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देश की डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) को एक नई दिशा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 15 सितंबर को पूर्णिया स्थित एक अत्याधुनिक सीमन स्टेशन पर ‘Sex Sorted Semen Facility’ (लिंग-चयनित वीर्य सुविधा) का उद्घाटन किया। ये न केवल बिहार बल्कि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत की पहली ऐसी सुविधा है, जिसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के तहत स्वदेशी तकनीक ‘Gausort’ से लैस किया गया है।
क्या है ये सुविधा और कैसे काम करती है?
Sex Sorted Semen Technique एक क्रांतिकारी वैज्ञानिक पद्धति (Revolutionary Scientific Method) है, जिसकी मदद से पशुओं के वीर्य में मौजूद X (मादा) और Y (नर) क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं (Spermatozoa) को अलग-अलग किया जाता है। इस प्रोसेस के बाद, कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination- AI) में सिर्फ X क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं (Spermatozoa) का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लगभग 90 फीसदी तक मादा बछिया के पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। पूर्णिया की इस नई लैब में इस्तेमाल की गई ‘गोसॉर्ट’ तकनीक पूरी तरह से स्वदेशी है और इसमें इस्तेमाल होने वाली मशीनें भी भारत में ही बनी हैं।
किसानों और पशुपालकों को क्या मिलेगा फायदा?
इस सुविधा के शुरू होने का सबसे बड़ा लाभ सीधे तौर पर डेयरी किसानों और पशुपालकों को मिलेगा:
1.बढ़ेगी दुधारू बछियों की संख्या
अब तक, पशुपालकों के लिए ये अनिश्चितता बनी रहती थी कि गाभिन गाय के गर्भ से बछड़ा पैदा होगा या बछिया। बछड़े का डेयरी व्यवसाय में सीमित योगदान होता है। इस तकनीक से अधिकांश मामलों में बछिया ही पैदा होगी, जो भविष्य में दूध देने वाली गाय बनेगी।
2.बढ़ेगा दूध उत्पादन और आमदनी
ज़्यादा संख्या में दुधारू पशुओं के पैदा होने से दूध के उत्पादन में तेजी से बढ़ोत्तरी होगी, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी आएगी।
3.सस्ती और आसान टेक्नोलॉजी
इस स्वदेशी लैब के चलते, सेक्स सॉर्टेड सीमन की कीमत पहले के मुकाबले काफी कम होगी, जिससे छोटे और मझोले किसान भी इसका आसानी से फायदा उठा सकेंगे। ये सुविधा पूर्णिया के मौजूदा विशाल सीमन स्टेशन का हिस्सा है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) के तहत 85 करोड़ रुपये की लागत से हुई थी और यहां पहले से ही हर साल 50 लाख सीमन डोज तैयार की जाती है।
क्या है पैमाना और भविष्य?
इस नई लैब की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से 10 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 5 लाख सेक्स सॉर्टेड सीमन डोज़ की है, जो हर महीने लगभग 40,000 डोज़ के बराबर बैठती है। इससे न केवल बिहार बल्कि पूर्वी भारत के पड़ोसी राज्यों के पशुपालकों को भी भारी लाभ मिलने की उम्मीद है।
डेयरी क्षेत्र में Game Changer
पूर्णिया की ये सुविधा डेयरी क्षेत्र में एक game changer साबित हो सकती है। ये किसानों की आय दोगुनी करने, दूध उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और वैज्ञानिक पशुपालन को बढ़ावा देने की दिशा में एक मज़बूत कदम है। ये ‘गोसॉर्ट’ (‘Gausort’) तकनीक भारत के वैज्ञानिक दक्षता का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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