भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि में नई प्रौद्योगिकियों का बढ़ता प्रभाव (Promotion of New Technologies in Agriculture)एक अहम इशारा है। जो बताता है कि कृषि बदलते समय के साथ बदल रही है। पारंपरिक कृषि पद्धतियों (Traditional Agricultural Practices)में आधुनिक तकनीकों का समावेश हो रहा है। जिससे उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हो रही है और किसान सशक्त बनने की राह पर है।
इसी दिशा में सरकार ने कई योजनाएं (Government Schemes)और पहल की हैं जो कृषि क्षेत्र को तकनीकी रूप से सशक्त बना रही हैं। इसके बारें में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर (Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare Ram Nath Thakur) ने 4 अप्रैल 2025 को राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और एसएमएएम (Rashtriya Krishi Vikas Yojana and SMAM)
सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) है, जिसके अंतर्गत कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (SMAM) को राज्यों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों और उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता देना है। यह सहायता व्यक्तिगत स्वामित्व के साथ-साथ सामूहिक उपयोग हेतु भी प्रदान की जाती है।
इस योजना के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) और ग्राम स्तरीय कृषि मशीनरी बैंक (FMB) की स्थापना की जाती है ताकि छोटे और सीमांत किसान भी किराये पर आधुनिक उपकरणों का लाभ उठा सकें। इससे कृषि कार्य अधिक कुशल और समयबद्ध ढंग से किए जा सकते हैं।
ड्रोन तकनीक का उपयोग और ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना (Use of drone technology and ‘Namo Drone Didi’ scheme)
ड्रोन तकनीक ने कृषि में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। किसान अब ड्रोन की मदद से कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव सटीकता से कर सकते हैं, जिससे लागत में कमी और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
एसएमएएम योजना के तहत किसानों को खेतों में ड्रोन के प्रदर्शन, व्यक्तिगत उपयोग के लिए ड्रोन खरीद और ड्रोन आधारित सेवाएं प्रदान करने हेतु वित्तीय सहायता दी जाती है। साथ ही, सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत 2023-24 से 2025-26 तक महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को 15,000 ड्रोन प्रदान किए जाएंगे।
इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें कृषि से जुड़ी सेवाओं के माध्यम से आजीविका के नए अवसर देना है।अब तक SHG की ‘ड्रोन दीदियों’ को 1094 ड्रोन वितरित किए जा चुके हैं, जिनमें से 500 ड्रोन ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत हैं। शेष 14,500 ड्रोन 2025-26 तक वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है।
डिजिटल कृषि मिशन और एग्रीस्टैक (Digital Agriculture Mission and AgriStack)
सितंबर 2024 में सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन को 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है। मिशन के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं:
1.एग्रीस्टैक (Agristack) – एक व्यापक डिजिटल डेटाबेस जो किसान और फसल संबंधी जानकारी को एकीकृत करता है।
2.कृषि निर्णय सहायता प्रणाली
3. मृदा उर्वरता प्रोफ़ाइल मानचित्र
4.विभिन्न आईटी आधारित सरकारी पहल
इन पहल के माध्यम से किसानों को सटीक, समय पर और वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी जिससे वे अपने निर्णयों को बेहतर बना सकें।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना और चैटबॉट ‘किसान ई-मित्र’ (PM Kisan Samman Nidhi Yojana and Chatbot ‘Kisan E-Mitra’)
पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े प्रश्नों के उत्तर देने के लिए AI संचालित चैटबॉट ‘किसान ई-मित्र’ भी विकसित किया गया है, जो किसानों को डिजिटल रूप से सहायता प्रदान करता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की शोध पहल (Research Initiatives of Indian Council of Agricultural Research (ICAR))
आईसीएआर द्वारा कई आधुनिक उपकरण और प्रणालियाँ विकसित की गई हैं जो परिशुद्ध कृषि (precision farming) को बढ़ावा देती हैं। इनमें शामिल हैं:
1.ड्रोन छिड़काव प्रणाली और बूंद जमाव शोध
2.एआई आधारित मोबाइल उपकरण जो फसल की स्थिति और तनाव की पहचान कर सकते हैं
3.स्मार्ट स्प्रेयर, स्वचालित छिड़काव प्रणाली, रोबोट ट्रांसप्लांटर, स्वायत्त वीडर, इमेज बेस्ड रोग पहचान और नाइट्रोजन ऐप्लिकेटर जैसे टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (Technological Innovation)
ये तकनीकें न केवल कृषि की लागत को कम करती हैं, बल्कि उत्पादन को भी अधिक सटीक और सुरक्षित बनाती हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)
मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता सुधार के लिए सरकार ने 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत किसानों को उनके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की जानकारी देने वाले कार्ड दिए जाते हैं। इन कार्डों में 12 मापदंडों का विश्लेषण होता है जैसे पीएच, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक आदि।
अब तक देशभर में 24.90 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, 1000 से अधिक स्थाई, 163 मोबाइल, 6000+ मिनी, और 665 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
इसके अलावा, 70,000 से अधिक कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया है, जो किसानों को इन कार्डों की जानकारी समझाने में मदद करती हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें: Mental Health Awareness: भारतीय किसानों में तनाव को समझना, लक्षण और वैज्ञानिक समाधान की रणनीतियां