ड्रम सीडर (Drum Seeder): धान की सीधी बुवाई में बहुत काम का है ये कृषि यंत्र, कृषि वैज्ञानिक डॉ. अवनीश कुमार से जानिए इसके फ़ायदे

ड्रम सीडर के इस्तेमाल से आप न सिर्फ़ अपना समय बचा सकते हैं, बल्कि किसानों के पैसो की भी बचत होगी। कृषि विज्ञान केन्द्र पीपीगंज गोरखपुर के कृषि वैज्ञानिक अवनीश कुमार सिंह से किसान ऑफ़ इंडिया ने इस मशीन की ख़ासियतों पर विस्तार से बात की।

ड्रम सीडर (Drum Seeder)

देश की प्रमुख फसलों में धान शामिल है, लेकिन धान की खेती में बढ़ती लागत बड़ी चिंता की वजह बनी हुई है। मज़दूर न मिलने से धान की रोपाई में बहुत परेशानी होती है। साथ ही महंगी होती मजदूरी से खेती की लागत भी काफ़ी बढ़ जाती है। दरअसल, धान की खेती करना किसानों के लिए काफ़ी मेहनत भरा काम होता है, क्योंकि इसके लिए पहले किसान को धान की नर्सरी तैयार करनी होती है और फिर मुख्य खेत में एक-एक पौधे की रोपाई करनी होती है।

इसमें काफ़ी वक्त और पैसा लगता है। किसानों की इस समस्या का हल है ड्रम सीडर। ये एक मानव चालित खेती का यंत्र है। इसके माध्यम से अंकुरित धान की सीधी बुआई की जाती है। ड्रम सीडर के इस्तेमाल से आप न सिर्फ़ अपना समय बचा सकते हैं, बल्कि किसानों के पैसो की भी बचत होगी।

क्यों करें ड्रम सीडर से धान की बुआई?

कृषि विज्ञान केन्द्र पीपीगंज गोरखपुर के कृषि वैज्ञानिक अवनीश कुमार सिंह का कहना है कि अगर किसान रोपाई की जगह छिटकवां विधि से धान की बुआई करते हैं तो खेत में उगे हुए पौधे एक समान नहीं उगते हैं। इससे अच्छी उपज भी नहीं मिलती। वहीं ड्रम सीडर से बुआई करने से बीज एक समान अंकुरित होते हैं, जिससे उपज भी अच्छी मिलती है। इस तकनीक में जोते गए खेतों में सीधी बुआई की जाती है, जिससे नर्सरी उगाने और रोपाई का काम न होने से पैसे की काफ़ी बचत होती है।

ड्रम सीडर (Drum Seeder)

ड्रम सीडर मशीन की संरचना

ड्रम सीडर 6 प्लास्टिक डब्बों का बना हुआ यंत्र है। इस पर पास वाले छेदों की संख्या 28 औऱ दूर वाले छेदों की संख्या 14 होती है। डिब्बों की लंबाई 25 सेंटीमीटर और व्यास 18 सेंटीमीटर होता है। ज़मीन से डिब्बों की ऊंचाई 18 सेंटीमीटर, और एक डिब्बे में बीज रखने की क्षमता 1.5-2 किलोग्राम तक होती है। चक्कों का व्यास 60 सेंटीमीटर और चौडाई लगभग 6 सेंटीमीटर होती है। बिना बीज के यंत्र का भार 6 किलोग्राम होता है। इस मशीन से एक बार में 6 से लेकर 12 कतार में बीज की बुआई की जा सकती है।  

ड्रम सीडर से धान बुआई का समय

कृषि वैज्ञानिक डॉ. अवनीश कुमार सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर से अंकुरित धान की सीधी बुआई मॉनसून आने से पहले ही जून महीने की शुरुआत में ही कर लेनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार मॉनसून आने पर खेत में ज़रुरत से ज़्यादा जल भराव होने से धान के बीज का अच्छे से विकास नहीं हो पाता है। वैसे जून के अंतिम सप्ताह तक इस यंत्र से धान की बुआई की जा सकती है। दो आदमी इस यंत्र से 8 घंटे में 2.5 एकड की बुआई कर सकते हैं। 

इसके लिए बीज को पानी में 12 घंटे के लिए भिगोएं। इसके बाद इसे जूट के बोरे से ढक कर बीज को 24 घंटे के लिए ऱख कर अंकुरित करें।  इस बात का ख्याल रखें कि बीज का अंकुरण ज़्यादा न होने पाए। बीज को मशीन में डालने से पहले, आधा घंटा छांव में सुखाएं।

ड्रम सीडर (Drum Seeder)

ड्रम सीडर (Drum Seeder): धान की सीधी बुवाई में बहुत काम का है ये कृषि यंत्र, कृषि वैज्ञानिक डॉ. अवनीश कुमार से जानिए इसके फ़ायदे

ड्रम सीडर बुआई के लिए खेत की तैयारी

कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर से धान की बुआई के लिए मध्यम या नीची ज़मीन उपयुक्त है। बुआई से एक महीने पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद 2 टन प्रति एकड़ की दर से डालें। बुआई से 15 दिन पहले खेत की सिंचाई और जुताई करें, ताकि खरपतवार सड़ जाएं। बुआई के 1 दिन पहले खेत की फिर जुताई करें और समतल बना लें। ज़रूरत से ज़्यादा पानी निकाल दें। बुआई के वक्त खेत में पानी जमा नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने बताया कि ड्रम सीडर से लगाए गए धान में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटाश क्रमश 32, 16  और 10  किलो की प्रति एकड़ की दर से किस्मों के अनुसार डालें। फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत में पानी निकलने के बाद और अंतिम पाटा चलाने से पहले डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा 10 दिन के बाद और बाक़ी आधी मात्रा दो बराबर हिस्सों में बांटकर कल्ले फूटने और बाली निकलने पर डालें।

ड्रम सीडर से बुआई के लाभ

  • कम लागत और अधिक उपज और प्रति हेक्टेयर कम आदमी की ज़रूरत
  • नर्सरी के लिए खेत के तैयारी की ज़रूरत नहीं, कम सिंचाई की जरूरत
  • छिटकवां विधि की तुलना में 15 फ़ीसदी ज़्यादा उपज
  • बीज को कतार से बोने की सुविधा और अच्छी पैदावार
  • फसल रोपे गए धान से 10 दिन पहले पक जाती है और बीज की बचत होती है।

ड्रम सीडर (Drum Seeder)

ड्रम सीडर मशीन इस्तेमाल करते समय सावधानियां

 कृषि वैज्ञानिक अवनीश कुमार सिंह का कहना है कि ड्रम सीडर के डिब्बों को किसी हालत में दो तिहाई से ज़्यादा न भरें। ज़्यादा भरने से मशीन के छेद से बीज ठीक से नहीं निकल पाते हैं । मशीन को डिब्बों के अंदर बने हुए त्रिकोण के शिरे की ओर ही खींचें। विपरीत दिशा में खींचने से बीज का सुचारु रूप से निकास नहीं हो पाता है। इससे मशीन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इस बात का ध्यान विशेषतौर पर मोड़ के पास ज़रूर रखें। ड्रमसीडर तकनीक में रोपे गए धान की तुलना में इसकी उपज बेहतर मिलती है।

प्रति एकड़ 4 हज़ार रुपये से अधिक की बचत

गोरखपुर के गाँव मुस्तफाबाद के रहने वाले गोरखपुर प्रगतिशील किसान विष्णु प्रताप सिंह पिछले कई साल से ड्रम सीडर तकनीक से खेती कर रहे हैं। एक एकड़ में ड्रम सीडर तकनीक से धान की सीधी बुवाई करते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ धान की नर्सरी एवं रोपाई कार्य के लिए 18 से 20 मजदूर लगते है।. इसके अलावा, नर्सरी उगाने में धान की खेती में लागत खर्च अधिक होता है, जबकि धान की ड्रम सीडर तकनीक से बुवाई करने पर लागत में 4200 से 4500 प्रति एकड़ कमी आती है।

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