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आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे प्रगतिशील किसान की प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने खेती की परंपरागत सोच से बाहर निकलकर प्राकृतिक तरीके अपनाए और न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बदला, बल्कि अपने अनुभवों से अन्य किसानों को भी नई दिशा दिखाई। यह कहानी है शैलेन्द्र शर्मा की, जो हिमाचल प्रदेश के सुंदर और हरे-भरे इलाके, जिला सोलन के गांव ड्यारेगुखर, तहसील जौणाजी के रहने वाले हैं। शैलेन्द्र जी ने अपने खेतों में मेहनत और लगन से ऐसा काम किया है कि आज वे क्षेत्र के ही नहीं, पूरे प्रदेश के किसानों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं।
खेती की शुरुआत और प्रेरणा (Beginning of farming and inspiration)
शैलेन्द्र शर्मा ने अपनी खेती की शुरुआत वर्ष 2015 में की। हालांकि, उन्हें असली प्रेरणा 2018 में मिली जब उन्होंने पद्मश्री सुभाष पालेकर जी की 7 दिन की प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने तय कर लिया कि वे रासायनिक खेती को पूरी तरह छोड़कर प्राकृतिक तरीकों से खेती करेंगे।
उनकी 4.80 एकड़ जमीन पर आज रंगीन शिमला मिर्च की खेती सफलतापूर्वक हो रही है। शैलेन्द्र बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने भी रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया, लेकिन उससे उनकी स्किन को एलर्जी हो गई। इसके बाद उन्होंने नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग शुरू किया, जिससे उन्हें फायदा भी हुआ और स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहा।
प्राकृतिक खेती के उपाय (Natural farming methods)
शैलेन्द्र शर्मा ने अपने खेत में कई देसी उपाय अपनाए हैं जो प्राकृतिक खेती को सफल बनाते हैं। वे तीन गाय पालते हैं और गाय के गोबर से घनजीवामृत और जीवामृत बनाते हैं, जो फ़सल के पोषण प्रबंधन में काम आते हैं।
फ़सल में लगने वाले रोगों से बचाव के लिए वे सौंठ-अस्त्र और छाछ का इस्तेमाल फंगीसाइड के रूप में करते हैं। इसके अलावा वे नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नास्त्र और दशपर्णी जैसे नेचुरल कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इन सब तरीकों से उनकी रंगीन शिमला मिर्च की खेती न सिर्फ़ सुरक्षित है, बल्कि उत्पादन भी शानदार होता है।
क्या उगाते हैं शैलेन्द्र? (What does Shailendra grow?)
शैलेन्द्र की खेती में विविधता है, लेकिन उनकी मुख्य पहचान रंगीन शिमला मिर्च की खेती से ही बनी है। इसके अलावा वे बीन्स, टमाटर, चेरी टमाटर, खीरा, अदरक, धनिया, मटर, राजमा और मक्का जैसी फ़सलें भी उगाते हैं। मगर रंगीन शिमला मिर्च की खेती में उन्हें विशेष सफलता और पहचान मिली है।
राज्य और देश स्तर पर मिली सराहना (Appreciation received at state and national level)
शैलेन्द्र शर्मा को उनकी खेती के लिए पंचायत स्तर, ब्लॉक स्तर और राज्य स्तर पर सम्मान मिला है। उन्हें राज्य सरकार से नकद पुरस्कार भी मिला। सबसे बड़ी उपलब्धि तब मिली जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रदर्शनी में उनके द्वारा उगाई गई रंगीन शिमला मिर्च को हाथ में लेकर उनकी खेती की सराहना की।
प्रधानमंत्री द्वारा इस प्रकार की सराहना मिलना किसी भी किसान के लिए गर्व की बात होती है। यही कारण है कि आज शैलेन्द्र प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुके हैं।
ब्रांडिंग और मार्केटिंग (Branding and marketing)
शैलेन्द्र अपनी रंगीन शिमला मिर्च की बिक्री सुपरमार्केट्स (चंडीगढ़) और दिल्ली की आजादपुर मंडी में करते हैं। इसके लिए वे खुद की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था भी संभालते हैं जिसमें बस या पिकअप वैन के ज़रिए फ़सल को मंडियों तक पहुँचाया जाता है।
इस तरह की व्यवस्थित मार्केटिंग रणनीति ने उनकी रंगीन शिमला मिर्च की खेती को और अधिक मुनाफे़दायक बना दिया है।
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
शैलेन्द्र शर्मा ने पॉलीहाउस, ड्रिप इरिगेशन और पॉवर टिलर जैसे उपकरणों के लिए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी उठाया है। इसके अलावा, उन्हें 2018 में कृषि विभाग सोलन द्वारा प्राकृतिक खेती के ट्रेनर के रूप में सर्टिफिकेशन मिला और आज वे मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्यरत हैं।
वे अब विभिन्न राज्यों में किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं ताकि अन्य किसान भी रसायनों से मुक्त और कम लागत में खेती कर सकें।
क्यों अपनाएं रंगीन शिमला मिर्च की खेती? (Why adopt cultivation of colorful capsicum?)
शैलेन्द्र शर्मा का मानना है कि रंगीन शिमला मिर्च की खेती में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। इसका बाज़ार मूल्य अच्छा होता है और अगर इसे प्राकृतिक तरीके से उगाया जाए तो मुनाफ़ा और भी बढ़ जाता है। इसके लिए पॉलीहाउस, जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों की जरूरत होती है, लेकिन लागत कम और उत्पादन बेहतर होता है। आज उनकी रंगीन शिमला मिर्च की खेती एक आदर्श मॉडल बन चुकी है।
निष्कर्ष (conclusion)
शैलेन्द्र शर्मा की कहानी बताती है कि अगर इरादा मज़बूत हो और सही मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी किसान प्राकृतिक खेती से न सिर्फ़ आर्थिक रूप से सशक्त बन सकता है बल्कि समाज में सम्मान भी कमा सकता है।
रंगीन शिमला मिर्च की खेती उनकी पहचान बन चुकी है और वे आज देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। अगर आप भी खेती में कुछ अलग करना चाहते हैं, तो रंगीन शिमला मिर्च की खेती प्राकृतिक तरीके से शुरू करना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
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