सेब और कीवी की खेती से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं उत्तराखंड के पौड़ी जिले की सविता रावत

सेब और कीवी की खेती ने उत्तराखंड की सविता रावत को आत्मनिर्भर बनाया, जिससे ग्रामीण आजीविका और रिवर्स माइग्रेशन को बल मिला।

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जहां एक ओर पलायन वर्षों से चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं अब सेब और कीवी की खेती ने उम्मीद की नई किरण जगाई है। खासकर पौड़ी जिले में इसका असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहां किसान अब पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं। इस बदलाव की एक जीवंत मिसाल बनी हैं सविता रावत, जिन्होंने दिल्ली की नौकरी छोड़ अपने गांव लौटकर सेब और कीवी की खेती को जीवन का आधार बना लिया।

एप्पल मिशन से शुरू हुआ आत्मनिर्भरता का सफर (The journey of self-reliance started with Apple Mission)

राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए एप्पल मिशन का उद्देश्य किसानों की आमदनी को दोगुना करना था। इस योजना के अंतर्गत सेब और कीवी की खेती को प्रोत्साहित किया गया, जिसका लाभ अब किसानों को मिल रहा है। सविता रावत ने भी इसी योजना का हिस्सा बनते हुए वर्ष 2020 में 1500 सेब के पौधे लगाए और बाद में 500 और पौधे जोड़े। उन्होंने गाला, रेड डेलिशियस, स्निको रेड और किंग रोट जैसी प्रजातियों का चयन किया।

दिल्ली की नौकरी छोड़ लौट आईं पहाड़ (She left her job in Delhi and returned to the hills)

सविता रावत ने दिल्ली में 12 वर्षों तक फार्मा मार्केटिंग सेक्टर में काम किया। लेकिन शहरी जीवन की आपाधापी और तनाव से दूर होने के लिए उन्होंने साल 2018 में अपने गांव गौरीकोट लौटने का फैसला लिया। यहां उन्होंने बागवानी और खेती को न सिर्फ अपनाया बल्कि इसे अपनी पहचान भी बना लिया। आज उनके पास 2000 सेब और 100 से अधिक कीवी के पेड़ हैं, जिनसे अच्छी फलोत्पत्ति होने लगी है।

सेब और कीवी की खेती बनी आमदनी का स्रोत (Apple and kiwi farming became a source of income)

सविता बताती हैं कि पहले उन्होंने सब्जियां उगाई, लेकिन उसमें अपेक्षित लाभ नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने सेब और कीवी की खेती में निवेश करना शुरू किया। उनका कहना है कि यदि सभी पौधे फल देने लगें तो सालाना आमदनी 6 से 7 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। वर्ष 2023 में उन्होंने सेब की बिक्री से 1.5 लाख रुपये कमाए थे, हालांकि 2024 में मौसम की वजह से यह घटकर 50 हजार रुपये रह गया।

स्थानीय लोगों को मिला रोज़गार और प्रेरणा (Local people got employment and inspiration)

अब तक सविता रावत ने अपने प्रोजेक्ट में करीब 60 से 70 लाख रुपये का निवेश किया है। उनके साथ गांव के एक व्यक्ति हमेशा काम करता है, और सीजन में 4 से 5 अतिरिक्त लोगों को भी रोज़गार मिलता है। उनकी इस पहल से न सिर्फ उनका परिवार आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि गांव के अन्य लोग भी प्रेरित हुए हैं।

कीवी की खेती बनी जंगली जानवरों से सुरक्षित विकल्प (Kiwi farming becomes a safe option from wild animals)

सेब और कीवी की खेती न सिर्फ आमदनी का जरिया बनी है, बल्कि कीवी विशेष रूप से जंगली जानवरों से सुरक्षित भी है। यही कारण है कि उद्यान विभाग किसानों को कीवी की ओर आकर्षित कर रहा है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. राजेश तिवारी के अनुसार, पौड़ी जिले में लगभग 250 किसान अब सेब और कीवी की खेती से जुड़ चुके हैं। सरकार इन पौधों के लिए 70% तक की सब्सिडी दे रही है।

गांव में शुरू किया होमस्टे और योग केंद्र (Homestay and yoga center started in the village)

सविता रावत ने बागवानी के साथ-साथ गांव में एक होमस्टे भी शुरू किया है, जहां पर्यटक आकर पहाड़ी संस्कृति, पारंपरिक व्यंजन और योग का अनुभव ले सकते हैं। यह ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और अतिरिक्त आय का एक नया जरिया बन गया है।

सेब और कीवी की खेती से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं उत्तराखंड के पौड़ी जिले की सविता रावत

रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल बनी सविता रावत (Savita Rawat became an example of reverse migration)

सविता का मानना है कि यदि सोच मज़बूत हो और मेहनत की जाए, तो सेब और कीवी की खेती जैसे विकल्पों से गांव में रहकर भी सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन जिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पहाड़ छोड़ने का सपना कई लोग देखते हैं, लेकिन जो लौटते हैं, वही असली बदलाव लाते हैं।

सेब और कीवी की खेती से पहाड़ों में लौट रही रौनक (The mountains are regaining their beauty due to apple and kiwi farming)

आज जब गांवों से लगातार पलायन हो रहा है, ऐसे में सेब और कीवी की खेती जैसे प्रयास पहाड़ों को फिर से बसाने का काम कर रहे हैं। सरकार की योजनाएं, किसानों की मेहनत और तकनीकी सहयोग मिलकर अब इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। इस दिशा में सविता रावत जैसे किसान रिवर्स माइग्रेशन और ग्रामीण विकास के प्रतीक बनते जा रहे हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

यह कहना बिलकुल ग़लत नहीं होगा कि सेब और कीवी की खेती केवल एक कृषि विकल्प नहीं बल्कि पहाड़ों की अर्थव्यवस्था को फिर से मज़बूत करने का जरिया बन रही है। सविता रावत की कहानी बताती है कि अगर संकल्प हो तो गांव में रहकर भी सफलता की नई इबारत लिखी जा सकती है।

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