Table of Contents
भारत में पशुपालन किसानों की आमदनी का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस (Heat Stress) का खतरा अधिक होता है। यदि इसका समय पर इलाज और बचाव न किया जाए, तो यह दूध उत्पादन में गिरावट और पशु मृत्यु का कारण बन सकता है। इस लेख में हम जानेंगे हीट स्ट्रेस के लक्षण, बचाव के तरीके, और प्राथमिक उपचार, ताकि किसान समय रहते अपने पशुओं की रक्षा कर सकें।
हीट स्ट्रेस क्या है? (What is Heat Stress in Animals?)
जब पशु का शरीर अत्यधिक गर्मी और नमी के कारण अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता, तो उसे हीट स्ट्रेस कहा जाता है। ये स्थिति आमतौर पर गाय, भैंस, बकरी और मुर्गियों में देखी जाती है। ये समस्या विशेष रूप से गर्मी में पशुपालन करने वाले किसानों के लिए चुनौती बन जाती है।
गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस के प्रमुख लक्षण (Symptoms of Heat Stress in Livestock)
- तेज सांस लेना या हांफना
- अत्यधिक पसीना आना (खासकर गाय-भैंस में)
- दूध उत्पादन में गिरावट
- शरीर का कांपना या सुस्ती
- चारा कम खाना
- बार-बार बैठना या लेट जाना
- नाक से झाग निकलना
- गंभीर स्थिति में बेहोशी या मृत्यु भी हो सकती है
गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस से बचाव के उपाय (Prevention of Heat Stress in Livestock)
- छांव और हवादार शेड: पशुओं के रहने की जगह पर छाया और वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था करें।
- ठंडा पानी: पशुओं को बार-बार ठंडा और साफ़ पानी पिलाएं।
- पानी का छिड़काव: दिन में 2-3 बार पशुओं पर ठंडे पानी का छिड़काव करें।
- खुराक में बदलाव: गर्मियों में सुपाच्य और ऊर्जा युक्त आहार दें। हरे चारे के साथ-साथ मिनरल मिक्सचर भी दें।
- काम का समय तय करें: पशुओं को चराने या मेहनत वाले काम सुबह या शाम के ठंडे समय में करें।
- फैन और कूलर: अगर संभव हो तो पंखे या कूलर का उपयोग करें।
- साफ-सफाई: पशुशाला को साफ़ और सूखा रखें ताकि बैक्टीरिया से बचाव हो।
गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस से बचाव के लिए प्राथमिक उपचार (First Aid for Heat Stress in Dairy Animals)
- सबसे पहले पशु को छांव या ठंडी जगह पर ले जाएं।
- शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करें, विशेष रूप से सिर, गर्दन और पैरों पर।
- ओ.आर.एस. या इलेक्ट्रोलाइट घोल मिलाकर पिलाएं।
- पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
- अगर पशु बेहोश हो गया है तो पानी की धार लगातार शरीर पर डालें और डॉक्टर का इंतजार करें।
स्वस्थ पशु ही किसान की असली पूंजी
गर्मी के मौसम में पशुओं की देखभाल विशेष सावधानी से करनी चाहिए। हीट स्ट्रेस को नज़रंदाज़ करना नुकसानदेह हो सकता है। अगर समय रहते लक्षणों की पहचान कर ली जाए और उचित देखभाल की जाए, तो पशुओं को इस गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। याद रखें, स्वस्थ पशु ही किसान की असली पूंजी है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।