गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाने का स्टार्टअप शुरू करने वाले करन सिंह से ख़ास बातचीत

करन सिंह बतातें हैं कि कोई भी व्यक्ति गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाने का बिज़नेस दो हज़ार से तीन हज़ार रुपए से शुरू कर सकता हैं। इसमें लागत इसलिए कम आती है कि किसान गांव में रहता है और गाय का गोबर भी आसानी से मिल जाता है।

गाय के गोबर से सजावटी सामान

देसी गाय के गोबर का इस्तेमाल ज़्यादातर खाद बनाने के लिए किया जाता है। हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले के रहने वाले युवा करन सिंह अब देसी गाय के गोबर से सजावटी सामान बना रहे हैं, जिसकी शुरूआत करन सिंह ने कोरोना काल में की थी।

करन का कहना है कि अगर गाय का गोबर मार्केट में बिकने लगेगा तो हमारा किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा। आईए जानते हैं किसान ऑफ़ इंडिया के विशेष कार्यक्रम किसान चैट रूम में  करन सिंह से हुई बातचीत के कुछ खास बिंदु।

गाय के गोबर से सजावटी सामान

देसी गाय के गोबर के सजावटी सामान बनाना कैसे शुरू किया ?

करन सिंह बतातें है कि उन्होंने गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाना शुरू किया, क्योंकि  देसी गाय का गोबर आसानी से मिल जाता है। उन्होंने बताया कि गौ-पालकों से 5 रुपए किलो के भाव से गोबर खरीद लेते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले दिवाली के मौके पर गोबर से दिये बनाए थे, इसके साथ ही गोबर के गमले, घड़ी और दूसरे सामान भी बनाना शुरू किया था।

गाय के गोबर से सजावटी सामान(1)

कितनी लागत से शुरू करें बिज़नेस, कितना होगा मुनाफा?

करन सिंह बतातें हैं कि कोई भी व्यक्ति इस व्यापार को दो हज़ार से तीन हज़ार रुपए में बड़े आराम से शुरू कर सकता हैं। इसमें  लागत इसलिए भी कम आती है क्योंकि किसान गांव में रहता है और यहां पर गोबर आसानी से मिल जाता है। गोबर में नेचुरल बाइंडिंग करते हैं।  इसके लिए करन ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाते हैं। अगर इस बिज़नेस के मुनाफ़े की बात की जाए तो किसान इससे लागत का दो से तीन गुना बड़े आराम से कमा सकता है।  मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए हिन्दू त्यौहारों पर अपना प्रोडक्ट लॉन्च करें। इससे मुनाफ़ा होने की संभावना बढ़ जाएगी।

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गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान

करन सिंह बताते हैं कि सबसे पहले किसानों को गोबर इकट्ठा करना है। गोबर देसी गाय का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम सिर्फ एक घंटे पुराना गोबर इस्तेमाल करते हैं। गोबर खरीदने के बाद उसको सुखाते हैं। गोबर को सुखाकर पाउडर बना लेना है। उसके बाद गोबर को नेचुर बाइंडिंग के साथ मिलाते हैं। पानी की मात्रा संतुलित रखना चाहिए। जिससे गोबर सही तरीके से सांचे में आ जाए।  इसके बाद सांचें में डाले। किसानों को सांचे में डालने के बाद फिनिशिंग का ध्यान रखना होगा। इसके साथ की कलरिंग का भी ध्यान रखना होगा।  सांचे, फाइबर, सिलिकॉन  डाई वाले होने चाहिए। किसानों को अपनी उत्पादन लागत कम रखना है तो सिलिकॉन की डाई का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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किसान, गोबर से सबसे पहले दिया बनाए, ये आसानी से बन जातें हैं और बिक भी जाते हैं। इसके बाद आप राखी भी बना सकते हैं। इसके बाद किसानों को इसका मार्केट देखना होगा। बाज़ार की मांग क्या है? जैसे कि दिये, राखी वगैरह। इससे किसान को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती हैं।

देसी गाय के गोबर से बनाए दिये के अलावा बनाते हैं कई सजावटी सामान

करन सिंह गाय के गोबर से सजावटी सामान बनाते हैं, वो इससे करीब 25 तरह के प्रोडक्ट तैयार करते हैं। गोबर की घड़ी, भगवान गणेशजी की मूर्ती, धूप, गमले तैयार करते हैं। करन सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया इको- फ्रेंडली सामान की तरफ़ बढ़ रही है तो हमने गाय के गोबर के टाइल, ईंट, बनाना शुरू कर दिया हैं। अगर ये प्रयोग सफल हो जाता है, तो हिमाचल के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही हिमाचल से हो रहे पलायन को रोका जा सकता है।

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सरकार की तरफ से कितना मिला सहयोग ?

करन सिंह ने बताया कि अभी तक सरकार की तरफ से किसी तरह का आर्थिक  सहयोग नहीं मिला  है। जब से हमारा बिज़नेस हिमाचल स्टार्टअप में रजिस्टर्ड हुआ है, तब से सरकार की तरफ से जगह-जगह  इवेंट में जाते हैं, इससे हमें फ़ायदा मिला है। इससे काफ़ी मदद मिलती  है।
करन ने कहा कि अगर सरकार की तरफ़ से आर्थिक मदद मिल जाए तो मुझे और हिमाचल के युवाओं को बहुत फ़ायदा मिलेगा। करन सिंह का कहना है कि गाय को अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी कहा जा सकता है।

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कैसे बनाया गाय के गोबर से बनें सजावटी सामान का बाज़ार?

करन सिंह ने बताया कि हिमाचल के लोगों का भरोसा जीतना चुनौतीपूर्ण  था। हिमाचल के लोगों से कहा कि ये इको फ्रेंडली है। कई तरह के चैलेंज आए और इसके साथ ही कई लोगों ने भी सपोर्ट किया। कई लोगों की अलग-अलग जगह से कॉल आती हैं कि हमको आपके बनाए प्रॉडक्ट चाहिए। हम उनको गाय के गोबर से बने सजावटी सामान उपलब्ध कराते हैं, इसके साथ ही त्यौहारों का भी विशेष ध्यान रखते हैं। त्योहारों से अलग हटकर भी किसान इसको बाजार में आराम से बेच सकते हैं, ये केमिकल फ्री और इको-फ्रेंडली होते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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