‘धरती की बेटी’ दुलारो देवी ने जैविक खेती अपनाकर खेतों को अपने सपनों से सींचा

दुलारो देवी ने जैविक खेती अपनाकर न केवल परंपरागत खेती को नई दिशा दी, बल्कि महिलाओं को खेती में सशक्त बनाने की मिसाल प्रस्तुत की।

जैविक खेती Organic Farming

जब गांव की गलियों में महिलाएं सुबह पानी भरने जाती हैं या चौपाल पर बैठकर बातें करती हैं, तब शायद ही कोई ये सोच पाता है कि इन्हीं में से एक महिला कभी पूरे गांव की शान बन सकती है। लेकिन बरेली जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली दुलारो देवी ने इस धारणा को बदलकर रख दिया। खेतों की मिट्टी, जिन पर कभी सिर्फ पुरुषों का अधिकार माना जाता था, वहां उन्होंने अपने सपनों की खेती शुरू की और साबित किया कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो एक साधारण-सी महिला भी ‘धरती की बेटी’ बन सकती है।

दुलारो देवी ने न केवल परंपरागत खेती को एक नई दिशा दी, बल्कि जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर ये दिखाया कि खेती भी एक कला है, जिसे सच्ची लगन और मेहनत से सजाया और संवारा जा सकता है। उनकी ये यात्रा सिर्फ एक किसान बनने की नहीं, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए एक प्रेरक मिसाल बनने की है।

एक छोटे से गांव में रहने वाली दुलारो देवी ने साबित कर दिया है कि महिलाएं भी खेती-बाड़ी के क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। पारंपरिक खेती से शुरुआत करने वाली दुलारो देवी ने जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने ये दिखा दिया है कि अगर कोई महिला खेती के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहे, तो वह न केवल अपनी ज़मीन को उपजाऊ बना सकती है, बल्कि एक सफल किसान भी बन सकती है।

एक महिला किसान की प्रेरक यात्रा (Inspiring journey of a woman farmer)

दुलारो देवी का परिवार वर्षों से खेती से जुड़ा रहा है। शुरू में वे अपने पति कमलेश कुमार जी के साथ ही खेती में सहयोग करती थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी खुद की ज़मीन पर जैविक खेती (Organic Farming) करना शुरू किया। उनके पास अपनी अलग ज़मीन है, जहां वे गन्ने के साथ-साथ अन्य सब्जियों की भी खेती करती हैं।

ये फैसला उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने बताया, “मैंने अपने पति के साथ खेत में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे खेती के हर पहलू को सीखा। इसके बाद, मैंने अपनी ज़मीन पर जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत की और आज मेरी फ़सल भी बाज़ार में अच्छी कीमत पर बिकती है।”

जैविक खेती की तकनीक: मेहनत और धैर्य का मिश्रण (Organic Farming Techniques: A Combination of Hard Work and Patience)

दुलारो देवी की खेती में सबसे बड़ी चुनौती थी, रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक तरीकों को अपनाना। उन्होंने घर के बने खाद, गोबर और अन्य जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना शुरू किया। 

उनका कहना है, “शुरू में ये थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि जैविक खेती (Organic Farming) में समय और मेहनत ज़्यादा लगती है। लेकिन जब पहली बार जैविक गन्ने की फ़सल हुई और उसकी मिठास और गुणवत्ता को देखकर बाज़ार में लोग सराहना करने लगे, तो हमें लगा कि हमारा प्रयास सही दिशा में जा रहा है।”

लागत और मुनाफा: एक सफल महिला किसान की कहानी (Costs and profits: The story of a successful woman farmer)

दुलारो देवी की खेती में सालाना लागत 1.5 से 2 लाख रुपये तक होती है। उन्होंने बताया कि जैविक खाद और कीटनाशकों के कारण उनकी लागत थोड़ी बढ़ जाती है, लेकिन इसके बावजूद उनका मुनाफा लगभग 5-6 लाख रुपये तक हो जाता है। वे अपने खेत में गन्ने के साथ-साथ सब्जियों और फलों की भी खेती करती हैं, जिससे उन्हें सालभर अच्छी आय प्राप्त होती है।

नई तकनीकों का सीमित प्रयोग (Limited use of new technologies) 

दुलारो देवी की खेती में अभी आधुनिक मशीनों का प्रयोग नहीं हो पाया है। उनके अनुसार, “हमारे गांव में आधुनिक मशीनें नहीं हैं और उन्हें खरीदना भी हमारे बजट में नहीं है। साथ ही, हम चाहते हैं कि गांव के मजदूरों को भी काम मिले, ताकि उनके परिवारों को सहारा मिल सके।” उनका मानना है कि मशीनें जहां समय बचाती हैं, वहीं ये भी ज़रूरी है कि मजदूरों को काम मिले, ताकि उनका जीवनयापन सही तरीके से हो सके।

सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)

दुलारो देवी को किसान सम्मान योजना का लाभ मिला है, जिससे उन्हें खेती में आने वाले खर्च को कम करने में मदद मिलती है। इस योजना से उन्हें आर्थिक स्थिरता भी मिलती है, जिससे वे अपने खेतों को और भी बेहतर तरीके से संचालित कर पा रही हैं। 

निष्कर्ष (Conclusion)

दुलारो देवी की ये कहानी हर उस महिला किसान के लिए प्रेरणा है, जो खेती के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं। उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से ये साबित कर दिया है कि महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में सफल हो सकती हैं।  

आज, दुलारो देवी न केवल अपने परिवार के लिए एक सहारा हैं, बल्कि समाज के अन्य महिलाओं के लिए भी एक मिसाल हैं। उनकी ये यात्रा हमें सिखाती है कि अगर कोई महिला ठान ले, तो वह किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती है। तो आइए, इस प्रेरक कहानी से सीखते हुए, हम भी महिलाओं को खेती और अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने का मौका दें, ताकि वे भी समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकें। 

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