पिछले कुछ साल में प्राकृतिक खेती पर बहुत ज़ोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील कर चुके हैं। कृषि से जुड़ी कई जानी-मानी संस्थाएं प्राकृतिक खेती का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। इसके ज़रिए देश के 80 फ़ीसदी छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने का उद्देश्य है।
टेस्टिंग लैब में होगी फसलों की जांच
इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि उत्तर प्रदेश में अब प्राकृतिक खेती के अनाज की ब्रांडिंग की जाएगी। प्राकृतिक खेती ( Natural Farming) से जो खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है, उसकी जांच के लिए 18 मंडलों में टेस्टिंग लैब स्थापित किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। ये बात उन्होंने नीति आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
किसानों के लिए बनाई जाएगी अलग से मंडी व्यवस्था
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़े क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसके परिणाम भी अच्छे देखने को मिल रहे हैं। साथ ही प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को उचित दाम मिल सके, इसके लिए मंडियों में अलग से व्यवस्था बनाने का काम भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा, बुंदेलखंड के सात ज़िलों में प्राकृतिक खेती को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने की बात कही गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश ने 2020-21 में 619 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन किया। इस तरह से उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाले राज्य बना।
केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती शामिल
केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती को शामिल किया गया है। इसके लिए सीएम योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि 2020 में प्रदेश में नमामि गंगे यात्रा निकाली गई थी। इसके बाद प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसके तहत प्रदेश के करीबन 700 से ज़्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती को लेकर ट्रेनिंग दी गई थी। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि उनका लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करने का है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करने का है।
प्राकृतिक खेती पर सब्सिडी
इस कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्राकृतिक खेती करने वालों को सब्सिडी देने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि 2020 में नमामि गंगे यात्रा के दौरान प्रदेश में गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियों के दोनों तटों पर 05-05 किलोमीटर के दायरे में किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से औद्यानिक फसल या खेती के लिए अगले 3 साल तक सब्सिडी देते हुए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी थी। इसमें कृषि वानिकी को भी सम्मिलित किया गया है। इससे 2 लाख से अधिक किसानों को जोड़ा गया है।
प्राकृतिक खेती क्यों फ़ायदेमंद?
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जैविक खेती में एक चक्र होता है, जिसे पूरा करने के बाद ही यह खेती अपने पूर्व की स्थिति में आती है। लघु एवं सीमान्त किसान इसका इन्तजार नहीं कर सकते। इसलिए जैविक खेती को अपनाना किसानों के लिए कठिन होता है, लेकिन प्राकृतिक खेती के ज़रिए किसान पहले ही वर्ष से गौ-आधारित खेती के माध्यम से अच्छी आमदनी ले सकते हैं।
देश के लगभग 80 फ़ीसदी छोटे किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफ़ी खर्च केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। साथ ही, खेती की नयी तकनीकों और रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से खेत की उपज क्षमता पर भी असर पड़ता है। धीरे-धीरे ज़मीन बंजर होती जाती है। प्राकृतिक खेती, किसानों की इन दोनों समस्याओं का हल है। इससे किसानों की उत्पादन लागत कम होगी। कम लागत में ज़्यादा और अच्छी गुणवत्ता की पैदावार मिलेगी। इस वजह से उपज को बाज़ार में अच्छा दाम भी मिलेगा।