Plum Farming: बेर की उन्नत क़िस्मों से अच्छी कमाई कर रहे उत्तराखंड के किसान नीरज नागपाल

बेर की खेती (Plum Farming) से मुनाफ़ा कमाने के लिए नीरज नागपाल की प्रेरणादायक कहानी, जिसमें उन्होंने उन्नत बेर क़िस्मों के जरिए सफलता हासिल की।

Plum Farming बेर की खेती

बेर जिसे ग़रीबों का फल भी कहा जाता है, उसकी खेती बहुत लोकप्रिय भले ही न हो, मगर ये किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा साबित हो सकती है। बेर की कुछ उन्नत क़िस्में न सिर्फ़ अच्छा उत्पादन देती है, बल्कि जल्दी फल भी देने लगती है। अगर आप भी बेर की खेती (Plum Farming) करना चाहते हैं तो उत्तराखंड के रुद्रपुर के सैजना गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान नीरज नागपाल से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

नीरज धान, गेहूं जैसी पारंपरिक फ़सलों से हटकर बागवानी फ़सलों का उत्पादन कर रहे हैं। 3 एकड़ खेत में उन्होंने बेर की कई उन्नत क़िस्में लगाई हुई है। बेर की खेती (Plum Farming) से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातों पर उन्होंने चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।

कब की शुरुआत? (When did it start?)

नीरज नागपाल बताते हैं कि साल 2023 में उन्होंने 3 एकड़ क्षेत्र में बेर की खेती (Plum Farming) शुरू की। जिसमें उन्होंने बेर की उन्नत क़िस्में बाल सुंदरी, मिस इंडिया और ग्रीन एप्पल लगाई हुई है। सबसे ज़्यादा पेड़ बाल सुंदरी के ही हैं। उन्होंने 3 एकड़ में 10X10 में 1300 पेड़ लगाए हैं। वो बताते हैं कि बेर की फ़सल लगाने का फ़ायदा ये होता है कि पहले साल से ही ठीक-ठाक उत्पादन मिलने लगता है जिससे लागत निकल जाती है। बेर के पेड़ आमतौर पर एक साल में ही तैयार हो जाते हैं और फल देने लगते हैं।

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समय पर खाद-पानी देना (Provide fertilizer and water on time)

नीरज बताते हैं कि वैसे तो बेर के पेड़ को बहुत अधिक देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती है। बस समय पर खाद-पानी देते रहना होता है और स्प्रे यानी छिड़काव करना होता है। वो कहते हैं कि इसमें स्प्रे करना बहुत ज़रूरी होता है तभी अच्छी फ़सल मिलती है।

अच्छी वैरायटी के पौधे लगाना है ज़रूरी (It is important to plant good variety of plants)

नीरज कहते हैं कि किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि उन्हें अच्छी वैरायटी के पौधे नहीं मिल पाते हैं और अच्छे उत्पादन के लिए बेहतरीन गुणवत्ता वाले पौधे ज़रूरी है। उन्होंने बेर के पौधे कोलकाता के कृषि मेले से खरीदे थे। वो बताते हैं कि उन्होंने तो अप्रैल में पौधे लगाए थे, मगर इसे लगाने का सही समय फरवरी है। उनकी योजना अगले साल फरवरी में 2000 नए पौधे लगाने की है।

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कितना होता है उत्पादन? (How much is the production?)

नीरज नागपाल बताते हैं कि वो अब तक 15 क्विंटल बेर बेच चुके हैं और अभी और फ़सल होगी। उनका कहना है कि एक साल में तकरीबन 25 क्विंटल का उत्पादन हो जाता है। धान, गेहूं कि बजाय इस तरह की फ़सल लगाने से अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है। उनका कहना है कि उन्होंने बाज़ार में

80 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेर बेचे हैं। कभी-कभी क़ीमत कम भी हो जाती है, आमतौर पर वो 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ही बेर बेचते हैं। वो किसानों से कहत हैं कि बेर की खेती (Plum Farming) बाकी फ़सलों की बजाय आसान है और मुनाफ़ा भी अच्छा मिल जाता है, इसलिए किसानों के लिए ये एक अच्छा विकल्प है।

क्यों चुनी बेर की खेती? (Why choose Plum Farming?) 

आमतौर पर किसान बेर की खेती (Plum Farming) जल्दी नहीं करना चाहते, क्योंकि इसके पेड़ में कांटे भी होते हैं। ऐसे में नीरज नागपाल ने दूसरी बागवानी फ़सलों की जगह बेर को ही क्यों चुना? इस बारे में वो बताते हैं कि अन्य बागवानी फ़सलों की तुलना में बेर की खेती (Plum Farming) आसान है।

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यही नहीं उनका कहना है कि आम की फ़सल में आजकल एक समस्या देखी की एक साल फ़सल लगती है तो अगले साल नहीं लगती, इसलिए उन्होंने बेर को चुना। इसका बाज़ार भी अच्छा है यानी आसानी से बिक जाता है। नीरज ने बेर की जिन क़िस्मों को लगाया हुआ है उसमें दूसरे बेर के मुकाबले कांटे भी बहुत कम होते हैं। वो किसानों को पारंपरिक फ़सलों को छोड़कर बागवानी फ़सलों की खेती की सलाह देते हैं।

किन राज्यों में होती है बेर की खेती? (In which states is Plum Farming done?)

बेर की खेती (Plum Farming) आमतौर पर शुष्क इलाकों में की जाती है। इसमें प्रोटीन, विटामिन सी,  खनिज आदि भरपूर मात्रा में होते हैं। बेर की खेती (Plum Farming) मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तामिलनाडू और आंध्र प्रदेश में की जाती है।

कैसी मिट्टी होती है उपयुक्त? (What kind of soil is suitable?)

बेर की खेती (Plum Farming) ज़्यादा और कम गहरी वाली मिट्टी के अलावा रेतली और चिकनी मिट्टी में भी की जा सकती है। यहां तक कि बंजर और बारानी इलाकों में बेर उगाया जा सकता है। इसके अलावा क्षारीय, खारी और दलदली मिट्टी में भी बेर की खेती (Plum Farming) की जा सकती है। बेर की बेहतरीन पैदावार के लिए रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें पानी सोखने की क्षमता अधिक होती है, खेत में जल निकासी का सही प्रबंध होना भी ज़रूरी है।

बेर का पौधा कैसे लगाया जाता है? (How to plant a plum tree?)

बेर की पौध बीज से ये कलम से भी तैयार की जा सकती है। बीज से पौध तैयार होने में ज़्यादा समय लगता है, इसलिए इसे कलम और टहनियों से ही तैयार किया जाता है। कलम से रोपाई करने के लिए कलम को पॉली बैग में लगाया जाता है और जब पौध तैयार हो जाती है तो खेत में रोपाई की जाती है।

बेर की उन्नत क़िस्में (Improved Varieties of Plum)

अच्छी पैदावार के लिए किसान बेर की इन उन्नत क़िस्मों की खेती कर सकते हैं।

गोला – इस क़िस्म की बेर के फल गोल और चमकदार होते हैं। ये क़िस्म कम समय में अधिक पैदावार देती है। इसमें गुदा अधिक होता है और ये बहुत मीठा होता है। इसके एक पेड़ से सालाना 80 किलो तक फ़सल मिल जाती है।

थाई आर जे- ये बेर की संकर क़िस्म है, जिसमें फल थोड़ी देरी से लगता है। इसे एप्पल बेर के नाम से भी जाना जाता है। पौध लगाने के 6 महीने बाद ये क़िस्म पककर तैयार हो जाती है। इसके एक पेड़ से सालाना 100 किलो तक बेर का उत्पादन हो जाता है। यदि इसकी ठीक तरह से देखभाल की जाए तो साल में दो बार फल लिया जा सकता है। खास बात ये कि इसका पेड़ कांटा रहित होता है।

काला गोरा – यह क़िस्म अगेती पैदावार के लिए लगाई जाती है। इसका फल लंबा होता है और इसमें 95% तक गुदा होता है। फल पकने पर पीला हो जाता है और इसका स्वाद हल्का खट्टा होता है और इसके एक पेड़ से एक साल में तकरीबन 80 किलो तक उत्पादन हो जाता है।

जेडजी 2 – ये क़िस्म भी अधिक पैदावार देती है। इसके फल अंडाकार और साइज में छोटे होते हैं और पकने पर भी इनका रंग हरा ही रहता है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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