अमूमन कटहल के फल आने में 7 से 8 साल का वक़्त लगता है। मध्य प्रदेश के किसान शोभाराम कुशवाहा ने कटहल की खेती में ऐसी तकनीक ईज़ाद की है, जिसकी बदौलत एक साल में ही कटहल के फल प्राप्त हो रहे हैं।
कटहल की सब्ज़ी आमतौर पर सभी को बहुत पंसद आती है और देश के कुछ हिस्सों में तो त्योहार के अवसर पर इसकी सब्ज़ी ज़रूर बनती है। कुछ लोग इसे देसी चिकन भी कहते हैं। स्वाद से भरपूर कटहल को सब्ज़ी के अलावा पक जाने पर फल के रूप में भी खाया जाता है। वैसे तो कटहल की खेती (Jackfruit Farming) में मुनाफ़ा है, लेकिन इसमें फल 6 से 8 सालों में लगता है। इस वजह से अधिकांश किसान इसे उगाने से कतराते हैं, मगर मध्यप्रदेश के किसान शोभाराम कुशवाहा ने एक ऐसी तकनीक ईज़ाद की, जिसकी बदौलत एक साल में ही कटहल के फल प्राप्त हो रहे हैं। इसलिए इसे आप ‘जादुई’ कटहल कह सकते हैं। कैसे तैयार होता है यह जादुई कटहल, यह जानने के लिए किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता पंकज शुक्ल पहुंचे शोभाराम के फ़ार्म पर।
एक साल में ही कटहल की फसल तैयार
मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान शोभाराम कुशवाहा ने बताया वो कटहल की खेती के लिए देसी कटहल बरुआ सागर से लाए थे। वह इसकी पौध तैयार करने की तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं कि कटहल जब तैयार हो जाता है तो उसका बीज थैली में डालकर तैयार किया जाता है। जब पौधा बड़ा हो जाता है तो उसमें उसी कटहल या दूसरे किसी अच्छे किस्म के कटहल की कलम लगाकर बांध दी जाती है। फिर उसे रोप दिया जाता है। इस तरह से एक साल में ही कटहल आने शुरू हो जाते हैं। उनका कहना है कि भले ही एक कटहल लगे, लेकिन सालभर के अंदर फल लगेगा ज़रूर। उनका कहना है कि उन्होंने इस तरह से कई किसानों को पौधे तैयार करके दिए हैं।
कटहल के पेड़ के सामने किया जलभराव
कटहल की खेती में शोभाराम ने कटहल के पेड़ के आगे से पानी जमा किया हुआ है। इसके बारे में वह बहुत ही दिलचस्प बात बताते हैं। उनका कहना है कि पौधों को सीधे जड़ में पानी देने के बजाय इस तरह से पानी देना अच्छा होता है। ज़मीन में पौधे की छाया जहां तक पढ़ें, उस हिस्से में पानी इकट्ठा करें। ऐसा इसलिए क्योंकि पौधे की छाया जितनी दूरी तक होती है, ज़मीन के नीचे पेड़ की जड़ें उतनी फैली होती हैं।
इसका दूसरा फ़ायदा यह है कि दूर-दूर से आए पक्षी यहां अपनी प्यास बुझा सकते हैं। इसके अलावा, इस तरह पानी फैलाने से पानी ज़मीन के अंदर जाता है। आस-पास के 15 से 20 फ़ीट दूरी के सभी पौधों की जड़ों को भी पानी मिलता रहता है। वह सोलर पंप से पानी डालते हैं, जिसे सरकारी सब्सिडी पर खरीदा है। शोभाराम ने बताया कि पिछले साल उन्हें कटहल की खेती में एक पौधे से ही करीबन 24 हज़ार रुपये की आमदनी हुई।
मिट्टी और जलवायु
वैसे तो कटहल की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी अच्छी फसल के लिए गहरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। जहां तक मौसम की बात है तो इसे शुष्क और नम दोनों प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है।
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