भारतीय बाज़ार में पिछले कुछ सालों में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है। ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इस खेती की खास बात ये भी है कि इसकी अलग-अलग किस्मों की खेती किसान साल भर कर सकते हैं। इससे साल भर कमाई होती रहती है। इसी कड़ी में लंबे समय से अलग-अलग फसल उगाने वाले श्रीनगर के मुहम्मद शैफ़ी अब मशरूम की ही खेती करते हैं। इसका कारण इससे मिलने वाला मुनाफ़ा है। मुहम्मद शैफ़ी बताते हैं कि उन्हें अन्य दूसरी फसलों की खेती में उतना फ़ायदा नहीं होता था। अब मशरूम बेचने पर उन्हें राशि भी नकद आती है।
सरकार से मिली एक लाख की सब्सिडी
मशरूम की खेती में अब उनके बेटे मुज़ैल शैफ़ी भी उनका हाथ बंटा रहे हैं, जिन्होंने पेशे से आईटीआई डिप्लोमा किया हुआ है। मुज़ैल शैफ़ी का कहना है कि मशरूम की फसल में इस्तेमाल होने वाली कम्पोस्ट प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना यानी PMKKKY (Pradhan Mantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana) के तहत मुफ़्त में मिली और साथ ही पूरी खेती के लिये एक लाख तक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई।
कितनी आमदनी होती है?
मुज़ैल शैफ़ी के पास खेती करने के लिये अभी 600 बैग हैं और एक बैग में दो किलोग्राम तक मशरूम का उत्पादन होता है, जिसकी कीमत बाज़ार में 200 रुपये प्रति किलोग्राम है। उनके मुताबिक वो लगभग एक क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन करते हैं। बाज़ार में मशरूम का अच्छा दाम मिलता है।
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मशरूम की खेती करते समय किन बातों का रखें विशेष ध्यान?
मशरूम की खेती के लिए शुरुआती समय में कमरे का तापमान 25 डिग्री से 28 डिग्री होना चाहिए। समय पर पानी देना बहुत ज़रूरी है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में श्रीनगर के कृषि विस्तार सहायक परमवीर सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ़ से सब्सिडी रेट पर मशरूम यूनिट्स बनवाई जाती हैं, जिसकी कीमत 10 से 15 हज़ार रुपये तक आती है और एक यूनिट में 100 बैग होते हैं, जिसके लिये 10 हज़ार तक सब्सिडी मिलती है।
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