरोजगारी को हराकर कृषि-उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाया और न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी नई संभावनाएं खोलीं।
रेमंड बी. मार्वेन ने कहां से की शुरुआत?
उम्समु गांव, मेघालय में एक साधारण परिवार में जन्मे रेमंड के सपने असाधारण थे। मार्वेन ने एम. फार्म की डिग्री ली हुई है। लेकिन इसके बाद भी अपने करियर को लेकर वो अनिश्चित थे। लेकिन एक जर्नी ने उनकी जिंदगी बदल दी। रेमंड उमियम में स्थित ICAR अनुसंधान परिसर गए, जहां उन्होंने एक महत्वपूर्ण समस्या को देखा। उन्होंने ये देखा की अच्छी गुणवत्ता वाले मशरूम स्पॉन (Mushroom spawn production) की भारी कमी है।
मशरूम खेती एक बढ़ता हुआ व्यवसाय था, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाले स्पॉन की गैरमौजूदगी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन रही थी। ऐसे में रेमंड को इस परेशानी को सॉल्व करने का आउइडिया आया। उनको एक नया विजन मिल गया था।
सपना साकार करने की ओर पहला कदम
रेमंड ने फार्मर्स फर्स्ट परियोजना के तहत ‘मशरूम स्पॉन उत्पादन (Mushroom spawn production) और उद्यमिता विकास’ पर सात दिवसीय प्रशिक्षण पूरा किया। उन्होंने ऊतक संवर्धन, सब्सट्रेट विकास और स्पॉन उत्पादन की तकनीकों को सीखा। इसके साथ ही उन्होंने कम लागत में अधिक उत्पादन कैसे किया जाए, इसका भी व्यावहारिक ज्ञान हासिल किया।
सीमित बजट में किया काम
रेमंड ने दो छोटे कमरों को एक लैब में में बदल दिया। उन्होंने महंगे उपकरणों की बजाय, प्रेशर कुकर और एक साधारण इनोक्यूलेशन हुड से काम शुरू किया। 500 मिली कल्चर मीडिया से शुरुआत की। लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। 91.3 फीसदी सफलता दर के साथ 23 मदर स्पॉन पैकेट बनाए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उन्होंने 230 कमार्शियल स्पॉन पैकेट का पहला बैच तैयार किया।
छोटे-छोटे कदमों से मिली बड़ी सफलता
आज के वक्त में मार्वेन हर हफ्ते 500 कमार्शियल स्पॉन पैकेट तैयार कर रहे हैं। लोकल मार्केट में उनकी जबरदस्त डिमांड है। 100 रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से उनकी बिक्री होती है। लेकिन सिर्फ यही नहीं स्पॉन उत्पादन के साथ-साथ उन्होंने ताजे मशरूम की खेती भी शुरू कर दी। वो अपने होमस्टे बिजनेस के लिए भी ताजे मशरूम उगाने लगे।
कम लागत, बड़ा मुनाफा
रेमंड ने अपने बिज़नेस में लगभग 90,000 रूपये से शुरुआती निवेश किया था। आज, उनकी मासिक आय ₹40,000 तक पहुंच चुकी है। लेकिन रेमंड का सपना यहीं खत्म नहीं होता। अब वे अपने स्पॉन उत्पादन केंद्र को उन्नत उपकरणों से लैस करना चाहते हैं। और उनका सबसे बड़ा टारगेट उम्समु गांव को मशरूम उत्पादन का हब बनाना।
गांव की समृद्धि की ओर बढ़ाते कदम
रेमंड की सफलता ने न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि उनके गांव में भी बदलाव लाया। उन्होंने अपने परिवार की ज़मीन पर सुअर पालन, मछली पालन, वर्मी-कंपोस्टिंग और सब्ज़ी की खेती को एकीकृत कृषि प्रणाली के रूप में विकसित किया। और उनका होमस्टे व्यवसाय एक और सफल उद्यम बन चुका है। अब उनके गांव के अन्य युवा भी कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में अवसर खोज रहे हैं।