ऊँटनी का दूध सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद है और गुजरात व राजस्थान के लोग इसका सेवन भी करते हैं। हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने शायद ही ऊँटनी के दूध के बारे में पहले कभी सुना हो। ऊँटनी का दूध लोगों तक पहुंचाने और इसके फ़ायदों के बारे में जागरूक करने का काम कर रहा है आद्विक ब्रांड। Aadvik ब्रांड ऊँटनी के दूध से कई तरह के प्रॉडक्ट्स तैयार करता है। Aadvik के फाउन्डर हितेश राठी से किसान ऑफ़ इंडिया ने ख़ास बातचीत की। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे ऊँटनी का दूध डेयरी का बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।
कैसे आया आद्विक ब्रांड शुरू करने का ख़्याल?
‘आद्विक’ संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है अनोखा। हितेश ऊँटनी के दूध के बारे में जानते थे। इसके फ़ायदों से वाकिफ़ थे। इसलिए उन्होंने सोचा क्यों न ऊँटनी के दूध का ही व्यवसाय किया जाए। उन्होंने रिसर्च की और फिर अपने दोस्त श्रेय कुमार के साथ मिलकर ऊँटनी के दूध से बने उत्पादों का स्टार्टअप शुरू किया, जो देखते ही देखते हिट हो गया। आद्विक ऊँटनी के दूध से कई प्रॉडक्ट्स तैयार करने वाला भारत का पहला ब्रांड है।
कब की शुरुआत?
हितेश राठी बताते हैं कि उन्होंने 2016 में आद्विक ब्रांड की नींव रखी। इस ब्रांड के तहत ऊँटनी के दूध से मिल्क पाउडर, घी, चॉकलेट, साबून सहित कई प्रॉडक्ट्स प्रोसेस कर तैयार किए जाते हैं। ऊँटनी के दूध के फ़ायदों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैल्शियम विटामिन सी से भरपूर यह लैक्टोज-इंटोलरेंट, मधुमेह रोगियों, ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के काफ़ी काम आता है। ऊंटनी का दूध इम्यूनिटी मज़बूत करने में मददगार है। ऊँटनी का दूध उन्होंने कई फ्लेवर में निकाला है। एक बार शुरूआत के बाद हितेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज की तारीख में इस कंपनी का सालाना टर्नओवर साढ़े 4 करोड़ के आसपास है।
बकरी के दूध से भी बनाते हैं कई उत्पाद
ऊंटनी के दूध के अलावा, बकरी के दूध से भी कई उत्पाद बनाकर बेच रहे हैं। इसमें घी, मिल्क पाउडर और साबून शामिल है। वह कहते हैं कि बकरी का दूध बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
किसानों को कैसे जोड़ा अपने साथ?
हितेश के स्टार्टअप से किसानों का भी फ़ायदा हुआ है। उन्हें दूध के लिए खरीदार मिल गया और दूध की मांग बढ़ने से वह ऊंटों की संख्या भी बढ़ाने की सोच रहे हैं। हितेश का कहना है कि उन्हें अपने काम में किसानों का हमेशा से सहयोग मिला है। बाज़ार की मांग के हिसाब से दूध की डिमांड कम ज़्यादा होती रहती है। ऐसे में किसानों ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया। साथ ही वह कहते हैं कि वह पूरी कोशिश करते हैं किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो, इसलिए उनके और किसानों के बीच कोई बिचौलिया नहीं होता है। वह हर 15 दिन में किसानों के बैंक खाते में सीधा भुगतान कर देते हैं।
कितना बड़ा है बाज़ार?
हितेश का कहना है कि ऊंटनी के दूध से बने प्रॉडक्ट महंगे है। इसलिए फिलहाल जिनकी खास ज़रूरत है या जो सेहत के प्रति अधिक जागरुक हैं, वहीं लोग इसे खरीद रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों के अलावा, देश के बाहर भी इसकी मांग है। बकरी के दूध की मांग बच्चों के लिए अधिक है। हितेश बताते हैं कि उन्हें उनकी वेबसाइट से भी ऑर्डर प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, अमेज़न और फ़्लिपकार्ट जैसी कई ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध हैं।
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