कटहल की खेती (Jackfruit): बाज़ार न मिलने की वजह से कटहल हो रहा खराब? जानिए कैसे इस महिला किसान ने खड़ा किया अपना बाज़ार
कटहल की प्रोसेसिंग कर नुकसान को किया दूर
गोवा में सत्तारी के नागरगांव की रहने वाली कल्पना का परिवार कटहल की खेती करता है। उनकी कटहल की आधे से ज़्यादा उपज बर्बाद ही जाती थी। इसके समाधान के लिए उन्होंने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया।
गोवा में सत्तारी के नागरगांव की रहने वाली कल्पना मराठे आज एक सफल उद्यमी हैं। उनका परिवार कई सालों से खेती-किसानी से जुड़ा हुआ है। उनके परिवार के पास 7.6 हेक्टेयर ज़मीन है, जिसमें वो कई तरह के फलों की बागवानी करते हैं। इन फलों के बाग को स्थानीय भाषा में ‘कुला घर’ कहा जाता है। बाग में ही वो कटहल की खेती भी करते हैं। बाग में कटहल के 10 पेड़ लगे हुए हैं। हर पेड़ से लगभग 25 से 30 कटहल प्राप्त होते हैं। प्रत्येक फल का वजन लगभग 8 से 10 किलोग्राम रहता है। कटहल की मांग आसपास के बाज़ार में कम होने की वजह से ज़्यादातर उत्पादन खराब हो जाता था। वैल्यू एडिशन को लेकर भी जानकारी का अभाव था। कटहल की उपज को हो रहे नुकसान की वजह से परिवार वाले चिंतित थे। इस बीच कल्पना ने 2018 में अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया और कटहल की प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी ली।
कटहल की प्रोसेसिंग शुरू की
कल्पना ने कटहल की प्रोसेसिंग (Jackfruit Processing) से जुड़ी ट्रेनिंग में हिस्सा लिया। कृषि विज्ञान केंद्र ने कल्पना के फ़ार्म में कटहल के चिप्स और पापड़ बनाने की विधि के बारे में प्रैक्टिकल जानकारी दी। इस दौरान ही उनकी रुचि कटहल के बाय-प्रॉडक्ट्स बनाने में हुई। उन्होंने घरेलू स्तर पर इसका उत्पादन शुरू कर दिया।

ब्रांडिंग पर किया काम
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा कल्पना को उत्पादों की ब्रांडिंग के महत्व के बारे में बताया गया। इसके अलावा, KVK ने FSSAI लाइसेंस के लिए FDA के तहत फ़र्म रजिस्टर कराने में कल्पना की मदद की ताकि वो सहकारी स्टोर के माध्यम से अपने उत्पादों को बेच सकें।
बाज़ार में मिलता है अच्छा दाम
कल्पना ने 2020 में 32 किलो कटहल के चिप्स और 36 किलो कटहल के पापड़ बनाए। उन्होंने 200 ग्राम कटहल के चिप्स के पैकेट को 100 रुपये और 200 ग्राम के कटहल के पापड़ के पैकेट को 75 रुपये में बेचा। इस तरह से कटहल के चिप्स से उन्हें करीबन 12 हज़ार रुपये और कटहल के पापड़ से करीब 9 हज़ार रुपये की आमदनी हुई।

इसके अलावा, कल्पना जैकफ्रूट लेदर (आम पापड़ जैसा दिखने वाला खाद्य पदार्थ) भी तैयार करती हैं। इसे वो 400 रुपये प्रति किलो की दर से बाज़ार में बेचती हैं। इससे उन्हें करीबन 14 हज़ार का सीधा मुनाफ़ा हुआ।

कल्पना की इस सफलता को देखकर उनके क्षेत्र की अन्य महिलाओं ने भी कटहल के चिप्स का घरेलू स्तर पर उत्पादन शुरू किया है। ज़िले के केवीके ने उनकी उपलब्धियों को सराहते हुए उन्हें ऐसे किसानों में जगह दी है जो इलाके के लिए रोल मॉडल हैं।

कटहल की खेती से जुड़ी मुख्य बातें
कटहल की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। जहां ज़्यादा बरसात न हो और मौसम भी गर्म रहता हो, ऐसे क्षेत्र में कटहल की खेती अच्छी होती है। गर्म और नम दोनों प्रकार की जलवायु में कटहल को उगाया जा सकता है। पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में भी कटहल की खेती सफलतापूर्वक की जाती है।
कटहल की खेती सभी तरह की मिट्टी मे संभव है। गहरी दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उत्तम मानी जाती है, क्योंकि कटहल की जड़ें काफ़ी गहरी जाती हैं। इसके साथ ही, इसमें जलनिकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव की स्थिति में पौधे के मरने की आशंका रहती है।
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