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भारत की दो-तिहाई से अधिक आबादी गांवों में रहती है और इनका बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। ऐसे में किसानों का सशक्त होना देश की प्रगति से सीधा जुड़ा हुआ है। बदलते दौर में किसानों के सामने सिर्फ बीज, खाद या ऋण तक पहुँच की चुनौती नहीं है, बल्कि उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटना, मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखना, मशीनीकरण को अपनाना और बेहतर बाज़ार से जुड़ना भी ज़रूरी हो गया है। यही वजह है कि सरकार ने किसानों के लिए कौशल विकास को प्राथमिकता देते हुए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं।
कौशल विकास और प्रशिक्षण पर सरकार का फोकस
भारत सरकार ने पिछले एक दशक में कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे किसानों को व्यावहारिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जा रही है। इन पहलों का उद्देश्य है कि किसान केवल परंपरागत खेती तक सीमित न रहें, बल्कि नवप्रवर्तक, निर्णयकर्ता और कृषि मूल्य श्रृंखला में सक्रिय भागीदार भी बनें।
कौशल प्रशिक्षण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए), ग्रामीण युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (STRY), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसे मंच तैयार किए गए हैं।
किसान प्रशिक्षण के लिए मज़बूत संस्थागत ढाँचा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) किसानों तक कौशल संवर्धन पहुँचाने का प्रमुख साधन बने हैं। ये केंद्र स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के हिसाब से किसानों को प्रशिक्षण, प्रदर्शन और व्यावसायिक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराते हैं। साल 2021 से 2024 तक 58 लाख से अधिक किसानों को विभिन्न विषयों में कौशल प्रशिक्षण दिया गया। केवल 2024-25 में ही फरवरी तक 18.56 लाख किसानों तक इसकी पहुँच हुई। इससे साफ है कि कौशल विकास ने किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों और व्यावहारिक अनुभव से जोड़कर उनकी उत्पादकता और आत्मनिर्भरता बढ़ाई है।
इसी तरह, एटीएमए ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। 2021 से 2025 के बीच लगभग 1.27 करोड़ किसानों को कौशल प्रशिक्षण देकर नवीनतम कृषि तकनीकों, मृदा प्रबंधन और फ़सल सुधार विधियों से अवगत कराया गया है।
ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण और मशीनीकरण
ग्रामीण युवाओं को खेती में नए अवसरों के लिए तैयार करने हेतु ग्रामीण युवकों का कौशल प्रशिक्षण (STRY) कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण बागवानी, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराता है।
2021 से 2024 तक इस कार्यक्रम से 43 हजार से अधिक ग्रामीण युवा लाभान्वित हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिला किसान भी शामिल हैं। इस पहल ने नई पीढ़ी को आत्मनिर्भर किसान और उद्यमी बनाने में अहम योगदान दिया है।
वहीं, कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) छोटे किसानों तक मशीनीकरण पहुँचाने का काम कर रहा है। इसके तहत प्रशिक्षण, मशीनों की उपलब्धता और गुणवत्ता आश्वासन जैसे कदम उठाए गए हैं। अब तक 57,000 से अधिक किसानों को मशीनीकरण से जुड़ा प्रशिक्षण दिया गया है।
मृदा स्वास्थ्य और मूल्य श्रृंखला पर जोर
किसानों को फ़सल नियोजन और उर्वरक प्रबंधन में सक्षम बनाने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू की गई है। अब तक 25 करोड़ से अधिक कार्ड किसानों को दिए गए हैं। इसके साथ 93 हजार से अधिक कौशल प्रशिक्षण और लाखों प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे ई-नाम और GeM के माध्यम से किसानों को बाज़ार से सीधे जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह कदम किसानों को बेहतर दाम और व्यापक बाज़ार उपलब्ध कराता है।
राष्ट्रीय योजनाओं में कौशल विकास का समावेश
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 4.0) ने कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों को अपने मुख्य ढाँचे में शामिल किया है। इस योजना के तहत 2015 से अब तक 1.64 करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है।
इसी तरह, एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) ने क्षेत्र-विशिष्ट कौशल विकास को बढ़ावा दिया है।
- MIDH के तहत अब तक लगभग 9.73 लाख किसानों को बागवानी क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया गया।
- RGM के अंतर्गत 38,736 तकनीशियनों को कृत्रिम गर्भाधान तकनीक पर प्रशिक्षित किया गया।
- PMKSY की परियोजनाओं से अब तक 34 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं।
निष्कर्ष
आज कृषि सिर्फ खेत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तकनीक, उद्यमिता और नवाचार से भी जुड़ चुकी है। किसानों के लिए कौशल विकास और युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण ही उन्हें इस बदलते समय में आत्मनिर्भर और सक्षम बनाएगा। सरकार की पहलें – चाहे वो कृषि विज्ञान केंद्र हों, एटीएमए कार्यक्रम हों या प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना – सभी का मकसद है किसानों की उत्पादकता बढ़ाना, आय में सुधार करना और उन्हें एक आत्मविश्वासी और लचीला समुदाय बनाना। यह कहा जा सकता है कि कौशल विकास अब भारत की कृषि रणनीति की रीढ़ बन चुका है और आने वाले समय में यही किसानों को सशक्त भारत के निर्माण में अहम योगदान देने में सक्षम बनाएगा।
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