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चाइना एस्टर जिसका वैज्ञानिक नाम Callistephus chinensis है, एक एक बेहद सुंदर और लोकप्रिय पुष्पीय पौधा है, जिसे इसकी अलग-अलग रंगों की बहार और लंबे वक्त तक खिलने के लिए उगाया जाता है। ये फूल ख़ास तौर से सजावट, गुलदस्ते और फूलों के व्यापार के लिए उगाया जाता है। चाइना एस्टर की वैज्ञानिक खेती (Scientific farming of China Aster:) से उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है।
चाइना एस्टर के लिए जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएं-
जलवायु:
चाइना एस्टर समशीतोष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसकी खेती 15°C से 25°C तापमान वाले क्षेत्रों में सर्वोत्तम होती है। बहुत अधिक गर्मी (35°C से अधिक) या अत्यधिक ठंड (5°C से कम) इसके विकास को प्रभावित कर सकती है।पौधों को पर्याप्त सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है, लेकिन अत्यधिक गर्मी से बचाव जरूरी है।
मिट्टी:
अच्छी जल निकासी वाली, कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। भारी मिट्टी में जलभराव होने से जड़ सड़न की समस्या हो सकती है, इसलिए उचित जल निकासी की व्यवस्था आवश्यक है।
भूमि की तैयारी और बुवाई
भूमि की तैयारी:
1.खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
2.10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या कंपोस्ट डालें।
3.खेत में 60-70 सेमी चौड़ी और 15-20 सेमी ऊँची क्यारियाँ तैयार करें।
4.जैविक खाद के साथ संतुलित उर्वरक डालें ताकि प्रारंभिक वृद्धि अच्छी हो।
बुवाई का समय-
ग्रीष्मकालीन बुवाई: फरवरी-मार्च
शरदकालीन बुवाई: जून-जुलाई
शीतकालीन बुवाई: सितंबर-अक्टूबर
बीज दर और बुवाई विधि-
बीज की मात्रा: 4-5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजों को 0.5 से 1 सेमी गहराई पर बोएं और हल्की मिट्टी या खाद से ढक दें। इसके अंकुरण में 7-10 दिन लगते हैं। पौधों को 25-30 सेमी की दूरी पर रोपें।
प्रमुख उन्नत किस्में
चाइना एस्टर की कई उन्नत किस्में हैं, जो उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करती हैं।
सिंचाई और खाद प्रबंधन-
सिंचाई प्रबंधन:
- पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
- ग्रीष्मकाल में 5-7 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- फूल बनने की अवस्था में नियमित सिंचाई आवश्यक होती है।
- ड्रिप सिंचाई अपनाने से जल की बचत होती है और उत्पादन बढ़ता है।
उर्वरक प्रबंधन-
- फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय दें।
- नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष दो भागों में विभाजित करके फूल बनने के समय दें।
रोग और कीट नियंत्रण-
प्रमुख रोग:
- फ्यूजेरियम विल्ट:
- कारण: Fusarium oxysporum फंगस
- लक्षण: पत्तियाँ पीली पड़ना और पौधा मुरझाना
- नियंत्रण: 0.2% कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब का छिड़काव करें।
- पाउडरी मिल्ड्यू:
- कारण: Erysiphe cichoracearum फंगस
- लक्षण: पत्तियों पर सफेद फफूंदी
- नियंत्रण: 0.1% सल्फर डस्ट या डाइनोकैप का छिड़काव करें।
- ब्लैक रूट रॉट:
- कारण: Pythium व Rhizoctonia फंगस
- लक्षण: जड़ें काली पड़कर सड़ने लगती हैं
- नियंत्रण: थाइरम या ट्राइकोडर्मा के साथ बीज उपचार करें।
प्रमुख कीट:
- एफिड्स (Aphids):
- नियंत्रण: 0.05 फीसदी डाइमिथोएट या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
- थ्रिप्स (Thrips):
- नियंत्रण: 0.1 फीसदी स्पिनोसैड या एसीफेट का छिड़काव करें।
फूलों की तुड़ाई और विपणन-
तुड़ाई:
- फूलों को पूर्ण खिला अवस्था में तोड़ें।
- सुबह या शाम के समय फूल तोड़ना बेहतर होता है।
- तुड़ाई के बाद फूलों को ठंडी छाया में रखें।
पैकेजिंग और विपणन-
फूलों को ताजगी बनाए रखने के लिए जल में रखें या हाइड्रेटिंग सॉल्यूशन में डुबोकर रखें। बाजार में मांग के अनुसार फूलों को गुच्छों में बांधकर भेजें। स्थानीय मंडियों, फूल विक्रेताओं, और ऑनलाइन माध्यम से बिक्री करें।
चाइना एस्टर की वैज्ञानिक खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प हो सकता है। उचित जलवायु, भूमि प्रबंधन, उन्नत किस्मों का चयन, पोषक तत्त्वों की संतुलित आपूर्ति और कीट-रोग प्रबंधन से उच्च गुणवत्ता के फूलों का उत्पादन किया जा सकता है। सही समय पर तुड़ाई और उचित विपणन तकनीकों से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
चाइना एस्टर की वैज्ञानिक खेती की अहम बातें-
1.सही जलवायु और मिट्टी का चयन करें।
2.उन्नत किस्मों का उपयोग करें।
3.संतुलित उर्वरक और जल प्रबंधन अपनाएं।
4.रोग एवं कीटों की रोकथाम करें।
5.तुड़ाई और विपणन की सही रणनीति अपनाएं।