Elephant Apple Farming: क्या आप जानते हैं एलिफेंट एप्पल यानी हाथी सेब के बारे में? क्या भविष्य में बढ़ सकता है इसका कारोबार ?
हाथियों का पसंदीदा है ये फल, तोड़ने पर है प्रतिबंध
एलिफेंट एप्पल (Elephant Apple) के फल के साथ-साथ इसकी पत्तियां और डाल को भी इस्तेमाल में लाया जाता है। इस लेख के ज़रिये जानिए क्या है इसका इस्तेमाल और मुख्य रूप से इस फल की खेती कहां-कहां होती है?
भारत बागवानी वाली फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, यानी फल और सब्ज़ी उत्पादन में हम पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर हैं। हमारे देश में अनगिनत फलों की खेती की जाती है। इन्हीं में से एक है सेब। सेब की खेती ज़्यादातर पहाड़ी इलाकों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन क्या आपने कभी एलिफेंट एप्पल (Elephant Apple) या हाथी सेब के बारे में सुना है? इस लेख में हम आपको Elephant Apple के बारे में बताने जा रहे हैं।
हाथियों का पसंदीदा है ये फल
एलिफेंट एप्पल का वानस्पतिक नाम Dillenia Indica (डिलिनिया इंडिका) है। इसे ‘चल्ता’ भी कहा जाता है। इसके पेड़ पूर्वोत्तर के घने जंगलों में पाए जाते हैं, और इनकी लंबाई करीब 15 मीटर के आसपास होती है। इन जंगलों से एलिफेंट एप्पल यानी हाथी फल की कटाई पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसकी वजह है कि ये फल जंगली हाथी के पसंदीदा फलों में से एक माना जाता है।
फल से बनाए जाते हैं अचार और जैम
हालांकि, जंगल और रिज़र्व फॉरेस्ट से बाहर पाए जाने वाले हाथी सेब के पेड़ों से फलों की कटाई पर कोई रोक-टोक नहीं है। इसके फल से अचार, जैम बनाने के अलावा स्थानीय व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
पत्तियों से लेकर डाल तक का होता है इस्तेमाल
इसकी पत्तियों का इस्तेमाल हाथी के दांतों को साफ करने में किया जाता है। इसके रस का इस्तेमाल तेल की तरह गंजेपन को रोकने के लिए सिर पर लगाने के लिए किया जाता है। मुंह के संक्रमण के इलाज के लिए इसकी डाल का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है।
मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में होती है एलिफेंट एप्पल की खेती
इसका फल हरे रंग का होता है, जो आकार में बड़े सेब के समान होता है। एलिफेंट एप्पल का पौधा दलदली मिट्टी और नमी वाले वातावरण में पनपता है। इसकी पत्तियां 15 से 36 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। एलिफेंट एप्पल के खुशबूदार फूल 5 इंच तक बड़े होते हैं, जिसकी पंखुड़ियां सफेद रंग की होती हैं।
एलिफेंट एप्पल मूल रूप से दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है। भारत, श्रीलंका, चीन, वियतनाम, थाईलैंड और इंडोनेशिया में मुख्य रूप से इसके पेड़ पाए जाते हैं।
जानिए कब आते हैं फूल?
हाथी सेब के बारे में वो लोग ही जानते हैं, जहां ये मुख्य रूप से उगता है। शहरी इलाकों में इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। देश के कुछ हिस्सों में छोटे पैमाने पर इसकी खेती होती है। पूर्वोत्तर के अलावा, बिहार, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, कोलकाता और मध्य प्रदेश के शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती होती है। इसके पेड़ कुमाऊं और गढ़वाल के उप-हिमालयी क्षेत्रों के घने जंगलों में भी पाए जाते हैं। हाथी सेब के पेड़ में फूल जून से जुलाई महीने में आने लगते हैं। फिर अक्टूबर से जनवरी तक फल आने लगते हैं।
भारत में इसकी व्यावसायिक रूप से खेती नहीं की जाती है, लेकिन इसके औषधीय गुणों को देखते हुए भविष्य में इससे जुड़े कारोबार शुरू होने की पूरी -पूरी संभावना तो है ही।
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