हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग 270 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर होने वाले अदरक प्रसंस्करण ने कलसी ब्लॉक दूसरे इलाकों से काफी आगे बढ़ा दिया है। जिससे यहां की अर्थव्यवस्था मज़बूत हुई है। अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) को अपनाने वाले किसानों की फसल उच्च मूल्य पर स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी मांग रखती है।
अदरक का इस्तेमाल
अदरक का इस्तेमाल खाना बनाने, औषधीय और कॉस्मेटिक में किया जाता है। साथ ही ये एक लचीली फसल है जो अलग-अलग प्रकार की मिट्टी और कृषि-जलवायु परिस्थितियों में पनपती है, जो इसे कलसी ब्लॉक के पहाड़ी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त बनाती है। इसके अलावा, अदरक की खेती एक टिकाऊ विधि है। अदरक को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यहां पर अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) को अपनाया जाता है, जिससे यहां के अदरक की मांग पूरे देश में है।
उत्तराखंड के कलसी ब्लॉक की अर्थव्यवस्था के साधन
कलसी ब्लॉक कई मायनों में उत्तराखंड के लिए ख़ास है। यहां पर चावल, गेहूं, मक्का और कई तरह की सब्जियां जैसे टमाटर, आलू और खीरे की फसल उगाई जाती है। यहां पर फलों के बाग हैं जहां आम, लीची व अमरूद की प्रमुख किस्में होती हैं। इसके साथ ही लोकल अर्थव्यवस्था में पशुपालन भी अहम भूमिका निभाता है, जिसमें डेयरी फार्मिंग सबसे प्रमुख है।
आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र ने अदरक की सड़न की समस्या का लगाया पता
इस इलाके में आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र, ढकरानी, देहरादून ने एक सर्वेक्षण किया और यहां पर अदरक की सड़न की समस्या को समझा और कम उत्पादकता के कारण का पता लगाया। फसल संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे यहां के किसानों को बीमारियों से निपटने के लिए सांस्कृतिक प्रबंधन क्रियाओं के बारे में बताया गया। इसमें रोग-मुक्त बीज प्रकंदों का चयन और अदरक की रोपाई के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी के इस्तेमाल के बारें में जानकारी दी गई। अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक को (Ginger processing) अपनाने पर वैज्ञानिकों ने जोर दिया।
ICAR-KVK ने बताई अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक
आईसीएआर-केवीके वैज्ञानिकों के कई प्रयासों से अदरक उगाने वाले किसानों को उनकी फसल को रोगों से बचाने में मदद की, जिससे किसान भाइयों को अदरक को सुखाने के लिए दो अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Indigenous technique of ginger processing) पंजहोल और सुजहोल का इस्तेमाल सिखाया। जिसका नतीजा ये रहा कि गुणवत्ता में सुधार हुआ और अदरक की मांग तेजी से बढ़ी।
ICAR-KVK ने अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) के ज़रीये से सफ़बंदी में हस्तक्षेप किया, जिसमें सफाई और सुखाने के वैज्ञानिक तरीकों पर जोर दिया गया। ये बता दें कि अदरक को सुखाने के पुंजहोल और सुखझोल तरीके उत्तराखंड सहित उत्तरी भारत में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक विधियां हैं। इस तरीकों के इस्तेमाल में अदरक की जड़ों को पहले काटा जाता है फिर धोया जाता है और फिर गंदगी या मिट्टी को हटाने के लिए साफ किया जाता है।
अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक-सुखझोल और पुंजहोल
सुखझोल तरीका- किसानों के अनुसार, सुखझोल तरीका पुंजहोल से बेहतर काम करता है। क्योंकि इसमें कम मेहनत लगती है। इसके लिए पहले खेत में ही ग्रेड किया जाता है ताकि किसी भी कच्चे, ख़राब या रोगग्रस्त प्रकंद को हटाया जा सके, क्षतिग्रस्त बल्बों को अलग रखा जा सके। बचे उच्च गुणवत्ता वाले बल्बों को आकार और उपस्थिति के अनुसार छांटा जाता है, ये देखते हुए कि वे साफ, चमकीले पीले-भूरे रंग के और ताजे दिखें, उसमें मुरझाने या अंकुरित होने के संकेत ना हो।
ताजा काटे गए अदरक के प्रकंदों को दो या तीन बार पानी में अच्छी तरह से धोया जाता है और इसके बाद छाया में सुखाया जाता है। सफाई के दौरान, अदरक को साफ पानी में हाथ से धीरे से रगड़ा जाता है, इस बात का ध्यान रखते हुए कि बल्ब टूटने से बचें, क्योंकि इससे सड़न और सिकुड़न हो सकती है।
किसानों ने अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) में एक ख़ास रोटेटर सुखाने की मशीन तैयार की है। ये मशीन 1 क्वॉर्ट प्रति घंटे की दर से अदरक को सुखा सकती है, जिससे ये समय की बचत भी करती है, साथ ही मेहनत भी कम लगती है। मशीन के दो संस्करण हैं: एक को मैन्युअल तरीके चलाया जाता है और दूसरा 2HP की मोटर के ज़रीये से चलाया जाता है।
इस मशीन का उपयोग करके अदरक को सुखाया जाता है। मशीन एक क्षैतिज (horizontal) रोटरी ड्रम है जिसमें छेद होते हैं। इनकी मदद से पानी निकलता है। एक बार जब अदरक मशीन से सूख जाता है, तो इसे कुछ वक्त के लिए धूप में सुखाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम उत्पाद “गिल्टी” के रूप में सामने आता है। जिसे फिर बाजार में बेचा जाता है।
अदरक सुखाने का पुंझोल तरीका: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) में पुंझोल विधि एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। पुंझोल में पहले प्रकंद को छीला जाता है। अदरक (गिल्टी) को सुखाना, अदरक के गुच्छों को कई दिनों तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है जब तक कि उसमें पानी ना निकल जाए। सुखाने के वक्त क्षेत्र की आर्द्रता और तापमान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
पुंझोल विधि वायु परिसंचरण (Air Circulation) पर निर्भर करती है। छायादार क्षेत्र अदरक तक सीधी धूप को पहुंचने से रोकने में मदद करता है। यहां के आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति पर अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक को अपनाकर अदरक प्रसंस्करण के प्रभाव का आकलन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र ने इस संबंध में एक स्टडी की। जिसके प्रभावी परिणाम भी सामने आए। यहां के गांव में लगभग 100 परिवार हैं, जिनमें से 80 परिवार अदरक को नकदी फसल के रूप में अपनाते हैं और इसके प्रसंस्करण के काम में हैं।
उच्च गुणवत्ता वाले अदरक की बाज़ार में कीमत
गांव के अदरक किसान लगभग 25,000 किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाले सूखे अदरक को 3,000 से 5,000 रुपये प्रति किलोग्राम बेचते हैं। दूसरे और तीसरे दर्जे की कीमत 1,500 रुपये से 2,000 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है। कुल मिलाकर, सूखे अदरक से औसत आय लगभग 8 करोड़ रुपये है, जो केवल इस एक फसल से उत्पन्न एक महत्वपूर्ण आय को दर्शाता है।
अदरक प्रसंस्करण (Ginger processing) के ज़रिये आर्थिक सशक्तिकरण
डोमट गांव की कहानी ये बताती है कि अदरक प्रसंस्करण (Ginger processing) के ज़रिये आर्थिक सशक्तिकरण में बढ़ावा और ग्रामीणों की आय के साथ उनकी आजीविका को बढ़ाने का एक उच्च साधन है। यहां पर अदरक प्रसंस्करण (Ginger processing) ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकता है।
प्रसंस्करण मशीनरी को चलाने के लिए कुशल ऑपरेटरों, तकनीशियनों और सहायक कर्मचारियों की ज़रूरत होती है। स्थानीय लोगों को काम पर रखकर, किसान अपने समुदाय के अंदर आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए ग्रामीण एक सहकारी समिति या किसान उत्पादक संगठन (FPO) तैयार कर सकते हैं। अदरक उत्पादों को स्थानीय बाजारों के साथ बड़े बाज़ारों में बेचा जा सकता है। साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में निर्यात किया जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण अपने खुद के ब्रांड भी बना सकते हैं। ताकि इन उत्पादों को अपने अनूठे ब्रांड नाम के तहत बाजार में उतारा जा सके।
अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक से जुड़े सवाल और उसके जवाब-
सवाल 1- अदरक प्रसंस्करण की प्रक्रिया क्या है
जवाब- कच्चे अदरक को जड़ों और पत्तियों से अलग किया जाता है। इसके बाद अदरक को साफ़ करके खराब अदरक को अलग करते हैं। फिर साफ़ अदरक को छीलकर और काटकर अलग किया जाता है। अदरक को ड्रायर में सुखाया जाता है।
सवाल 2- अदरक का इस्तेमाल किन-किन चीजों में किया जाता है?
जवाब- अदरक का इस्तेमाल खाना बनाने, औषधीय और कॉस्मेटिक में किया जाता है। ये एक लचीली फसल है जो अलग-अलग प्रकार की मिट्टी और कृषि-जलवायु परिस्थितियों में पनपती है।अदरक को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
सवाल 3-अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक कौन-कौन सी हैं?
जवाब- सुखझोल तरीके में कम मेहनत लगती है। इसके लिए पहले खेत में ही ग्रेड किया जाता है ताकि किसी भी कच्चे, ख़राब या रोगग्रस्त प्रकंद को हटाया जा सके, क्षतिग्रस्त बल्बों को अलग रखा जा सके। सफाई के दौरान, अदरक को साफ पानी में हाथ से धीरे से रगड़ा जाता है। अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) में एक ख़ास रोटेटर सुखाने की मशीन तैयार से अदरक को सुखाया जाता है।
अदरक सुखाने का पुंझोल तरीका अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) है। ये एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। पुंझोल में पहले प्रकंद को छीला जाता है। अदरक (गिल्टी) को सुखाना, अदरक के गुच्छों को कई दिनों तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। पुंझोल विधि वायु परिसंचरण (Air Circulation) पर निर्भर करती है।
सवाल 4- कलसी ब्लॉक की अर्थव्यवस्था के साधन क्या है?
जवाब- कलसी ब्लॉक के पहाड़ी क्षेत्रों में खेती के लिए अदरक की खेती से उनकी अर्थव्यवस्था बेहतर बनती है। अदरक की खेती एक टिकाऊ विधि है। अदरक को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यहां पर अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक (Ginger processing) को अपनाया जाता है, जिससे यहां के अदरक की मांग पूरे देश में है।
सवाल 5- कटाई के बाद अदरक का इलाज कैसे करें?
जवाब- अदरक की कटाई के बाद, प्रकंदों को धोया जाता है। फिर छाया में सुखाया जाता है। जिसके बाद वे उपयोग के लिए तैयार हो जाएंगे। इसे सही तरीके से स्टोर करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ अलग-अलग तरीके होते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।