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15 फरवरी 2023 को सरकार ने एक ऐतिहासिक योजना को मंजूरी दी थी। जो देश के हर गांव और पंचायत में सहकारिता आंदोलन को मजबूत दे रहा है साथ ही किसानों को नए अवसर प्रदान कर रहा है। इस योजना के तहत देश के हर अनछुए गांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
PACS क्या हैं और क्यों हैं महत्वपूर्ण?
सरकार ने ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए ये योजना शुरू की है। इसके तहत:
PACS (Primary Agricultural Credit Societies) ग्राम-स्तरीय सहकारी ऋण समितियां हैं, जो 1904 से भारत के गांवों में किसानों की मदद कर रही हैं। ये त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना की आधारशिला हैं:
- राज्य सहकारी बैंक (SCB)-शीर्ष स्तर
- जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) – मध्य स्तर
- PACS – ग्रामीण स्तर पर सीधा किसानों से जुड़ाव
PACS का मुख्य उद्देश्य किसानों को सस्ते ब्याज दर पर ऋण देना, बचत को बढ़ावा देना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
PACS की वर्तमान स्थिति: कुछ रोचक आंकड़े
- भारत में 1,06,955 PACS काम कर रहे हैं। जिनकी कुल सदस्यता 16.04 करोड़ है।
- इनमें 45.55 फीसदी छोटे किसान, 4.55 फीसदी ग्रामीण कारीगर और हाशिए के समुदाय शामिल हैं।
- PACS ने 2021-23 के बीच अपनी पहुंच 4.29 प्रतिशत बढ़ाई, जबकि कुल जमा राशि में 15.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।
- 31 मार्च, 2023 तक PACS का कुल ऋण 1,88,842 करोड़ रुपये था, जिसमें से 78.76 फीसदी ऋण कृषि के लिए दिया गया।
PACS vs बड़े बैंक: किसका प्रभाव ज्यादा?
हालांकि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) ने ग्रामीण ऋण में अपनी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 79.4 फीसदी कर ली है, लेकिन PACS की भूमिका अभी भी अहम है। क्यों?
- PACS गांव-गांव तक पहुंच रखते हैं, जबकि बड़े बैंकों की शाखाएं दूर-दराज के इलाकों तक नहीं पहुंच पातीं।
- ये सदस्यता-आधारित हैं, इसलिए किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण मिलता है।
- PACS सहकारिता के मूल्यों – ईमानदारी, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी पर काम करते हैं।
चुनौतियां और सुधार की दिशा
PACS के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां हैं:
- कम्प्यूटरीकरण का अभाव: अभी भी कई PACS पारंपरिक तरीके से काम करते हैं। नाबार्ड ने 67,930 PACS के कम्प्यूटरीकरण की योजना बनाई है, ताकि पारदर्शिता बढ़े।
- शासन में सुधार की जरूरत: कुछ PACS में भ्रष्टाचार और प्रबंधन की शिकायतें हैं। सरकार को योग्य सदस्यों की नियुक्ति देखनी होगी।
- ऋण वसूली की समस्या: कई बार किसान ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं, जिससे PACS की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है।
कैसे मिलेगा फायदा?
1. डिजिटल ताकत
- 63,000 PACS को कम्प्यूटराइज्ड हो रहे हैं। ताकि पारदर्शिता बढ़े और किसानों को आसानी से लोन, बीमा और अन्य सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सके।
- 24,470 PACS अब कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Center) के रूप में काम कर रहे हैं, जहां ग्रामीणों को बैंकिंग, आधार अपडेशन, टिकट बुकिंग जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।
2. महिलाओं और SC/ST किसानों को ख़ास फ़ायदा
- नए मॉडल बायलॉज के तहत PACS में महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
- 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इन बायलॉज को अपना लिया है।
क्या है अगला कदम?
- 9,961 नए PACS/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों को 23 राज्यों में रजिस्टर किया जा रहा है।
- NABARD, NDDB, NFDB और NCDC जैसे संस्थान इस योजना को सफल बनाने में जुटे हैं।
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