प्राकृतिक खेती के लाभ और नवाचार: जल संरक्षण से सोलर ऊर्जा तक की कहानी

योगेश जैन का फार्म प्राकृतिक खेती का एक सफल मॉडल है। उन्होंने रसायन मुक्त खेती को अपनाया है, जिससे प्राकृतिक खेती के लाभ के रूप में फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

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प्रस्तावना

योगेश जैन, एक अनुभवी और नवाचारी किसान हैं, जो पिछले 12-13 वर्षों से प्राकृतिक और जैविक खेती के क्षेत्र में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। 15 एकड़ भूमि पर फैला उनका खेत न केवल विविध फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है, बल्कि जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, और जैविक खाद उत्पादन के क्षेत्र में उनके नवाचारों के लिए भी। किसान ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने खेती के अनुभव, नवाचार, और प्राकृतिक खेती के लाभ पर अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया।

फसल विविधता और प्राकृतिक खेती: योगेश जैन का सफ़ल मॉडल

योगेश जैन का फार्म प्राकृतिक खेती के एक सफल मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया है। उन्होंने रसायन और कीटनाशक से मुक्त खेती को अपनाया है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता और फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। उनके फार्म पर आंवला, नींबू, बेल जैसे फलों के साथ-साथ हल्दी, जीरा, मेथी, और धनिया जैसे मसालों की जैविक खेती होती है।
प्राकृतिक खेती के बारे में बात करते हुए योगेश कहते हैं-

“प्राकृतिक खेती के लाभ न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं, बल्कि मिट्टी की सेहत को भी लंबे समय तक बनाए रखते हैं। ये टिकाऊ खेती का सबसे अच्छा तरीका है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।”

जल संरक्षण और सोलर ऊर्जा के माध्यम से खेती का आधुनिकीकरण

योगेश जैन का फार्म जल संरक्षण और सोलर ऊर्जा के माध्यम से कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में एक अच्छा उदाहरण है। उन्होंने खेत तालाबों का निर्माण किया है, जिससे उनके खेत का जल स्तर बढ़ा है, और सूखे के समय भी उनकी फसलों को पानी की कमी नहीं होती है।

साथ ही, सोलर पंप और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करके वे पानी और बिजली की बचत कर रहे हैं। इसके माध्यम से प्राकृतिक खेती के लाभ को और भी बढ़ाया गया है, क्योंकि ये संसाधन संरक्षण और उत्पादन को और अधिक कुशल बनाते हैं। योगेश कहते हैं- “हमारे फार्म में इन तकनीकों ने हमें जल संकट से निपटने और फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद की है।”

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देसी गायों की ब्रीडिंग: जैविक खाद के लिए महत्वपूर्ण कदम

योगेश जैन का फार्म सिर्फ फसल उत्पादन तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने देसी गायों की ब्रीडिंग के लिए एक केंद्र भी स्थापित किया है, जहां देसी नस्लों की गायों का पालन और प्रजनन किया जाता है। इसका मक़सद न केवल दूध उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि गायों से मिलने वाले गोबर और गोमूत्र का उपयोग प्राकृतिक खाद बनाने में भी करना है।
देसी गायों से मिलने वाली जैविक खाद भी प्राकृतिक खेती के लाभ का हिस्सा है, क्योंकि ये मिट्टी की संरचना और पौधों के पोषण को बढ़ाती है। योगेश बताते हैं कि “हमारे ब्रीडिंग सेंटर में मुख्य रूप से गिर और थारपारकर नस्ल की गायों का पालन किया जाता है। ये खाद हमारे फार्म के लिए बेहद लाभकारी साबित हुई है।”

बासमती चावल की खेती: किसानों की आय बढ़ाने का  प्रयास

2018 में, योगेश जैन ने बासमती चावल की खेती भी शुरू की थी। पहले, किसान सामान्य धान की खेती करते थे, जिससे उन्हें अपेक्षाकृत कम मुनाफा होता था। योगेश ने उन्हें बासमती की खेती के फायदे बताए और प्राकृतिक खेती के लाभ से अवगत कराया।
अब उनके क्षेत्र में कई किसान बासमती चावल की खेती कर रहे हैं और उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहा, “बासमती चावल की खेती से किसानों को अच्छा मूल्य मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।”

2018 में, योगेश जैन ने बासमती चावल की खेती भी शुरु की थी। पहले, किसान सामान्य धान की खेती करते थे, जिससे उन्हें अपेक्षाकृत कम मुनाफा होता था। योगेश ने उन्हें बासमती की खेती के फायदे बताए और इससे जुड़े आर्थिक लाभों की जानकारी दी। 

अब उनके क्षेत्र में कई किसान बासमती चावल की खेती कर रहे हैं और उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहा-

“बासमती चावल की खेती ने किसानों की आय में बढ़ोतरी की है। पहले किसान अपने धान को सस्ते दाम पर बेचते थे, लेकिन अब उन्हें बासमती चावल का अच्छा मूल्य मिल रहा है।” 

मसालों की जैविक खेती में नवाचार: हल्दी से लेकर धनिया तक

योगेश जैन ने मसालों की खेती में भी नए प्रयोग किए हैं। वे अपने फार्म पर हल्दी, जीरा, मेथी, और धनिया की जैविक खेती करते हैं। उनकी हल्दी की खेती विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है, क्योंकि ये प्राकृतिक खेती के लाभ का सजीव उदाहरण है।
वे बताते हैं-

“हमारी हल्दी की खेती जैविक तरीके से की जाती है, जिससे इसका स्वाद और गुण उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। इसके साथ-साथ अन्य मसालों की खेती में भी हमें बहुत अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।”

सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए प्राकृतिक खेती

योगेश जैन ने अपने खेत में सोलर पंप और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों को लागू करने के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ का फायदा उठाने में मदद मिलती है, क्योंकि वे तकनीकी सहायता और सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही, उन्हें उनकी उत्कृष्ट खेती के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जो उनके नवाचारों और प्राकृतिक खेती में योगदान को प्रमाणित करता है।

किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: सामुदायिक जुड़ाव का उदाहरण

योगेश जैन ने अपने समुदाय के किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए अपने फार्म पर हर साल दो बार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इन कार्यक्रमों में किसान जल संरक्षण, जैविक खाद, और सोलर ऊर्जा के उपयोग के बारे में सीखते हैं। वो कहते हैं-

“हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती के लाभ को समझें और इसे अपनाएं, जिससे उनकी लागत कम हो और उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हो सके।”

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खेती का भविष्य: योगेश जैन का टिकाऊ और नवाचारी दृष्टिकोण

योगेश जैन का मानना है कि खेती का भविष्य प्राकृतिक खेती के लाभ में निहित है। वे कहते हैं, “खेती में नवाचार और टिकाऊपन को अपनाने से न केवल किसानों को लाभ होता है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है। जैविक खेती की बढ़ती मांग को देखते हुए, ये भविष्य में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगी।”

योगेश जैन: नवाचार और स्थिरता का प्रतीक

योगेश जैन की यात्रा इस बात का सबूत है कि कैसे एक किसान अपने क्षेत्र और समाज के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग और किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से, योगेश जैन ने न केवल अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाई है, बल्कि दूसरे किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ का मार्ग भी दिखाया है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

1 thought on “प्राकृतिक खेती के लाभ और नवाचार: जल संरक्षण से सोलर ऊर्जा तक की कहानी”

  1. Krishna Kumar Shrivastava

    In the backward area of Bundel Khand, which was mostly known for its Law and Order problem, Shri Yogesh Jain became a light for the marginal farmers of the area. Traditional profession of Shri Yogesh Jain’s family is not the agriculture but they are from reputed businessmen. However, the kind-hearted Shri Yogesh Jain took task of growing agriculture, plantation and cows husbandry in a piece of uneven and unproductive land, and by his tirelessly efforts, he proved that agriculture can also be a good means of livelihood. In his farmland, known as Shyam Kripa, he is not only producing agricultural products and cows milk but also fully utilising the cow’s dung as natural fertilizer and gobar gas.

    The efforts made by Shri Yogesh Jain are examples for other farmers of the country.

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