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पारंपरिक खेती से कम होते मुनाफे को देखते हुए कई किसान अब पॉलीहाउस में विदेशी फसलों को उगाने लगे हैं। पॉलीहाउस लगाने में पहली बार में खर्च भले ही ज़्यादा होता है, मगर लंबे समय में इससे अच्छा मुनाफा होता हैं। इसी को देखते हुए जयपुर के प्रगतिशील किसान पिंटू सैनी ने भी साधारण खीरे की बजाय चाइनीज खीरे की खेती (Cultivation of Chinese Cucumber) करने का फैसला किया। इसे वो पॉलीहाउस में उगाते हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। पिंटू सैनी ने पॉलीहाउस लगाने से लेकर चाइनीज खीरे की खेती (Cultivation of Chinese Cucumber) से जुड़ी कई अहम जानकारी साझा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता अक्षय दुबे के साथ।
पॉलीहाउस है क्या?
वैसे तो आजकल सबको पता है कि पॉलीहाउस क्या है, मगर कुछ छोटे किसान जो अब भी इससे अनजान हैं उन्हें हम बता दें कि ये एक तरह का ग्रीन हाउस है जिसमें सामान्य खेती से अलग तरीके से खेती की जाती है। जयपुर के प्रगतिशील किसान पिंटू सैनी बताते हैं कि सबसे पहले तो इसका स्ट्रक्चर बनाया जाता है, जो प्लास्टिक शीट और नेट से बना होता है और इसे चारों तरफ से इस तरह से पैक किया जाता है कि बाहरी कीटाणु अंदर न आ पाएं।
पॉलीहाउस लगाते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंदर की गैस निकलने के लिए ऊपर जो वेंटिलेशन का सिस्टम लगा है उसकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर ही होनी चाहिए, क्योंकि हवा का बहाव इसी दिशा में होता है, इसलिए पॉलीहाउस का सेटअप इसी हिसाब से होना चाहिए, बाकि इसकी लंबाई-चौड़ाई किसान उपलब्ध जगह के हिसाब से कम-ज़्यादा कर सकते हैं। पिंटू कहते हैं कि पॉलीहाउस में भी कई तरह की वैरायटी आती है, आमतौर पर 5 लेयर वाला पॉलीहाउस अच्छा होता है, वैसे तो इससे कम लेयर वाला भी आता है, मगर वो ठीक नहीं होता। इसके अलावा 7 लेयर वाला पॉलीहाउस भी होता है।
कितनी मिलती है सब्सिडी
अमीर किसान तो आसानी से पॉलीहाउस का सेटअप लगा सकते हैं, लेकिन गरीब किसानों के लिए ये थोड़ा मुश्किल होता है, मगर सरकारी मदद से वो भी आसानी से पॉलीहाउस लगाकर उन्नत तरीके से खेती कर सकते हैं। पिंटू सैनी बताते हैं कि किसानों को पॉलीहाउस बनाने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है जो 50-70 प्रतिशत तक होती है। ऐसे में अगर कोई किसान एक हेक्टेयर में पॉलीहाउस लगाने की सोच रहा है जिसकी लागत 18 लाख होती है, तो उसे जेब से सिर्फ 9 लाख या उससे भी कम खर्च करना पड़ेगा। पॉलीहाउस की लागत सिर्फ एक बार की है, क्योंकि एक बार सेटअप तैयार हो जाने के बाद ये सालों साल चलता है।
क्या चुना चाइनीज खीरा
पॉलीहाउस में साधारण खीरा, टमाटर और शिमला मिर्च जैसी फसलों की भी अच्छी पैदावार होती है। ऐसे में पिंटू सैनी ने चाइनीज खीरे की खेती (Cultivation of Chinese Cucumber) को क्यों चुना? इस सवाल के जवाब में हो कहते हैं कि साधारण खीरा तो खुले खेत में भी उग जाता है, मगर चाइनीज खीरे की खेती (Cultivation of Chinese Cucumber) पॉलीहाउस में ही होती है, इसमें उत्पादन अधिक मिलता है।
उनका कहना है कि वो शुरू से ही खीरे की खेती कर रहे हैं। इससे मुनाफा अधिक मिलती है, इसकी खेती के लिए 30 से 35 डिग्री का तापमान अच्छा होता है। खीरे के पौधों को ऊपर चढ़ाने के लिए 7 फीट लंबी रस्सी में तार बांध डालकर ऊपर की तरफ लटकाया जाता है।
फसल कितने तैयार होती है फसल
आमतौर पर बुवाई के बाद 35 दिन बाद पौधों में फूल आने लग जाते हैं और अगले तीन महीने तक फलों की तुड़ाई की जाती है। पिंटू सैनी का कहना है कि इस बार फसल थोड़ी लेट तैयार हुई है, फ्रूटिंग 45 दिनों बाद हुई। पिछले साल तक उन्हें अच्छी फसल मिल रही थी, एक दिन बीच करके वो चाइनीज खीरे की तुड़ाई करते थे।
कितनी आती है लागत
पिंटू सैनी बताते हैं कि एक हेक्टेयर में करीब 8 हजार बीज की बुवाई होती है। एक बीज की कीमत 9.10 रुपए है तो बीच की लागत हो गई 72000 रुपए। बुवाई के एक महीने पहले गोबर की करीब 20 ट्रॉली या इससे ज़्यादा ही खाद डाली जाती है। एक ट्रॉली का खर्च 1500 से 2000 होता है। खाद डालने के बाद फव्वारे खूब पानी छोड़ते हैं फिर इसमें 25 माइक्रोन की एक शीट लगाते हैं जिसपर करीब 22 से 23 हजार का खर्च आता है।
उनका कहना है कि पिछले साल उन्हें कुल 3-4 लाख की लागत आई थी। जहां तक मुनाफे का सवाल है तो ये तो उत्पादन पर निर्भर करता है। उनका कहना है कि मान लीजिए 8 लाख कुल लागत आई तो 2 लाख तो काम करने वाले ले जाते हैं, 3-4 लाख रुपए दूसरे खर्च और बाकी 2 लाख आपका मुनाफा हो जाता है।
नए किसानों को सलाह
जो किसान पॉलीहाउस में चाइनीज खीरे की खेती (Cultivation of Chinese Cucumber) करना चाहते हैं, उन्हें पिंटू सैनी सलाह देते हैं कि सबसे पहले अपने जमीन और पानी के पीएच बैलेंस की जांच करवाएं। पानी का पीएच 7 होना चाहिए। उनका कहना है कि वो ज़मीन और मिट्टी की समय-समय पर जांच करवाते रहते हैं और उसी के हिसाब से फर्टिलाइज़र डालते हैं। खीरे की फसल में पानी की ज़्यादा ज़रूरत होती है, इसलिए पानी के पीएच पान का पता होना बहुत ज़रूरी है। चाइनीज खीरा मार्केट में आम खीरे से महंगा बिकता है, इसलिए इसकी खेती से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, बशर्ते वो सारी बातों का ध्यान रखकर पॉलीहाउस में इसे उगाएं।
बीमारियां और रोग
पिंटू सैनी कहते हैं कि मौसम खराब होने पर यानी मौसम अगर ठंडा है और अचानक से गर्मी बहुत बढ़ जाए तो विल्ट रोग की संभावना बढ़ जाती है, जिसकी वजह से पौधे पीले पड़ने लग जाते हैं और धीरे-धीरे पौधे मर जाते हैं। इसलिए पौधों की जांच करते रहने चाहिए कि कोई रोग या कीट का असर तो नहीं है। व्हाइट फ्लाई, माइट, थिप्स कीट भी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
थ्रिप्स रस चूसक होती है जो पत्ते का रस चूस लेती है, जिससे आगे का पत्ता सिकुड़ जाता है और इसकी वजह से पीछे के फूल भी खराब होने लगते हैं। माइट्स कीट पत्ते को नीचे से पूरा जला देती है। इन सभी से बचने के लिए इन्सेक्टिसाइड का इस्तेमाल करना चाहिए। किसान अगर थोड़ी सावधानी बरतकर चाइनीज खीरे की खेती करता है, तो उससे अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
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