खरीफ की MSP से तो लागत की भरपायी भी नहीं होगी, छत्तीसगढ़ किसान सभा नाराज़

किसान नेताओं का कहना है कि केन्द्र सरकार की ओर से जिस MSP के ज़रिये किसानों को निहाल करने का दावा किया जाता है, उसका फ़ायदा भी 94% किसानों को नहीं मिल पाता। यही वजह है कि देश का किसान समुदाय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले क़ानून बनाने की माँग कर रहा है। इस क़ानून के बग़ैर MSP में होने वाली बढ़ोत्तरी व्यर्थ है।

खरीफ की MSP से तो लागत की भरपायी भी नहीं होगी, छत्तीसगढ़ किसान सभा नाराज़

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कहा है कि खरीफ फसलों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसानों की बदहाली और बढ़ेगी, क्योंकि जिन मुट्ठी भर किसानों को MSP का लाभ मिल पाता है, उनके लिए भी नयी क़ीमतें लाभकारी नहीं हैं। इससे तो उनकी लागत की भरपायी नहीं हो सकती।

महँगाई बढ़ी 6% तो MSP बढ़ा 3.6%

रायपुर में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिये छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार समर्थन मूल्य में हुई बढ़ोत्तरी सिर्फ़ 1.08% से 6.59% के बीच है। इसका औसत 3.6% ही बैठता है। जबकि सरकारी आँकड़ों के मुताबिक ही खुदरा महँगाई दर 6% से अधिक है। इसका असली मतलब ये हुआ कि रुपये की क्रय-शक्ति के हिसाब से देखें तो सरकार ने किसानों के लिए खरीफ की फसलों का MSP बढ़ाया नहीं बल्कि घटा दिया है।

साल भर में 35% बढ़ा डीज़ल का दाम

किसान नेताओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ में धान और मक्का प्रमुख फसलें हैं। इनके  MSP में भी क्रमशः 3.85% और 1.08% का ही इज़ाफ़ा हुआ है। दूसरी ओर बीते साल में ही डीज़ल का दाम 25 रुपये प्रति लीटर यानी 35% से अधिक बढ़ गया है। 10 जून 2020 को डीज़ल का दाम करीब 71 रुपये प्रति लीटर था जो अब एक साल बाद 96 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है। इसी तरह सिंचाई, खाद, कीटनाशक, मज़दूरी, ढुलाई वग़ैरह हरेक तरह की लागत में भारी वृद्धि हुई है। इन्हीं वजहों से खेती-किसानी और घाटे का पेशा बन चुका है।

उन्होंने कहा कि सिर्फ़ डीज़ल के दाम के कारण खेती की लागत में 700 से 1000 रुपये प्रति एकड़ बढ़ गयी है। दूसरी ओर MSP को सरकार ने A-2+FL फार्मूले के आधार पर बढ़ाया है, जबकि किसान आन्दोलन की ओर से बारम्बार स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार C2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की माँग की जा रही है।

ये भी पढ़ें – खरीफ सीज़न के लिए नयी MSP का एलान, दलहनी और तिलहनी फसलों को प्रोत्साहन

94% किसानों को MSP से फ़ायदा नहीं

किसान नेताओं का कहना है कि ये आँकड़े जगज़ाहिर हैं कि केन्द्र सरकार की ओर से जिस MSP के ज़रिये किसानों को निहाल करने का दावा किया जाता है, उसका फ़ायदा भी 94% किसानों को नहीं मिल पाता। यही वजह है कि देश का किसान समुदाय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले क़ानून बनाने की माँग कर रहा है। इस क़ानून के बग़ैर MSP में होने वाली बढ़ोत्तरी व्यर्थ है।

Kharif Season MSP

MSP की गारंटी वाला क़ानून बने

उन्होंने कहा कि किसानों की ओर से 11 दौर की बातचीत में बार-बार सरकार को इन्हीं ज़मीनी हक़ीक़त के बारे में विस्तार से बताया गया कि तीनों कृषि क़ानूनों में काला क्या है और क्यों इन्हें वापस लिया जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि इन क़ानूनों में कोई भी सुधार इसके कॉर्पोरेटपरस्त चरित्र को नहीं बदल सकता और इसलिए इन्हें वापस लिये जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले क़ानून के बनाये जाने तक किसान का देशव्यापी आन्दोलन जारी रहेगा।

ये भी पढ़ें – क्यों खेती में सिर्फ़ अनाज उगाने से किसान अच्छी कमाई नहीं कर सकता?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top