ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation): हमारे देश में ऊर्जा की खपत तेज़ी से बढ़ रही है, मगर इसके वैकल्पिक स्रोत इतने नही है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि हर कोई ऊर्जा के उपलब्ध स्रोतों का इस्तेमाल बहुत सावधानी से करे। खासतौर पर महिलाओं की ज़िम्मेदारी अधिक होती है, क्योंकि घरेलू काम में भी ऊर्जा की बहुत खपत होती हैत जिसे थोड़ी समझदारी दिखाकर महिलाएं कम कर सकती हैं। साथ ही उन्हें आधुनिक मशीनों और सुविधाओं के बारे में पता होना चाहिए, तभी वो ऊर्जा सरंक्षण में अपना अहम योगदान दे सकती हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक विश्व की आबादी 8.2 मिलियन तक पहुंच जाएगी, ऐसे में ज़ाहिर सी बात है कि ऊर्जा की खपत बहुत बढ़ेगी। किसी भी देश या क्षेत्र के विकास में ऊर्जी की अहम भूमिक होती है, इसलिए ज़रूरी है कि इसका बहुत ही सोच-समझकर इस्तेमाल किया जाए। कृषि में भी महिलाओं की भागीदारी है ऐसे में ऊर्जा सरंक्षण के उपायों को अपनाकर वो इस क्षेत्र में भी अपना अहम योगदान दे सकती हैं।
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छोटी मगर महत्वपूर्ण बातें
– जब हम घरेलू काम में ऊर्जा सरंक्षण की बात करते हैं तो इसकी शुरुआत महिलाओं को किचन से ही करनी चाहिए। गैस की बचत के लिए खाने को बहुत देर तक न पकाएं।
– कड़ाही या पतीले की बजाय कुकर में खाना बनाएं।
– गैस जलाने से पहले ही सारी तैयारी कर लें और सभी चीज़ें सामने रखें।
– सब्ज़ी पकाने के लिए बहुत ज़्यादा पानी न डालें ताकि उसे देर तक सुखाना पड़े।
– दाल को आधे घंटे पहले पानी में भिगो दें, इससे वो जल्दी पक जाएगी।
ऊर्जा की बचत करने वाले संयंत्र
महिलाएं इन संयंत्रों का इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत कर सकती हैं।
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घरेलू सोलर लाइट– घर की छत पर सोलर पैनल स्थापित किया जाता है। यह पैनल दिन के समय सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और इसे बिजली में बदल देता है जिसे सोलर बैटरी में स्टोर किया जाता है। सोलर लाइट की खासियत यह है कि रात में अपने आप स्टार्ट हो जाती है और दिन में बंद हो जाती है।
सोलर कुकर– यह खास तरह का उपकरण है जो सौर ऊर्जा से चलता है। इसका इस्तेमाल करने पर कोयला, लकड़ी, बिजली, गैस आदि की ज़रूरत ही नहीं पड़ती है यानी ईंधन की बचत होती है। साथ ही इससे किचन में प्रदूषण भी नहीं होता है और खाना अधिक पौष्टिक भी बनता है।
सोलर लैन्टर्न– सौर ऊर्जा पारंपरिक ऊर्जा का बेहतरीन विकल्प है। इसके इस्तेमाल से बहुत से काम किए जा सकते हैं। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए कई तरह के संयंत्र बने हैं, इन्हीं में से एक है सोलर लैन्टर्न जो कि ऐसे इलाकों के लिए बहुत उपयोगी है जहां बिजली नहीं है या ज़्यादा समय बिजली नहीं रहती है। यह बच्चों को रात में बढ़ने की भी सुविधा देता है। इसमें 60 वॉट के बल्ब जितनी रोशनी आती है।
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सोलर पंप– इसके इस्तेमाल से डीजल, बिजली और केरोसीन की ज़रूरत नहीं पड़ती है। इस तरह से ऊर्जा की बचत होगी और किसानों को फायदा। यह पंप 600 से 900 वॉट की क्षमता के साथ सिंचाई कर सकते हैं। कई राज्य किसानों को सोलर पंप प्रदान करने के लिए योजनाएं चला रहे हैं जिसकी जानकारी आपको ऑनलाइन मिल जाएगी।
गैसी फायर– इस खास संयंत्र की मदद से सिंचाई के लिए बिजली का उत्पादन किया जाता है।
बायोमास– यानी कि कचरे, हरा चारा और कृषि उत्पादों पर एक खास तरह का बैक्टीरिया डालकर ऊर्जा प्राप्त की जाती है। बायोमास से एक घंटे में एक हॉर्स पॉवर बिजली प्राप्त करने के लिए एक किलो लक़ड़ी की खपत होती है।
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बायोगैस– यह एक जैव रासायनिक प्रक्रिया से उत्पन्न किया जाता है, जिसमें कुछ खास तरह के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायो-गैस में बदल देते हैं। इस गैस का इस्तेमाल किचन में खाना बनाने के लिए किए जा सकता है। इतना ही नहीं बायोगैस के बचे अपशिष्ट का उपयोग खाद के रूप में करना बहुत लाभदायक होता है।
चाहे घर हो या खेत हर जगह महिलाओं का अहम योगदान है, ऐसे में ऊर्जा सरंक्षण के लिए उनके द्वारा उठाया गया कदम बहुत मायने रखता है।