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राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के किसान अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर पॉलीहाउस में खेती की ओर रुख कर रहे हैं। जहां कभी खेती को मौसम और वर्षा पर निर्भर माना जाता था, वहीं अब तकनीक के सहारे किसान न सिर्फ़ जल संरक्षण कर रहे हैं, बल्कि लाखों की कमाई भी कर रहे हैं। पॉलीहाउस में खेती न केवल सब्जियों और फलों की गुणवत्तापूर्ण पैदावार सुनिश्चित करती है, बल्कि इसे साल भर करना भी संभव बनाती है।
सीकर के श्रवण कुमार महला बने उदाहरण (Shravan Kumar Mahala of Sikar becomes an example)
सीकर जिले के दांतारामगढ़ क्षेत्र के मंगलपुरा गांव के प्रगतिशील किसान श्रवण कुमार महला पॉलीहाउस में खेती के क्षेत्र में मिसाल बन चुके हैं। उन्होंने 2016 में चार पॉलीहाउस बनवाए और खीरे, टमाटर, मिर्ची जैसी सब्जियों की खेती शुरू की। प्रत्येक पॉलीहाउस से वे एक फ़सल में लगभग चार लाख रुपये का मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
श्रवण कुमार महला का कहना है कि पॉलीहाउस में खेती से उत्पादन नियंत्रित तापमान और नमी में होता है, जिससे गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है। उनके अनुसार, “जो किसान पारंपरिक खेती से केवल गुज़ारा कर पाते थे, वही अब पॉलीहाउस में खेती से आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।”
सरकारी योजनाओं से मिल रही मदद (Getting help from government schemes)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से लाई गई योजनाएं, जैसे पॉलीहाउस योजना, किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। सहायक कृषि अधिकारी उदाराम अजमेरा ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा 50% से 95% तक की अनुदान राशि दी जा रही है, जिससे किसान आसानी से पॉलीहाउस बना पा रहे हैं।
पॉलीहाउस में खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें तापमान को नियंत्रित रखने के लिए फोगर सिस्टम, शेड नेट, और ड्रिप सिंचाई सिस्टम लगे होते हैं। इससे न केवल जल की बचत होती है, बल्कि फ़सल की वृद्धि भी बेहतर होती है।
ड्रिप सिस्टम और जल संरक्षण की पहल (Drip systems and water conservation initiatives)
राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में जल की महत्ता को समझते हुए, किसान ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग कर रहे हैं। श्रवण कुमार महला ने अपने पॉलीहाउस के ऊपर वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की है। वर्षा का पानी एक पास के तालाब में एकत्र होता है और वहीं से ड्रिप सिस्टम के जरिए पौधों को सिंचित किया जाता है। इससे बाहरी जल स्रोतों पर निर्भरता खत्म हो जाती है। पॉलीहाउस में खेती से जहां पानी की बचत हो रही है, वहीं सरकार की फॉर्म पॉइंट योजना जैसे कार्यक्रम जल संरक्षण को और गति दे रहे हैं।
कम लागत में अधिक लाभ का माध्यम (A way to earn more profit at a lower cost)
पॉलीहाउस में खेती के माध्यम से किसान साल भर में तीन बार फ़सल उगा सकते हैं। खीरा, टमाटर, मिर्ची जैसी सब्जियों की मांग ऑफ-सीजन में ज़्यादा होती है, जिससे बाज़ार में अच्छा दाम मिलता है। इससे लागत कम और मुनाफ़ा अधिक होता है। राजस्थान के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, “पॉलीहाउस में खेती आने वाले समय में खेती की रीढ़ बनने जा रही है। इस तकनीक से किसानों को जल संरक्षण, कीट नियंत्रण और गुणवत्तापूर्ण उपज जैसे कई फ़ायदे मिलते हैं।”
सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे किसान (Farmers are walking hand in hand with the government)
राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। पॉलीहाउस में खेती करने वाले किसानों को लगातार प्रशिक्षण, अनुदान और मार्गदर्शन दिया जा रहा है। इससे किसान अब पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर नई सोच और नई तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
नवाचारों की ओर बढ़ता शेखावाटी क्षेत्र (Shekhawati region moving towards innovation)
शेखावाटी क्षेत्र, जो कभी पारंपरिक खेती के लिए जाना जाता था, अब पॉलीहाउस में खेती के लिए पहचान बना रहा है। सीकर जिले के कई किसान पॉलीहाउस की मदद से न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य स्तर पर भी अपनी सफलताओं के झंडे गाड़ रहे हैं।
नई सोच, नई खेती (New thinking, new farming)
पॉलीहाउस में खेती ने साबित कर दिया है कि यदि किसान आधुनिक तकनीक को अपनाएं तो जलवायु, जमीन और संसाधनों की सीमाएं कोई बाधा नहीं बनतीं। सरकार की योजनाओं और किसानों की मेहनत ने मिलकर यह सिद्ध कर दिया है कि अब खेती केवल गुज़ारे का साधन नहीं, बल्कि एक लाभकारी व्यवसाय बन सकती है।
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