देश में वैक्सीनेशन अभियान तेज़ी से चल रहा है। सरकारें लगातार लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल अपनाने की अपील कर रही हैं। इस बीच देश के वैज्ञानिकों ने हिमालय की पहाड़ियों में मिलने वाले बुरांश के पौधे से कोरोना का इलाज ढूंढ निकाला है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) के शोधकर्ताओं ने बुरांश के फूलों की पंखुड़ियों में ऐसे फाइटोकैमिकल्स (Phytochemicals) की पहचान की है, जो कोविड 19 संक्रमण से लड़ने में कारगर साबित हो सकते हैं। इस शोध के नतीजे Biomolecular Structure and Dynamics जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ़ बेसिक साइंस (School of Basic Science) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसकापल्ली के नेतृत्व में ये शोध किया गया। इस शोध के सफल परीक्षण में डॉ. रंजन कुमार नंदा और डॉ. सुजाता सुनील ने अहम भूमिका निभाई है। डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली ने Kisan of India से ख़ास बातचीत में इस शोध को लेकर कई अहम बातें बताई।
![बुरांश फूल से कोरोना का इलाज IIT mandi Covid 19 treatment buransh flower](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/01/Untitled-design-2022-01-19T213012.208.jpg)
बुरांश के फूल से कोरोना का इलाज
बुरांश के पौधे का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रन अर्बोरियम (Rhododendron arboreum) है। डॉ. श्याम कुमार ने बताया कि शोध में इसके फूलों की पंखुड़ियों में ऐसे Phytochemicals (chemicals derived from plants) पाए गए, जो कोरोना के संक्रमण को मल्टीप्लाई नहीं होने देते। इस केमिकल में मौजूद एंटीवायरल गुण (Antiviral Properties) वायरस से लड़ सकते हैं। फूलों की पंखुड़ियों को जब गर्म पानी में डाला गया, इसके अर्क में क्विनिक एसिड और इसके डेरिवेटिव काफ़ी मात्रा में पाए गए।
बुरांश के पौधे ने दिखाए अच्छे नतीजे
डॉक्टर श्याम कुमार ने बताया कि 2019 में उन्होंने और उनकी टीम ने हिमालय के पेड़-पौधों पर रिसर्च करनी शुरू की। इन पेड़-पौधों के औषधीय गुणों पर काम करना शुरू किया। डॉक्टर श्याम कुमार बताते हैं कि कोरोना काल में उनकी टीम ने कोविड-19 संक्रमण के रोकथाम को लेकर रिसर्च शुरू की। परीक्षण के दौरान कई पौधों में पाए जाने वाले फाइटोकैमिकल्स का असर कोविड-19 के रोकथाम के लिए सार्थक नहीं पाया गया, लेकिन बुरांश के पौधे के फाइटोकैमिकल्स यानी पौधों से मिलने वाले केमिकल के नतीजे अच्छे रहे।
मॉलिक्युलर गतिविधियों के शोध से पता चला कि ये फाइटोकैमिकल्स दो तरह से काम करते हैं। पहला, कोरोना के वायरस को जो एंजाइम मल्टीप्लाई करता है, उसके साथ ये फाइटोकैमिकल्स जुड़ जाते हैं। दूसरा, ये हमारे शरीर में मिलने वाले ACE-2 एंजाइम से भी जुड़ जाते हैं। ACE-2 एंजाइम के ज़रिए ही वायरस शरीर में घुसता है। फाइटोकैमिकल्स के इस तरह जुड़ने से कोरोनावायरस शरीर की कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर पाता और संक्रमण का खतरा टल जाता है।
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बुरांश के फूल का अर्क कैसे करता है काम?
बायोमॉलिकुलर स्ट्रक्चर एंड डायनामिक्स जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, लैब में Vero E6 कोशिकाओं पर प्रयोग किया गया। ये कोशिकाएं अफ्रीकन ग्रीन मंकी की मदद से विकसित की गई थीं। इनका ज़्यादातार इस्तेमाल बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण की गंभीरता को समझने के लिए किया जाता है। प्रयोग के दौरान इन संक्रमित कोशिकाओं पर फूलों का अर्क इस्तेमाल किया गया। रिसर्च में सामने आया कि ये कोविड के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।
श्याम कुमार 2015 से आईआईटी मंडी से जुड़े हुए हैं। इस दौरान ही उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कामंड स्थित आईआईटी के मेन कैंपस में बॉटनिकल गार्डन स्थापित किया। उनके नेतृत्व में उनकी टीम ने कई दुर्लभ और विलुप्त पौधों की प्रजातियों का सरंक्षण किया है। इस कार्य में उनकी टीम लगी हुई है।
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उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है बुरांश
उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के अलावा दक्षिण में नीलगिरि की पहाड़ियों भी में पाया जाता है। दुनियाभर में इसकी लगभग 850 प्रजातियां है, जिनमें से 80 प्रजातियां भारत के हिमालायी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इसकी पत्तियां 7.5 से 15 सेंटीमीटर लम्बी और 3 से 6 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। मार्च-मई के महीनों में इस पर लाल रंग के फूल खिलते हैं।
बुरांश फूल की खासियत
बुरांश के फूल स्वाद में खट्टे-मीठे होते है। इसके फूल लाल एवं गहरे गुलाबी रंग के होते हैं। फूलों के पंखुड़ियों के भीतर शहद जैसा गाढ़ा एवं लाल पदार्थ होता है जो मीठा, पोषक एवं स्वादिष्ट होता है। बुरांश एक बहुपयोगी वृक्ष है। बुरांश के फूलों से स्थानीय लोग इसका उपयोग स्क्वाश और जैम बनाने में करते हैं। साथ ही, इसकी चटनी को आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पसंद किया जाता है। बुरांश फूल का प्राकृतिक रंग गहरा लाल और सुगंधित होने के कारण इससे बनने वाले उत्पादों में अलग से आर्टिफिशियल रंग डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
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बुरांश के हैं कई औषधीय गुण
स्थानीय तौर पर गर्मियों में बुरांश का जूस बतौर कोल्ड ड्रिंक पिया जाता है। इसमें प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, वसा, पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। बुरांश को जूस शरीर को स्फूर्ति देता है। हृदय रोगियों के लिये ये लाभकारी माना जाता है। बुरांश का स्क्वैश मधुमेह (टाइप 1 व टाइप 2) और डायरिया जैसी बीमारियों से निज़ात दिलाने में भी फ़ायदेमंद माना जाता है। हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ाने में मददगार है। पहाड़ों में रक्त स्त्राव को रोकने और पुराने घावों को भरने के लिए फूलों की पंखुड़ियों को पीसकर लगाया जाता है।
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