गन्ना किसान सरकार की योजनाओं और ट्रेनिंग का लाभ लेकर बढ़ा सकते हैं आमदनी, प्रतीक भीमराव ने कई किसानों को अपने साथ जोड़ा

गन्ने का सही समय पर दाम नहीं मिलना किसानों की सबसे बड़ी समस्या, क्या हो सकता है समाधान?

देश में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा गन्ने का उत्पादन होता है। यहां बड़ी संख्या में गन्ना किसान हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में प्रतीक भीमराव ने बताया कि कैसे उन्होंने गन्ने की खेती से मुनाफ़ा लेने के लिए काम किया।

देश में फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आय का एक बड़ा स्रोत बनकर उभर रही है। कई किसान अपनी फसल को प्रोसेस कर बाई प्रॉडक्ट्स बनाकर अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर रहे हैं। भारत में प्रोसेस्ड फ़ूड की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। किसान अगर खुद ही अपनी फसल को प्रोसेस करके ग्राहकों तक पहुंचाए तो ये उन्हें ज़्यादा मुनाफ़ा देता है। भारतीय फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, देश के कुल खाद्य बाज़ार का 32 प्रतिशत है, जो भारत के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। महाराष्ट्र के कोल्हापूर ज़िले के रहने वाले प्रतीक भीमराव गोनुगडे भी एक ऐसे ही किसान हैं। प्रतीक भीमराव न सिर्फ़ गन्ने की खेती कर रहे हैं, बल्कि गन्ने को प्रोसेस कर गुड़ भी बनाते हैं। अगर गन्ना किसान भी अपनी फसल को प्रोसेस कर बाज़ार में बेचे तो उससे  अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में प्रतीक भीमराव ने गुड़ की प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ी कई ज़रूरी बातें बताईं।

देश में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा गन्ने का उत्पादन होता है। 2021-22 में महाराष्ट्र में 11.2 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि उत्तर प्रदेश का 1.1 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद है। प्रतीक भीमराव कहते हैं कि उनके क्षेत्र का वातावरण और भौगोलिक स्थितियां गन्ने की खेती के लिए अनुकूल हैं। इसीलिए वहां बड़ी तादाद में गन्ना किसान हैं। 

महाराष्ट्र क्यों है गन्ने की खेती के लिए अनुकूल?

एग्रीकल्चर विषय से ग्रेजुएट प्रतीक भीमराव एक कृषि परिवार से ही आते हैं। एग्री-क्लिनिक और कृषि-बिज़नेस सेंटर (AC&ABC) योजना के तहत ट्रेनिंग भी ली हुई है। अपने दादा और पिता की खेती-किसानी की विरासत को वो आगे बढ़ा रहे हैं। प्रतीक भीमराव 7 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं। सात एकड़ के क्षेत्र से प्रति एकड़ 60 से 65 टन गन्ने का उत्पादन हो जाता है। प्रतीक बताते हैं कि कोल्हापूर क्षेत्र में बारिश के दिनों में खेतों में 10-10 फ़ीट तक पानी भर जाता है। गन्ने की खेती में पानी की ज़्यादा जरूरत पड़ती है। इस लिहाज़ से क्षेत्र की जलवायु धान और गन्ने की खेती के लिए सबसे ज़्यादा उपयुक्त होती है।

सीधा किसानों से खरीदते हैं गन्ना ताकि उनकी भी हो आमदनी

गन्ना किसानों को अक्सर समय पर भुगतान न मिलने की शिकायत रहती है। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसानों को अपने साथ जोड़ा। वो इन किसानों से गन्ना खरीदते हैं और उसको गुड़ बनाने में इस्तेमाल में लाते हैं। आज की तारीख में 80 से 90 किसान उनसे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

गन्ना किसान गन्ने की खेती sugarcane farming

कैसे तैयार किया जाता है गुड़?

प्रतीक भीमराव की प्रोसेसिंग यूनिट में तैयार होने वाला गुड़ स्थानीय बाज़ार में Agro Pure Jaggary ब्रांड के नाम से बिकता है। सीज़न में दिन का 1000 किलो गुड़ का उत्पादन हो जाता है। बाज़ार में 50 से 60 रुपये प्रति किलो तक का दाम मिल जाता है। खेत से गन्नों की कटाई के बाद उन्हें पेराई की मशीन में डाला जाता है। जो रस निकलता है उसे फिर बड़े से बर्तन में कई घंटों तक गरम किया जाता है। ये प्रोसेस सबसे अहम होती है। गाढ़ा होने के बाद गुड़ के लिक्विड फ़ॉर्म को किसी बड़े बर्तन में निकाल लिया जाता है। फिर टुकड़ों में काट दिया जाता है, जिसे भेली कहते हैं। प्रतीक बताते हैं कि 1200 लीटर गन्ने के जूस से 200 से 250 किलो गुड़ बन जाता है। जूस को बनाते वक़्त स्वच्छता का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि एक गलती आपको बड़ा नुकसान करा सकती है।

प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में कितनी आती है लागत?

किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में प्रतीक ने बताया कि गुड़ की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में 20 से 25 लाख तक का खर्च आता है। इसे कई गन्ना किसान मिलकर लगा सकते हैं या फिर लोन लेकर भी इसे लगाया जा सकता है। सरकार कई स्कीम के ज़रिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर सब्सिडी भी देती है। प्रतीक आगे बताते हैं कि बड़े स्तर एक यूनिट को चलाने में 25 से 30 लोगों की ज़रूरत पड़ती है।

सेहत के लिए फ़ायदेमंद है गुड़

आमतौर पर लोग सर्दियों के मौसम में ही गुड़ खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसकी तासीर गरम होती है। पर इसे साल भर भी खाया जा सकता है और शरीर को इसे ढेरों लाभ भी मिलते हैं। प्रतीक बताते हैं कि गुड़ आयरन का एक अच्छा स्रोत है। ये शरीर में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की मात्रा को बढ़ाता है। गुड़ खाने से शरीर में लाल रक्‍त कोश‍िकाओं की मात्रा बढ़ जाती है। पाचन प्रक्रिया अच्छी होती है। अंदर से शरीर को साफ़ करता है। 

jaggery food processing unit गन्ना किसान गन्ने की खेती sugarcane farming

गन्ने की खेती करते हुए किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी?

गन्ने की फसल 12 से 18 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रतीक बताते हैं कि एक गन्ना किसान को फसल लगाने के बाद उर्वरक, खाद और पानी की ज़रूरत का ध्यान रखना होता है। खेत में पनप रहे खरपतवारों को समय-समय पर साफ करते रहना ज़रूरी होता है। ये प्रक्रिया सालभर करनी होती है। गर्मियों में लगभग 10 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना सही रहता है। बारिश के मौसम में  में गन्ने की बढ़त अच्छी होती है। 15 दिन तक बारिश न होने पर एक सिंचाई करना उपयोगी रहता है।

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फ़ूड प्रोसेसिंग को सरकार भी दे रही है बढ़ावा

सरकार भी प्रोसेसिंग के कारोबार को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी मंत्रालय की वेबसाइट के इस लिंक mofpi.nic.in पर क्लिक करें। यहां आपको सबसे पहले खूद को रजिस्टर करना होगा। फिर आवेदक लॉग इन आईडी से लॉग इन करके वेबसाइट पर दिये गये दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।

गन्ना किसान अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर गन्ने की खेती और इससे जुड़ी प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में जानकारी ले सकते हैं। ज़्यादा जानकारी के लिए लखनऊ स्थित ICAR-Indian Institute of Sugarcane Research से 0522-2480726 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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