कोरोना वायरस को लेकर मार्केट की सुस्ती और मंदी के इस दौर में चीनी निर्यात से जुड़ी राहत देने वाली खबर आई है। चीनी मिलों ने सितंबर में समाप्त हो रहे 2020-21 मार्केटिंग ईयर में अब तक 5.11 मिलियन टन चीनी का निर्यात किया है। ट्रेड बॉडी अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने जानकारी दी कि निर्यात की गई चीनी का मूल्य लगभग 18,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा का रहा है। ये आंकड़ा विशेष रूप से महामारी से प्रभावित साल में न केवल देश की निर्यात आय में योगदान देता है, बल्कि किसानों को गन्ना मूल्य चुकाने के लिए चीनी मिलों के हाथ में नकदी का इज़ाफ़ा भी करता है।
इंडोनेशिया को हुआ सबसे ज़्यादा निर्यात
2020-21 मार्केटिंग ईयर में अब तक चीनी का उत्पादन 307 लाख टन तक हुआ है, जिसके 310 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। बता दें कि चीनी का मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। चीनी मिलों ने एक जनवरी से पांच अगस्त 2021 तक कुल 51.1 लाख टन चीनी का निर्यात किया। इसके अलावा 2,02,521 टन चीनी लदान की प्रक्रिया में है। साथ ही अतिरिक्त 6,78,237 टन चीनी, डिलीवरी के लिए बंदरगाह स्थित रिफाइनरियों को देने के लिए लाइन में है।
2020-21 मार्केटिंग ईयर में किए गए कुल निर्यात में से अब तक इंडोनेशिया को अधिकतम 1.69 मिलियन टन का निर्यात किया गया है। इसके बाद अफ़गानिस्तान को 6,23,967 टन और यूएई में 4,60,816 टन और श्रीलंका में 3,78,280 टन का निर्यात किया गया है।
लंबित पड़े सब्सिडी क्लेम के भुगतान का अनुरोध
AISTA ने साथ ही सरकार से पिछले वर्षों के लंबित कई निर्यात सब्सिडी क्लेम को जल्द से जल्द दूर करने का भी अनुरोध किया। AISTA ने कहा कि पिछले वर्षों के कई निर्यात सब्सिडी क्लेम का अभी तक निपटारा नहीं हुआ है, जिसका शीघ्र भुगतान हो क्योंकि मिलों को सीजन शुरू होने से पहले धन की आवश्यकता होती है।
वहीं AISTA ने जानकारी दी कि चीनी मिलों ने इस साल जनवरी में खाद्य मंत्रालय द्वारा सौंपे गए पूरे 60 लाख टन चीनी कोटे का एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट किया है। इसके अलावा बिना सब्सिडी समर्थन के खुले सामान्य लाइसेंस (OGL) के तहत अतिरिक्त 8,00,000 टन चीनी निर्यात का कान्ट्रैक्ट भी किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चीनी का भाव
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव 11 अगस्त 2021 को 19.59 सेंट प्रति पाउंड हो गया, जो कि 10 जुलाई को 17.28 सेंट प्रति पाउंड था। लगभग 13.4 प्रतिशत की हुई इस वृद्धि का कारण ब्राजील में मौसम की समस्या है। दुनिया के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक और चीनी निर्यातक ब्राजील इस वक़्त सूखे की मार झेल रहा है। इससे उसकी उत्पादन क्षमता में भी कमी आई है। इसके लिए ब्राजील ने एडवांस में आपूर्ति सूरक्षित रखने के लिए भारतीय व्यापारियों से डील भी की है।