क्या आपको पता है केंचुए खेती में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। अगर देसी केंचुए नहीं होते तो शायद हरे-भरे जंगल और लहलहाते खेत भी नहीं होते। आज के समय में जब हानिकारक केमिकल वाली खेती की बजाय प्राकृतिक खेती पर ज़ोर दिया जा रहा है, देसी केंचुए की भूमिका और बढ़ जाती है। यह कुदरती तरीके से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके इसे अधिक उपजाऊ बनाते हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि वर्मीकंपोस्ट तैयार करने वाले जीव भी केंचुए होते हैं, लेकिन वास्तव में वह देसी केंचुए न होकर अफ्रीकन केंचुए हैं, जिन्हें आयसेनिया फिटिडा कहा जाता है।
देसी केंचुओं की अहमियत
यदि आप पौष्टिक अनाज के लिए कुदरती तरीके से खेती करने की सोच रहे हैं, तो इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि खेत में मिट्टी को अधिक उपजाऊ और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए देसी केंचुए बहुत ज़रूरी हैं। अक्सर लोग वर्मींकंपोस्ट को केंचुए वाली खाद कहते हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला जीव देसी केंचुआ न होकर अफ्रीकन अर्थवॉर्म (African Earthworm) यानी आयसेनिया फिटिडा (Eisenia Fetida) होता है। केंचुए को अंग्रेज़ी में अर्थवॉर्म कहा जाता है। वैसे तो ऑर्गेनिक खेती में वर्मीकंपोस्ट का खूब इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन कृषि जानकार देसी केंचुए को ज़्यादा फायदेमंद बताते है।
कैसे बढ़ाएं केंचुए की संख्या
महाराष्ट्र के कृषि विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित सुभाष पालेकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, पानी, दलहन, आटा और जंगल की मिट्टी से बने जीवामृत के इस्तेमाल से ज़मीन में केंचुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

देसी केंचुआ बनाम अफ्रीकन केंचुआ (आयसेनिया फिटिडा)
देसी केंचुआ और आयसेनिया फिटिडा अलग-अलग होते हैं। कृषि जानकारों के मुताबिक, देसी केंचुआ में 16 लक्षण होते हैं, जबकि आयसे, निया फिटिडा में इनमें से एक भी लक्षण नहीं होते हैं। देसी केंचुआ मिट्टी खाता है, जबकि आयसेनिया फिटिडा गोबर खाता है। देसी केंचुआ ज़मीन में अनगिनत छेद करता है जिससे बारिश का पानी ज़मीन के अंदर जमा होता जाता है। इसके विपरीत, आयसेनिया फिटिडा ज़मीन के ऊपर ही अपना काम करता है। यदि खाना नहीं मिलता है तो देसी केंचुआ खेत से भागता नहीं है, बल्कि ज़मीन के अंदर चला जाता है, जबकि आयसेनिया फिटिडा खाना न मिलने पर दूसरे खेत में चला जाएगा।
देसी केंचुए की खासियत
देसी केंचुआ ज़मीन में मिट्टी खाते-खाते गहराई तक चला जाता है और ऊपर आने के लिए दूसरा छेद करता है। इससे ज़मीन में अनगिनत छेद हो जाते हैं। इनकी बदौलत पौधों की जड़ों को गहराई तक पानी और पोषण मिलता रहता है जिससे पौधों का विकास अच्छी तरह होता है। केंचुआ ज़मीन से ऊपर-नीचे करते समय एक तरह पदार्थ छेद की दीवार पर लगा देता है, जिससे वह बंद नहीं होता। इस पदार्थ को वर्मी वॉश कहते हैं, जिसमें कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो जड़ों के लिए आवश्यक हैं। इतना ही नहीं केंचुआ कच्ची चट्टान, रेत कण और मिट्टी खाते-खाते ज़मीन के अंदर जाकर फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को भी खा जाता है। यानी केंचुआ फसलों को बीमारी से बचाने में भी मददगार है। केंचुओं को 24 घंटे काम करने के लिए सूक्ष्म पर्यावरण का होना ज़रूरी है।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह सूक्ष्म पर्यावरण क्या है, तो आपको बता दें कि दो पौधों के बीच हवा आती जाती रहे और मिट्टी में पर्याप्त नमी हो, यही सूक्ष्म पर्यावरण है। सूक्ष्म पर्यावरण के निर्माण के लिए खेत में पेड़-पौधों की 2 कतारों के बीच फसलों के अवशेषों को फैलाकर रख दें, बस केंचुआ अपने काम पर लग जाएगा। यदि आप भी प्राकृतिक तरीके से अधिक फसल उगाना चाहते हैं, तो खेत में देसी केंचुओं के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करें।
ये भी पढ़ें: खेती-बाड़ी में कमाई बढ़ाने के लिए अपनाएँ केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट), जानिए उत्पादन तकनीक और विधि
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- किसानों के लिए डिजिटल खजाना: UPAG Portal क्या है और कैसे बदल रहा है भारतीय कृषि की तस्वीर?UPAG Portal भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) की ओर से विकसित एक Integrated digital platform है। इसे Integrated Portal on Agricultural Statistics के नाम से भी जाना जाता है।
- Uttar Pradesh की खेती में Digital Revolution: सीएम योगी का किसानों को तोहफ़ा,4000 करोड़ की ‘UP-AGRISE’ परियोजना की होगी शुरुआतउत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में एक ‘डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम’ (‘Digital Agriculture Ecosystem’) या UP-AGRISE विकसित करने के निर्देश (Instruction) दिए हैं।
- कृषि का भविष्य! दुनिया का पहला कुबोटा का Hydrogen और AI वाला ट्रैक्टर जो खुद चलता है, प्रदूषण भी ZEROजापान की फेमस ट्रैक्टर कंपनी कुबोटा (Famous tractor company Kubota) ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक पेश की है जो कृषि क्षेत्र को हमेशा के लिए बदल कर रख सकती है।
- रविंदर चौहान ने सरकारी नौकरी छोड़ अपनाई प्राकृतिक खेती और बन गए प्रगतिशील किसानप्राकृतिक खेती से रविंदर चौहान ने सेब की खेती में नई पहचान बनाई कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा और स्वस्थ फ़सल का उदाहरण बने।
- National Women Farmers Day: कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान अहम, तय किया मान्यता से लेकर अधिकार तक का सफ़रराष्ट्रीय महिला किसान दिवस (National Women Farmers Day) जो 15 अक्टूबर को हर साल उन्हीं अनाम नायिकाओं के सम्मान और संघर्षों को समर्पित है।
- कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों को दी राहत, किसानों को मक्का खेती का भी मंत्रकृषि मंत्री ने पंजाब (Punjab) के बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए बड़ी राहत राशि की घोषणा की, साथ ही देश के किसानों के लिए मक्का जैसी ऑप्शनल फसलों को बढ़ावा देने और एग्रीकल्चर रिसर्च (Agricultural Research) को खेतों तक पहुंचाने का ऐतिहासिक रोडमैप भी पेश किया।
- भारत की समुद्री शक्ति को मिली नई दिशा: NITI Aayog की ‘ब्लू इकॉनमी’ रिपोर्ट से खुलेगा लाखों लोगों के रोज़गार और एक्सपोर्ट का दरवाज़ानीति आयोग (NITI Aayog) ने ‘India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries’ नाम से एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की है, जो देश के गहरे समुद्री संसाधनों (deep sea resources) के दोहन का रोडमैप पेश करती है।
- Rajya Millet Mission Yojana: उत्तराखंड में शुरू हुई खरीफ फ़सलों की ख़रीद, किसानों को मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य का फ़ायदाकिसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य मिलेट मिशन योजना (Rajya Millet Mission Yojana) के तहत व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इस साल खास बात ये है कि सरकार ने पौष्टिक अनाजों (Millets) को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
- अलीगढ़ में कपास की खेती का बढ़ता रुझान, रक़बा 200 हेक्टेयर बढ़ाअलीगढ़ में कपास की खेती का रक़बा 200 हेक्टेयर बढ़ा। बढ़ते दामों और मुनाफ़े से किसान पारंपरिक फ़सलों से हटकर कपास की ओर बढ़ रहे हैं।
- Harvest Of The Sea-Mariculture: भारत की समुद्री खाद्य सुरक्षा और Blue Economy का रोडमैप, 25 लाख टन का टारगेटमेरीकल्चर यानी समुद्री खेती (Harvest of the Sea- Mariculture) में Central Marine Fisheries Research Institute (CMFRI) के निदेशक डॉ. ग्रिन्सन जॉर्ज ने हाल ही में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, साल 2047 तक भारत को अपना Mariculture प्रोडक्शन में आज के वक़्त के 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 25 लाख टन तक पहुंचाना होगा।
- PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focusप्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM Krishi Dhan Dhanya Yojana) के तहत उत्तर प्रदेश के 12 जिलों को चुना गया है, जिन्हें कृषि के हर पहलू में आत्मनिर्भर बनाने का टारगेट है।
- बागवानी से किसानों को मिला नया रास्ता, अमरूद की खेती बनी तरक्क़ी की मिसालअमरूद की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म बाज़ार में लोकप्रिय होकर किसानों के लिए वरदान बनी।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेशप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का शुभारंभ, लोकार्पण और शिलान्यास किया। ये कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित हुआ, जिसमें दो बड़ी योजनाओं- पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई।… Read more: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश
- सिमरता देवी की मेहनत ने बदली खेती की परंपरा प्राकृतिक खेती से मिली नई राहसिमरता देवी ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ख़र्च घटाया, आमदनी बढ़ाई और गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाई।
- योगी सरकार की सख्ती : उत्तर प्रदेश में अब सैटेलाइट से ट्रैक होगी पराली, Digital Crop Survey में लापरवाही बर्दाश्त नहीं !योगी सरकार ने पराली जलाने की समस्या (Problem of stubble burning) से निपटने के लिए इस बार ‘Zero tolerance’ का रुख अपनाया है।पराली प्रबंधन (stubble management) के साथ-साथ योगी सरकार डिजिटल क्रॉप सर्वे अभियान को लेकर भी पूरी तरह सक्रिय है। इस अभियान का उद्देश्य खेत स्तर तक वास्तविक फसल की जानकारी जुटाना है
- खाद्य सुरक्षा से आत्मनिर्भरता तक: 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी लॉन्च करेंगे कृषि क्रांति के दो महाअस्त्रप्रधानमंत्री मोदी किसानों की ख़ुशहाली और देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) को नई दिशा देने वाली दो बड़ी स्कीम- ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana and Self-Reliance in Pulses Mission) की शुरुआत करेंगे।
- Bhavantar Yojana: भावांतर योजना में सोयाबीन रजिस्ट्रेशन शुरू, 5328 रुपये MSP का वादा, बागवानी किसानों को भी फ़ायदामध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों (soybean producing farmers) के लिए भावांतर योजना (Bhavantar Yojana) के तहत MSP पर फसल बिक्री के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू हो चुका है।
- Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।
- Stubble Management: केंद्र और राज्यों ने कसी कमर, अब पराली प्रबंधन पर जोर, लिया जाएगा सख़्त एक्शनधान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष (stubble management) को जलाने के पीछे किसानों की मजबूरी है। अगली फसल (गेहूं) की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है और पराली हटाने की पारंपरिक विधियां महंगी और वक्त लेने वाली हैं। इससे निपटने के लिए अब सरकार ने जो रणनीति बनाई है
- Shepherd Community: भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक ताने-बाने में ग्रामीण जीवन की धड़कन है चरवाहा समुदायचरवाहा समुदाय (shepherd community) की भूमिका सिर्फ पशुपालन (animal husbandry) तक सीमित नहीं है। वे एक पुल की तरह काम करते हैं। जो हमारी परंपरा को आज के वक्त के साथ जोड़ते हैं, प्रकृति के साथ coexistence बढ़ाते हैं। देश की खाद्य सुरक्षा की नींव मजबूत करते हैं।