Perishable Agricultural Products : ख़राब होने वाले कृषि उत्पादों को लाभकारी बनाने के लिए सरकार की योजनाएं और कार्यक्रम

भारत की एक बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं। ख़ासकर खराब होने वाले […]

Perishable Agricultural Products : ख़राब होने वाले कृषि उत्पादों को लाभकारी बनाने के लिए सरकार की योजनाएं और कार्यक्रम

भारत की एक बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं। ख़ासकर खराब होने वाले कृषि और बागवानी उत्पादों (Perishable Agricultural Products) जैसे टमाटर, प्याज, आलू, फल एवं सब्ज़ियां वगैरह के उत्पादन में भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। किंतु इन उत्पादों की नाजुक प्रकृति के कारण किसानों को कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सरकार द्वारा किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने हेतु कई योजनाएं और कार्यक्रम (Schemes and Programmes ) चलाए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाना और किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी करना है।

सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्रदान करना और उन्हें बाजार की अस्थिरता से बचाना। खराब होने वाले कृषि उत्पादों (Perishable Agricultural Products) के लिए विशेष योजनाएं, जैसे बाजार हस्तक्षेप योजना (Market Intervention Scheme), मूल्य अंतर भुगतान प्रणाली (price difference payment system) और भंडारण व परिवहन में सहायता (Assistance in storage and transportation), किसानों को बेहतर सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं। इसके बारें में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर (Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare Ram Nath Thakur) ने 4 अप्रैल 2025 को राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी।

कृषि मार्केटिंग: राज्य का विषय (Agricultural marketing: A state subject)

संविधान के अनुसार, कृषि विपणन राज्य सरकारों के अधीन आता है। हालांकि केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाती है, विशेष रूप से जब बात राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पादों की कीमतों को स्थिर रखने और किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने की हो। खराब होने वाले कृषि उत्पादों की कीमतें प्रायः मांग और आपूर्ति, मौसमी प्रभाव, भंडारण क्षमता, व्यापार नीतियों, करों और शुल्कों जैसे विभिन्न कारकों से प्रभावित होती हैं।

लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार के उपाय (Central Government Measures To Provide Remunerative Prices)

केंद्र सरकार कृषि और बागवानी उत्पादों की कीमतों में अस्थिरता को संतुलित करने के लिए समय-समय पर नीतिगत हस्तक्षेप करती है। इसके लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के अंतर्गत बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) को लागू किया गया है। यह योजना विशेष रूप से उन फसलों के लिए है जो जल्दी खराब हो जाती हैं और मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत नहीं आतीं।

एमआईएस का उद्देश्य किसानों को ऐसी स्थिति में राहत देना है जब अत्यधिक उत्पादन के कारण बाजार में कीमतें गिर जाती हैं और किसानों को लागत से भी कम दाम पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है। इस योजना को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के अनुरोध पर लागू किया जाता है, जो योजना के अंतर्गत होने वाले नुकसान का एक निश्चित प्रतिशत वहन करने को तैयार हों – सामान्यतः 50 प्रतिशत और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 25 प्रतिशत।

2024-25 सत्र के नए बदलाव (New Changes For 2024-25 Session)

सरकार ने 2024-25 सत्र से बाजार हस्तक्षेप योजना के अंतर्गत मूल्य अंतर भुगतान (Price Deficiency Payment – PDP) का एक नया घटक शुरू किया है। इसके तहत किसानों को बाजार हस्तक्षेप मूल्य (MIP) और वास्तविक बिक्री मूल्य के बीच के अंतर का सीधा भुगतान किया जाएगा। यह उपाय विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब भौतिक रूप से फसल की खरीद संभव न हो या व्यवहारिक न हो।

राज्य सरकारों को दो विकल्प दिए गए हैं: (The State Governments Have Been Given Two Options:)

1.वे किसानों से फसल की सीधी खरीद करें।
2.या फिर, बिक्री मूल्य और एमआईपी के बीच का अंतर किसानों को सीधे भुगतान करें।


ये मॉडल किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए अधिक व्यावहारिक और लचीला विकल्प प्रदान करता है।

भंडारण और परिवहन की व्यवस्था (Storage And Transportation Arrangements)

खराब होने वाले उत्पादों के मामले में एक प्रमुख समस्या है – उपयुक्त भंडारण और परिवहन व्यवस्था की कमी। इस चुनौती को दूर करने हेतु सरकार ने केंद्रीय नोडल एजेंसियों को एक और नया घटक प्रदान किया है, जिसके तहत 2024-25 सत्र से टॉप फसलों (टमाटर, प्याज और आलू) के भंडारण और परिवहन लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसका उद्देश्य इन फसलों को उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक पहुंचाना है, ताकि किसानों को उनका उचित मूल्य मिल सके और उपभोक्ताओं को भी राहत मिले।

डिजिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर उपाय (Digital and infrastructural measures)

सरकार डिजिटल और फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर (Physical infrastructure)  को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठा रही है:

  • राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम): एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो किसानों को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से अपने उत्पादों की बिक्री की सुविधा देता है।
  • एगमार्कनेट पोर्टल: यह पोर्टल कृषि उत्पादों के मूल्य की जानकारी संकलित करता है और किसानों को समय पर बाजार से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराता है।
  • कृषि अवसंरचना निधि (AIF): इसके अंतर्गत भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग-सॉर्टिंग यूनिट, प्रोसेसिंग यूनिट आदि जैसी फसलोत्तर बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु ब्याज अनुदान एवं ऋण सहायता दी जाती है।
  • आईएसएएम योजना: यह योजना वैज्ञानिक और आधुनिक भंडारण सुविधाओं को बढ़ावा देती है, जिससे खराब होने वाले उत्पादों को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सके।


सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

 

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