प्राकृतिक आपदा से होने वाला फसल का नुकसान किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। ऐसे में सरकार की ओर से मुआवजा मिलने में देरी से समस्या और गहरी जाती है। पहले आपदा के बाद पटवारी फसल को हुए नुकसान का आंकड़ा एकत्र करते थे। इसमें काफी वक्त लगता था।
किसानों को उनके नुकसान का जल्द से जल्द मुआवजा मिले, इसके लिए अब कृषि मंत्रालय ने नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत देश के 100 जिलों में ग्राम पंचायत स्तर पर फसल उपज का आकलन करने के लिए ड्रोन से फसल उपज की तस्वीर लेने की अनुमति मांगी है।
डीजीसीए को लिखे पत्र में मंत्रालय ने अनुरोध किया कि एमएनईएक्स, एग्रोटेक, आरएमएसआई प्राइवेट लिमिटेड और वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जैसी एजेंसियों को 31 दिसंबर तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति दी जाए।
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एक अधिकारी के मुताबिक ड्रोन के माध्यम से कैप्चर किए गए रिमोट सेंसिंग डेटा से किसानों को फसल की स्थिति और नुकसान के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी और फसल बीमा दावों को प्रस्तुत करने में कम समय लगेगा। चूंकि चयनित 100 चावल उगाने वाले जिलों में कटाई का काम जोरों पर है। ऐसे में ड्रोन की मदद से फसल के आकलन का काम पूरा हो जाएगा। ड्रोन आधारित तस्वीरें उपज के आकलन और सत्यापन के लिए आवश्यक है।
PMFBY से ऐसे जुड़े किसान
फसल बीमा का लाभ लेने के लिए किसान को अपने नजदीकी बैंक, प्राथमिक कृषि साख समिति, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), ग्राम स्तर के उद्यमियों (VLY), कृषि विभाग के दफ्तर या बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क कर पंजीकरण कराना होगा। किसान राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) या फसल बीमा ऐप से भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
किसानों को रजिस्ट्रेशन पूरा करने के लिए आधार संख्या, बैंक पासबुक, भूमि रिकॉर्ड/रेंट एग्रीमेंट और स्व-घोषणा प्रमाण पत्र देना होगा। इसके बाद किसानों को उनके मोबाइल नंबर पर एसएमएस से उनके आवेदन की स्थिति बताई जाएगी।
इन 10 राज्यों में होगा ड्रोन से सर्वे
सरकार आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में ड्रोन के माध्यम से फसल की तस्वीरें एकत्र करेगी। अधिकारी के मुताबिक प्रायोगिक अध्ययन की सफलता के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल खरीफ के सीजन में करीब 241.7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि का बीमा किया गया है।