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Sesame Cultivation: गर्मियों में तिल की खेती करना किसानों के लिए क्यों फ़ायदेमंद?

25 से 40 डिग्री तापमान में होती है तिल की अच्छी फसल

आमतौर पर तिल की खेती को मुनाफ़े का सौदा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें पैदावार कम होती है, लेकिन तिल की खेती यदि उन्नत तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। उन्नत किस्म के बीजों के साथ गर्मियों के मौसम में तिल की खेती करना अच्छा रहेगा, क्योंकि यह मौसम तिल के लिए उपयुक्त होता है।

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Sesame Cultivation: कॉपर, मैंगनीज और कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मोलिब्डेनम, विटामिन बी 1, सेलेनियम और डायट्री फाइबर से भरपूर तिल की खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में की जाती है।

वैसे तो साल में इसकी तीन फसलें प्राप्त की जाती हैं, मगर गर्मियों में तिल की खेती करना अच्छा विकल्प है, क्योंकि इस मौसम में अधिक पैदावार प्राप्त होती है। गर्म जलवायु में तिल का अंकुरण अच्छी तरह होता है और रोग व कीटों क प्रकोप भी कम होता है।

तिल की खेती के लिए कैसी हो जलवायु और मिट्टी? 

तिल की अच्छी पैदावार  के लिए लंबा गर्म मौसम अच्छा होता है। 20 डिग्री से कम तापमान में तापमान में तिल का अंकुरण अच्छी तरह से नहीं होगा। अच्छी फसल के लिए तापमान 25 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। गर्मियों के मौसम में वैसे तो इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन काली मिट्टी में लगाने पर अच्छी फसल प्राप्त होती है। बहुत अधिक बालुई  और क्षारीय मिट्टी इसके लिए उपयुक्त नहीं है। मिट्टी का पी.एच. (pH value) मान 8 होना चाहिए और जल निकासी की अच्छी व्यवस्था ज़रूरी है।

तिल की खेती

तिल की खेती Sesame Cultivation
तिल की खेती – तस्वीर साभार- prnewswire

उन्नत किस्में

गर्मियों के मौसम में तिल की इन किस्मों की खेती से अधिक पैदावार मिलेगी। टी.के.जी. 21 किस्म 80 से 85 दिनों में तैयार हो जाती है और इससे करीब 6 से 8 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है। इसके अलावा टी.के.जी. 22, जे.टी. 7, 81,27, आदि भी लगा सकते हैं। ये क़िस्में  75 से 85 दिनों में तैयार हो जाती हैं और 30 से 35 दिनों में फूल भी आने लगते हैं। इन किस्मों की प्रति हेक्टेयर पैदावार 8-10 टन है।

तिल की खेती

खेत की तैयारी और बुवाई

बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और पाटा चलाकर इसे समतल करना ज़रूरी है। खेत तैयार करते समय इसमें गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट उचित मात्रा में डालें। ध्यान रहे कि बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी हो ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सकें। गर्मियों में खेती के लिए बुवाई फरवरी में की जाती है। इसकी बुवाई दो तरीकों से की सकती है – लाइन और छिड़काव विधि।

छिड़काव विधि से बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज की ज़रूरत होती है, जबकि लाइन में बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की ज़रूरत होती है। ज़्यादा उपज के लिए पौधों से पौधों की दूरी 10-15 सेमी. रखनी चाहिए और पंक्ति से पंक्ति के बीच  30 से 45 सेमी. की दूरी होनी चाहिए। जड़ व तना गलन रोग से बचाव के लिए बीजों की बुवाई से पहले उन्हें उपचारित करना ज़रूरी है।

तिल की खेती Sesame Cultivation
तिल की खेती Sesame Cultivation तस्वीर साभार- agrifarming

खाद और सिंचाई

तिल की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खाद का सही मात्रा में उपयोग ज़रूरी है। बुवाई के समय 1.5 टन गोबर की खाद के साथ एजोटोबेक्टर व फॉस्फोर विलय बैक्टीरिया (पीएसबी) 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बुवाई के समय और आधी मात्रा को बुवाई के 25-30 दिन बाद डालें। जहां तक सिंचाई का सवाल है, तो गर्मियों के मौसम में 8-10 दिनों में सिंचाई  करनी चाहिए।

तिल की खेती

कब करें फसल की कटाई

जब फसल पक जाती है, तो तने और फलियों का रंग पीला पड़ने लगता है। यानी इस समय कटाई कर लेनी चाहिए। ज़्यादा समय तक फसल खेत में छोड़ने से फ़लियां फटने लगती हैं और बीज बिखर जाते हैं।

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