Ginger Cultivation: सिक्किम में जैविक अदरक की खेती से आदिवासी किसानों की आजीविका में हो रहा सुधार

निम त्शेरिंग लेपचा की अदरक की खेती (Ginger Cultivation) से प्रेरित नंदोक-नैतम गांव के किसान जैविक खेती से आय बढ़ा रहे हैं, जिससे उनकी ज़िंदगी में बदलाव आया है।

Ginger Cultivation अदरक की खेती

सिक्किम के पूर्वी जिले के नंदोक-नैतम गांव में स्थित निचले नंदोक के अध्यक्ष निम त्शेरिंग लेपचा एक प्रेरणादायक किसान हैं। शुरुआत में, वे अतिरिक्त आय के लिए बेमौसमी सब्ज़ियों की खेती, बड़ी इलायची की खेती, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी जैसे कई कार्यों में लगे थे। हालांकि, इन सभी कार्यों में जितनी मेहनत करनी पड़ती थी, उतना लाभ नहीं मिल रहा था।

गांव में कई किसान जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) में रुचि रखते थे, लेकिन उनके पास सही जानकारी और तकनीकी संसाधनों का अभाव था। निम त्शेरिंग लेपचा भी थोड़े समय के लिए इस फ़सल को लेकर संशय में थे, क्योंकि उन्हें उत्पादन और बिक्री की प्रक्रिया के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी। लेकिन इसके बाद एक नया मोड़ आया, जिसने न केवल उनकी, बल्कि पूरे गांव के किसानों की जिंदगी बदल दी।

वैज्ञानिक मदद और प्रशिक्षण (Scientific help and training)

ICAR KVK, पूर्वी सिक्किम के वैज्ञानिकों ने नंदोक गांव का दौरा किया और किसानों को जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 2013-14 में निम त्शेरिंग लेपचा को 200 किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाले अदरक के प्रकंद दिए गए। इसके बाद, उन्होंने जैविक तरीकों से अदरक की खेती (Ginger Cultivation) की और यह पूरी तरह से सफल रही।

इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों ने निम त्शेरिंग लेपचा को खेती के सही तकनीकी तरीके बताए और खेत में प्रदर्शन के जरिए उन्हें नए तरीकों से वाकिफ कराया। इस तकनीक को अपनाकर उन्होंने अपने खेतों में शानदार परिणाम हासिल किए।

अदरक की खेती से अद्भुत परिणाम (Amazing results from ginger cultivation)

निम त्शेरिंग लेपचा ने जब अदरक की फ़सल लगाई, तो 8.5-9 महीने में फ़सल तैयार हो गई। उन्होंने प्रति हेक्टेयर 137.13 क्विंटल अदरक की उपज ली और प्रति हेक्टेयर 2,84,905 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। यह सफलता न केवल निम त्शेरिंग लेपचा के लिए, बल्कि उनके पूरे गांव के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।

अब नंदोक गांव के ज्यादातर किसान इस जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) में शामिल हो चुके हैं। गांव के लोग भी इस उच्च लाभ वाली खेती के तकनीकों को अपनाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

आदिवासी किसान फुरबा लेपचा की सफलता (Success of tribal farmer Phurba Lepcha)

ऊपरी नंदोक के फुरबा लेपचा को अदरक की खेती (Ginger Cultivation) में माहिर माना जाता है। उनके पास अदरक की खेती का बहुत अच्छा अनुभव है। उन्होंने लगातार दो सालों में 200 किलोग्राम बीज से 6500 किलोग्राम अदरक की फ़सल उगाई। उनके द्वारा उगाए गए अदरक के बीज की मांग अब स्थानीय बाज़ारों में काफी बढ़ गई है। उनकी सफलता ने और भी किसानों को प्रेरित किया और अब इस क्षेत्र में अदरक की खेती एक प्रमुख कृषि गतिविधि बन चुकी है।

खेती का विस्तार और असर (The extent and impact of agriculture)

श्री निम त्शेरिंग लेपचा के खेत में 0.10 हेक्टेयर में शुरू हुई जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) अब 1.0 हेक्टेयर तक फैल चुकी है। नंदोक गांव में अब 8 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अदरक की खेती हो रही है। मक्का उगाने वाले किसानों ने भी इस तकनीक को अपनाया है और अब अदरक को एकल फ़सल के रूप में उगा रहे हैं।

यह सफलता केवल नंदोक तक सीमित नहीं रही, बल्कि आसपास के गांवों जैसे थानज़िंग, ऊपरी खामडोंग, यांगथांग, थंका और लिंगटम में भी अदरक की खेती का विस्तार हो चुका है। अब इन गांवों में क़रीब 50 हेक्टेयर क्षेत्र में अदरक की खेती हो रही है।

आदिवासी समुदाय और अदरक की खेती (Tribal communities and ginger cultivation)

सिक्किम में जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) ने यह साबित कर दिया है कि अगर आदिवासी किसानों को सही तकनीकी ज्ञान और मदद मिलती है, तो वे अपनी आजीविका में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इस खेती से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि उन्होंने खुद को एक सफल किसान के रूप में साबित भी किया है। यह तकनीक अब आदिवासी किसानों के बीच एक आदर्श बन चुकी है, और वे इसे अपनाकर अपने जीवन स्तर को ऊंचा कर रहे हैं।

विपणन और वितरण (Marketing and distribution)

अदरक के ताजे प्रकंद अब स्थानीय व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं को बेचे जाते हैं। इसके विपणन का काम निजी और सरकारी व्यापारियों द्वारा किया जाता है, साथ ही कुछ सहकारी समितियां भी इस प्रक्रिया में शामिल हैं। इसके अलावा, फुरबा लेपचा जैसे किसानों के द्वारा उत्पादित अदरक के बीज की भी बड़ी मांग है। इन बीजों को स्थानीय किसानों द्वारा खरीदा जाता है और यह एक और आय का स्रोत बन गया है।

सीख और भविष्य की दिशा (Lessons learned and future directions)

इस पूरी प्रक्रिया से यह साफ हो जाता है कि जब आदिवासी किसान को सही तकनीक और सहायता मिलती है, तो वह अपनी मेहनत से अद्भुत परिणाम हासिल कर सकता है। जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) ने यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और संसाधनों के साथ आदिवासी किसान न केवल अपनी आजीविका को सुधार सकते हैं, बल्कि क्षेत्रीय विकास में भी योगदान दे सकते हैं।

अदरक की खेती का विस्तार (Expansion of ginger cultivation)

आज की तारीख में, नंदोक गांव से शुरू हुई जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) अब सिक्किम के कई गांवों में फैल चुकी है। यह खेती आदिवासी किसानों के लिए एक नया अवसर बन चुकी है, जिससे उन्हें अपनी मेहनत का अच्छा फल मिल रहा है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहा है।

निष्कर्ष (Conclusion)

सिक्किम में जैविक अदरक की खेती (Ginger Cultivation) आदिवासी किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। इस खेती से वे न केवल अपनी आजीविका को बेहतर बना रहे हैं, बल्कि एक सफल उद्यमी के रूप में भी उभर रहे हैं। यह मॉडल अन्य आदिवासी क्षेत्रों के लिए भी एक आदर्श हो सकता है, जहां जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं।

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