सरसों की फसल पर बढ़ रहा कीटों का प्रकोप? फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह से जानिए बचाव का आसान तरीका

किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज पश्चिम चंपारण के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ एवं हेड डॉ. आर.पी. सिंह ने सरसों की फसल में लगने वाले मुख्य कीट माहू से बचाव का आसान तरीका सुझाया।

सरसों की फसल mustard crop pest treatment

रबी सीज़न 2021-22 में रेपसीड/सरसों की फसल का रकबा 91 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। पिछले साल की तुलना में इस क्षेत्र में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन फसलों का रकबा पिछले साल 73.1 लाख हेक्टेयर था। पिछले साल खाद्य तेलों की ऊंची कीमतों के कारण किसानों ने इस बार अधिक क्षेत्रों में सरसों की खेती की है। ऐसे में ज़रूरी ये भी है कि किसान अपनी सरसों की फसल का सही तरह से रखरखाव करें। सरसो की फसल का सबसे हानिकारक कीट माहू यानि एफिड, फसल को सबसे ज़्यादा हानी पहुंचाता है। यह कीट सरसों के उत्पादन को आधा कर देता है। समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए तो सरसों की फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। मगर इससे निपटने के लिए ज़्यादातर किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। इससे किसानों को अधिक लागत तो लगती ही है, वही दूसरी ओर केमिकल का दुष्प्रभाव इंसान के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इस तरह किसान और उपभोक्ता दोनों को नुकसान पहुंचता है। माहू कीट से बचाव के तरीकों पर  Kisan of India ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज पश्चिम चंपारण के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ एवं हेड डॉ आर.पी. सिंह से ख़ास बातचीत की।

स्टिकी ट्रैप से करें माहू कीट का नियंत्रण

डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया किसान बिना किसी रसायन इस्तेमाल के माहू कीट पर नियंत्रण पा सकते हैं। उन्होंने सलाह दी कि सरसो की फसल पर लगने वाले कीट माहू से बचाव के लिए केमिकल कीटनाशक दवाओं के अपेक्षा स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करें। 

डॉ. आर. पी. सिंह ने कहा कि आजकल जलवायु में ज़्यादा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। कभी आसमान में बादल तो घना कोहरा और हल्की-फुल्की फुहार भी पड़ रही है। वातावरण में नमी का प्रतिशत अधिक है और तापमान कम है। ऐसे बदलते जलवायु परिवर्तन की स्थिति में सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप काफी देखा जा रहा है। यह बहुत छोटा सा हरे रंग का कीट होता है। माहू कीट सरसों के कोमल फूलों और नवीन फलियों का रस चूस लेता है। ऐसी स्थिति में अक्सर किसान कीटों से बचाव के लिए तरह-तरह के कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। इसमें लागत ज़्यादा आती है। कम खर्च में भी कीटों का नियंत्रण बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। सरसों की फसल में माहू कीट से बचाव केलिए स्टिकी ट्रैप का प्रयोग काफी कारगर है।

सरसों की फसलसरसों की फसल पर बढ़ रहा कीटों का प्रकोप? फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह से जानिए बचाव का आसान तरीकाप्रति एकड़ 10 से 15 स्टिकी ट्रैप की ज़रूरत

पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि स्टिकी ट्रैप एक पीली रंग की चिपचिपी शीट होती है। इस स्टिक शीट पर माहू कीट आकर चिपक जाते हैं। हर कीट किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होता है। माहू कीट पीले रंग की ओर आकर्षित होता है। इसीलिए माहू कीट का प्रकोप सरसों की फसल पर अधिक होता है। सरसों की फसल में पीले रंग के ही स्टिकी ट्रैप प्रयोग किया जाता है। सीट पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगाकर फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फीट ऊपर लगाते हैं। 

सरसों की फसल

कम खर्च में तैयार कर सकते है ‘स्टिकी ट्रैप’

डॉ आर. पी. सिंह का कहना है कि वैसे तो स्टिकी ट्रैप बाज़ार में मिल जाते हैं, लेकिन किसान इसे घर पर भी बना सकते हैं। पीली रंग की रंगीन पॉलीथीन शीट पर अरंडी का तेल (Castor Oil) या फिर मोबिल का तेल (Mobil Oil) लगाकर ट्रैप को तैयार कर सकते हैं। इस तरह से एक पीला स्टिकी ट्रैप बनाने में 15 से 20 रुपये का खर्चा आता है। पीले स्ट्रिकी ट्रैप का प्रयोग सरसों की फसल के अलावा कई सब्जी की फसलों में लगने वाले हानिकारक कीटों सफेद मक्खी, एफिड और लीफ माइनर जैसे कीटों से भी बचाव करता है। वहीं नीला स्टिकी ट्रैप थ्रिप्स कीट से सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से 65 से 70 फ़ीसदी रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है।

सरसों की फसल पर बढ़ रहा कीटों का प्रकोप? फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह से जानिए बचाव का आसान तरीका
तस्वीर साभार: gardeningknowhow

सरसों की फसल पर बढ़ रहा कीटों का प्रकोप? फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह से जानिए बचाव का आसान तरीकास्ट्रिकी ट्रैप का इस्तेमाल करते समय सावधानियाँ

स्ट्रिकी ट्रैप ऐसी जगह लगाएं, जिससे कीट अधिक से अधिक  एकत्र होकर नष्ट हो जाएं। लगाने से पहले हाथ साबुन से धोएं। ध्यान रखें कि तंबाकू या दूसरे रसायनों की गंध इसे प्रभावित न करें। इस स्ट्रिकी ट्रैप  को 20 से 25 दिन बाद बदल दें। 

डॉ आर. पी. सिंह ने बताया कि दुनिया भर में हुए शोधों में पता चला है कि भारत में खाद्य पदार्थो में कीटनाशकों का अवशेष 20 प्रतिशत तक है। वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थ में ये मात्रा 2 प्रतिशत तक है। भारत में51 प्रतिशत ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिसमे कीटनाशक की मात्रा मिलती है, जबकि वैश्विक स्तर पर केवल 20 प्रतिशत खाद्य पदार्थ में कीटनाशक की मात्रा मिलती है। कई शोधों में ये भी बात सामने आई है कि मनुष्य की कई बीमारियों के लिए कुछ हद तक ये कीटनाशक जिम्मेदार हैं। इसकेचलते  कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग पर लगाम लगाने की कोशिशें तेज हुई हैं। फसलों को कीट से बचाने के लिए स्ट्रिकी ट्रेप तकनीक कम लागत में बेहतर तकनीक है।

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