कैसे हैं बागपत के धान किसानों के असल हालात? किसान ऑफ़ इंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट

सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं लेकर आती हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच भी पाता है या नहीं, इसका जायज़ा हमारी टीम ने खुद ग्राउंड में जाकर किसानों से बात करके लिया।

कैसे हैं बागपत के धान किसानों के असल हालात? किसान ऑफ़ इंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट

किसान ऑफ़ इंडिया की टीम बागपत के सिसाना गाँव पहुंची। यहां धान की खेती कर रहे किसानों के हालात का जायज़ा हमारी टीम ने लिया। 9 एकड़ में धान की खेती कर रहे अनिल चौहान ने धान की किस्म 1121 की फसल अपने खेत में बोई हुई है। इसमें चार क्विंटल बीघे का उत्पादन हो जाता है। किसान अनिल चौहान बताते हैं कि इस बार बारिश अच्छी होने की वजह से धान की खेती में उन्हें कोई समस्या तो नहीं आई, लेकिन बिजली का खर्च ज़्यादा रहता है। 

आस-पास नहीं है मंडी की व्यवस्था

उधर एक और किसान सत्यवीर चौहान भी धान की  1121 किस्म की फसल की खेती करते हैं। इससे करीबन चार क्विंटल का उत्पादन हो जाता है। सत्यवीर चौहान बताते हैं कि उनके क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है कि आस-पास मंडी की व्यवस्था नहीं है। उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए ज़्यादातर हरियाणा जाना पड़ता है। धान की फसल से पहले सत्यवीर चौहान ने 2 एकड़ की ज़मीन पर सब्जी भी उगाई थी। लेकिन सब्जियों की खेती से उन्हें कुछ नहीं मिला क्योंकि बाज़ार ही बंद थे। सब्जी की खेती से लागत का भी पैसा नहीं निकल पा रहा था। ऐसे में फिर उन्होंने वापस से धान की खेती का रूख किया। सत्यवीर चौहान आगे बताते हैं कि आजकल खेती करने में लागत ज़्यादा लग जाती है, कृषि से जुड़ी हर चीज़ महंगी हो रही है, तो बचत नहीं हो पाती। प्रति एकड़ धान की खेती से खर्चा निकाल कर 25 से 30 हज़ार की कमाई हो जाती है। 

5 बीघा ज़मीन की धान पूरी तरह बर्बाद

वहीं गाँव के एक और किसान ने किसान ऑफ़ इंडिया की टीम से अपने खेती से जुड़ी समस्या का ज़िक्र किया। 18 से 20 बीघा ज़मीन पर धान की खेती कर रहे संजय कुमार कि इस साल बारिश के कारण 5 बीघा ज़मीन की धान पूरी तरह बर्बाद हो गई। संजय कुमार ने इस साल आस लगाई थी कि सब कुछ ठीक रहेगा, लेकिन पिछले तीन साल की तरह ही इस साल भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इस बार उन्होंने खेत में धान भी कम लगाया था, धान के साथ ही जमीन पर सब्जी की खेती भी की थी, लेकिन गाजर की फसल भी बारिश के कारण खत्म हो गई।

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नहीं मिल पाता योजनाओं का लाभ

सरकारी व्यवस्था से हताश किसान संजय कुमार कहते हैं कि अधिकारियों के पास जाने के बाद भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। आज स्थिति ये है कि लागत का पैसा, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, घर का खर्च, बढ़ते बिजली के बिल, किसानों को कुछ नहीं मिल रहा। किसान 1700 से लेकर 1800 रुपये तक प्रति महीने की दर से बिजली का बिल चुका रहा है। संजय कुमार कहते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में किसान कैसे खुशहाल रहेगा। संजय कुमार ने बताया कि सरकार अपनी तरफ से अच्छा काम कर रही है, किसान सम्मान निधि का पैसा समय से आ जाता है। लेकिन एक तो ऊपर से मौसम की मार और नीचे धान इतना मंदा की लागत का पैसा नहीं मिल पाता।

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