लहसुन की खेती पार्ट 3 (Garlic Farming): कहां और कैसे बेचें अपनी फसल? जानिए कौन-कौन से हैं विकल्प
सही समय पर खरीदार न मिलने पर लहसुन की फसल को हो सकता है भारी नुकसान
किसान ऑफ़ इंडिया की टीम अक्सर बाज़ार की समस्या (marketing of produce)पर एक्सपर्ट किसानों से बात करती रही है। इस लेख में हम लहसुन की खेती कर रहे किसानों के लिए बाज़ार के कुछ विकल्प लेकर आए हैं।
लहसुन की फसल मसाला फसलों में गिनी जाती है। इस समय लहसुन की खेती ज़ोरों पर चल रही है। 2020-21 में तकरीबन 3.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 31 लाख मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन होने का अनुमान है। अक्टूबर से मध्य दिसंबर के बीच का वक़्त लहसुन की बुवाई के लिए सबसे सही माना जाता है। लहसुन की फसल के लिए तापमान एकदम संतुलित चाहिए होता है यानी कि न ज़्यादा गरम और न ही ज़्यादा ठंडा। ऐसे तापमान में लहसुन की फसल अच्छी होती है।
लहसुन की औसत उपज 100 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। लहसुन की उपज किस्मों और फसल की देखरेख पर भी निर्भर करती है। किस्मों के हिसाब से भी इसका दाम तय होता है। औसतन, लहसुन की फसल 30 से 50 रुपये प्रति किलो तक आसानी से बिक जाती है। इसीलिए किसान लहसुन की फसल कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। लेकिन कई बार किसानों को सही बाज़ार और अपनी फसल से कैसे अच्छा मुनाफ़ा कमाया जाए, इसको लेकर जानकारी का अभाव रहता है। इस लेख में हम कुछ विकल्पों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लहसुन की खेती कर रहे किसानों के लिए काम आ सकते हैं।
मौजूदा हालात ये है कि लहसुन की खेती कर रहे किसान अपनी फसल को बेचने के लिए आसपास की मंडियों या फिर कुछ चुनिंदा ग्राहकों पर ही निर्भर हैं। उन्हें अपनी फसल किसी स्थानीय व्यापारी को या तो फिर थक हारकर कम दाम में कमीशन एजेंटों को बेचनी पड़ती है। इस तरह से उपभोक्ता की ओर से चुकाये गए पैसों का 45 प्रतिशत ही किसान के हाथ आता है। करीब 55 फ़ीसदी हिस्सा थोक व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के जेब में चला जाता है।
कई बार संसाधनों की कमी होने के कारण किसानों को उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता से समझौता तक करना पड़ता है। कई क्षेत्रों में कटाई के बाद मूलभूत सुविधाएं जैसे कोल्ड स्टोरेज और सफाई, ग्रेडिंग और छँटाई की इकाइयों की कमी भी है। ऐसे में किसान अपने नुकसान को कैसे कम कर सकता है, आपको विस्तार से बताते हैं।
किसान खुद बेचे अपनी फसल
आजकल कई किसान Direct Marketing का मॉडल अपना रहे हैं यानी जिसमें किसान और खरीदार के बीच किसी तीसरे की भूमिका नहीं होती। किसान को अपनी उपज का पूरा और सही दाम मिलता है। कई किसानों से हमारी बातचीत में उन्होंने इसी फ़ॉर्मूले का ज़िक्र किया है। इसी फॉर्मूले की बदौलत उन्हें बाज़ार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता। उनकी सलाह है कि किसान B2C मॉडल अपनाएं यानी अपने ग्राहक खुद चुनें। किसान शुरुआत में पूरी उपज को मंडी में बेचने के अलावा, कुछ हिस्सा सीधे अपने रोज़ के ग्राहकों को या आसपास की कॉलोनी में जाकर बेच सकते हैं।
कई राज्यों में Direct Marketing का सफल प्रयोग भी किया गया है। पंजाब और हरियाणा में Apni Mandi और आंध्र प्रदेश में Rythu Bazars के नाम से इस तरह की पहल चलन में है। इन बाज़ारों को राज्य सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। इन बाज़ारों में किसान अपनी उपज को बिना किसी बिचौलिये की भूमिका के सीधा खरीदार को बेच सकते हैं।
सोशल मीडिया निभा सकता है बड़ी भूमिका
सरकार देश के किसानों को डिजिटल किसान बनाने की राह पर काम कर रही है। सोशल मीडिया इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है। कई ऐसे फ़ेसबुक ग्रुप्स (Facebook Groups) हैं, जो खेती-किसानी से जुड़े हैं। आज के समय में Facebook Agricultural Groups एक अच्छा विकल्प हैं। इन ग्रुप्स से जुड़कर अपनी फसल के बारे में जानकारी देकर, किसान अपनी फसल को बेच सकते हैं।
किसान खुद बनें उद्यमी
लहसुन की फसल को 70 फ़ीसदी नमी वाले क्षेत्र में 6 से 8 महीनों तक भण्डारित किया जा सकता है। 6 से 8 महीनों के भण्डारण में 15 से 20 प्रतिशत तक नुकसान सूखने से होता है। अगर किसान खुद ही उद्यमी बन अपनी फसल की प्रोसेसिंग करें तो इसमें मुनाफ़ा भी ज़्यादा मिलता है और नुकसान की आशंका कम हो जाती है।
किसानों की तरक्की तभी संभव है जब उन्हें अपनी फसल का सही दाम मिले। ऐसे में फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आय का एक बड़ा स्रोत बन सकती है। किसान अगर खुद ही अपनी फसल को प्रोसेस करें और ग्राहकों तक पहुंचाए, तो ये किसानों को अच्छा मुनाफ़ा दे सकता है।
लहसुन से कई तरह के बाय-प्रॉडक्ट्स जैसे अचार, चटनी, पाउडर और तेल बनाए जाते हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) के तहत सरकार भी फूड प्रोसेसिंग खोलने पर सब्सिडी देती है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी मंत्रालय की वेबसाइट के इस लिंक pmfme.mofpi.gov.in पर क्लिक करें। यहां आपको सबसे पहले खुद को रजिस्टर करना होगा। फिर आवेदक लॉग इन आईडी से लॉग इन करके वेबसाइट पर दिये गये दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं।
किसानों को सीधा खरीदारों से जोड़ता है ये पोर्टल
अगर आप जैविक तरीके से लहसुन की खेती कर रहे हैं तो ये सरकारी पोर्टल आपके लिए है। ये पोर्टल घर बैठे ही किसानों को सीधा खरीदारों से जोड़ता है। इस पोर्टल का नाम है Jaivik Kheti.
यहां किसान खुद अपनी उपज का भाव तय कर सकते हैं। देश के किसी भी राज्य के किसान और खरीदार इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर इसका लाभ ले सकते हैं। इसके लिए किसान के पास जैविक उत्पाद (Organic Product) का प्रमाणपत्र होना ज़रूरी है। इस प्लेटफ़ॉर्म का मक़सद बिचौलियों की भूमिका को खत्म कर सीधा किसानों को मुनाफ़ा पहुंचाने का है। Jaivik Kheti पोर्टल के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लिंक Jaivik Kheti Portal पर क्लिक करें।
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