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पंजाब की धरती, जिसने देश को हरित क्रांति से पहचान करवाई, आज एक बार फिर कृषि के नए युग में कदम रखने को तैयार है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने पंजाब के किसानों के साथ ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ (vikasit krshi sankalp abhiyaan) के तहत मुलाकात की और खेतों तक जाकर फसलों का ज़ायज़ा लिया। साथ ही, उन्होंने पटियाला के अमरगढ़ में कृषि यंत्र बनाने वाली फैक्ट्री (Agricultural Machinery Factory) का दौरा किया, जहां उन्होंने आधुनिक कृषि उपकरणों की जानकारी ली। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के किसानों के साथ मिलकर कृषि क्रांति का संकल्प लिया।
इस कार्यक्रम में पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां (Punjab Agriculture Minister Gurmeet Singh Khudian), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के डायरेक्टर जनरल डॉ. एम.एल. जाट, पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल, पंजाब कृषि विभाग के सचिव डॉ. बसंत गर्ग और अन्य वैज्ञानिक व अधिकारी मौजूद रहे।
कृषि ही भारत की आत्मा है- शिवराज सिंह चौहान
किसानों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सपना है – विकसित भारत.. हम इसी लक्ष्य को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में देश ने 7.5 फीसदी की विकास दर हासिल की, जिसमें कृषि का योगदान 5.4 फीसदी रहा। आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा 18 फीसदी से अधिक है और देश की 50 फीसदी आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर है।
उन्होंने कृषि के प्रमुख लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए कहा:
1. 1.45 अरब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
2. पौष्टिक आहार के साथ खाद्य सुरक्षा प्रदान करना।
3. किसानों के लिए खेती को लाभकारी बनाना।
4. भारत को वैश्विक खाद्यान्न का केंद्र बनाना।
पंजाब की मिट्टी को नमन करता हूं
शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने पंजाब के किसानों के योगदान को याद करते हुए कहा, “मैं बार-बार पंजाब की इस पावन धरती को नमन करता हूं। पंजाब के किसानों ने देश के अन्न भंडार को भरने में अहम भूमिका निभाई है। एक वक्त था जब हमें अमेरिका से घटिया गुणवत्ता वाला गेहूं खाने के लिए मजबूर होना पड़ता था, लेकिन आज हम न सिर्फ हाई क्वालिटी वाले गेहूं और चावल का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि इन्हें निर्यात भी कर रहे हैं। भारतीय बासमती चावल की विदेशों में भारी मांग है। लेकिन हमें और आगे बढ़ना है।
कम लागत में ज़्यादा प्रोडक्शन का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि उत्पादन लागत कम करते हुए उत्पादकता बढ़ाने की ज़रूरत है। उन्होंने हाई क्वालिटी वाले बीजों पर ध्यान देने की बात कही और ICAR के वैज्ञानिकों को निर्देश दिए कि वे बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल, गर्मी सहने वाले बीज विकसित करें। उन्होंने जलवायु-अनुकूल खेती और अनुसंधान-आधारित कृषि पद्धतियों को अपनाने पर भी जोर दिया।
मशीनीकरण से कृषि क्रांति
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘आज कृषि में नवीनतम तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके हम श्रम और लागत कम कर सकते हैं। अब केवल कटाई ही नहीं, बल्कि बुवाई के लिए भी मशीनें उपलब्ध हैं। मल्टीपर्पज हार्वेस्टर जैसे उपकरण किसानों को लागत और श्रम दोनों में बड़ी बचत दे रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि भारत को कृषि यंत्रों का निर्यातक बनना चाहिए और इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। ‘हमें छोटे और सीमांत किसानों के लिए सस्ते उपकरणों पर भी ध्यान देना होगा, ताकि वे आसानी से इन्हें खरीद सकें,’ उन्होंने कहा।
सब्सिडी का सही इस्तेमाल ज़रूरी
केंद्रीय मंत्री ने साफ किया कि ‘सब्सिडी केवल उन्हीं को मिलनी चाहिए, जो वास्तव में पात्र हैं।” उन्होंने कहा कि कृषि मशीनीकरण पर और गहन चर्चा होगी और उद्योग जगत के साथ मिलकर इसे नई दिशा दी जाएगी।
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