क्यों हाजीपुर में जून में लगाए जाते है केले, जानिए प्रगतिशील किसान बमबम राय से केले की खेती से जुड़ी अहम बातें

हाजीपुर के मालीपुर गांव में केले की खेती से किसान बमबम राय ने चीनिया केले की मिठास को प्रसिद्ध किया है और खेती से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की है।

केले की खेती Banana Cultivation

केले की खेती तो वैसे पूरे देश में होती है, मगर जो मिठास हाजीपुर के केले में है वो कहीं और नहीं। यहां का चीनिया केला पूरे देश में मशहूर है और ये हाजीपुर का पर्याय भी बन चुका है। जैसे मुजफ्फरपुर का नाम लेते ही लीची का स्वाद ताज़ा हो जाता है, वैसे ही हाजीपुर का नाम लेते ही चीनिया केले की मिठास मुंह में घुल जाती है।

किसान ऑफ इंडिया की टीम भी पहुंच चुकी है हाजीपुर, और हमारे संवाददाता सर्वेश बुंदेली ने हाजीपुर के मालीपुर गांव के प्रगतिशील किसान बमबम राय से बात की कैसे इस क्षेत्र में केले की खेती (Banana Cultivation) की जाती है और किसानों की किस तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।

केले की खेती के लिए बेस्ट समय (Best time for banana cultivation)

वैसे तो केले की खेती (Banana Cultivation) पूरे देश में की जाती है, मगर उत्तर प्रदेश और बिहार का मौसम इसकी खेती के लिए बेहतरीन है। दरअसल, केला अधिक गर्मी और अधिक सर्दी दोनों ही सहन नहीं पाता है, इसलिए बिहार में आमतौर पर किसान जून-जुलाई में इसकी खेती करते हैं।

प्रगतिशील किसान बमबम राय जो कई सालों से केले की खेती (Banana Cultivation) कर रहे हैं, वो बताते हैं कि उन्होंने 20 एकड़ खेत में केला लगाया हुआ है। उनके मुताबिक, जून महीने में केला लगाने से फसल अच्छी होती है। बरसात के बाद वो पेड़ की जड़ो के पास खुदाई करके खाद डालते हैं और उसके बाद सिंचाई करते हैं। वैसे तो मॉनसून में अलग से सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन कभी बरसात अच्छी न हो तो बोरिंग से सिंचाई की जाती है।

बिना बीज के कैसे उगते हैं केले (How to grow bananas without seeds)

आमतौर पर फल, अनाज और सब्ज़ियों के पौधे बीज से उगाए जाते हैं, मगर केले में बीज नहीं होता, इसलिए इसके पौधे को राइजोमा (जो केले का तना या कोई हिस्सा होता है)। केले के पुराने पेड़ को राइज़ोम या प्रकंद को काटकर अलग करके नए पौधे उगाए जाते हैं। बमबम राय कहते हैं कि उनके यहां केले को बीट (राइजोम) से तैयार किया जाता है। 

पहले खुरपी की मदद से जड़ लगे राइज़ोम को अलग कर लिया जाता है और फिर इसकी रोपाई की जाती है। उनका कहना है कि एक कट्ठा में केले के 16 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक बीट लगाने पर 5 बीट हो जाते हैं। इस तरह एक कट्ठा में खेती करने पर 80 घौद एक साल में तैयार हो जाते हैं। केले के पेड़ में साल में एक बार ही खाद डालने की ज़रूरत होत है। केले के पौधे या जड़ को 12 फीट की दूरी पर लगाया जाता है।

कीट और रोगों से कैसे करते हैं बचाव (How to protect against pests and diseases)

किसी भी फसल को कीट और रोग बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। केले की फसल को भी कीट और रोगों से बहुत क्षति होती है। बमबम राय का कहना हैं कि पेड़ों में कीट गंदगी की वजह से लगता है, प्रदूषण या खराब मौसम के कारण कीट की संभावना अधिक होती है। यही नहीं इस इलाके में बाढ़ का खतरा भी ज़्यादा है ऐसे में कीट लगने की एक वजह कीट भी है।

इससे बचने के लिए वो थाइमस और चूना आदि का खेतों में छिड़काव करते हैं, जिससे कीट मर जाए और खेती अच्छी हो। कीटों के अलावा पेड़ सूखने की भी एक बीमारी होती है जिसे पनामा विल्ट कहते हैं। इसमें पत्ते पीले पड़ जाते हैं और घौद तैयार नहीं होती है। ऐसा होने पर बमबम राय दुकानदार से पूछकर बाज़ार से दवा पौधों में डालते हैं।

आंधी से बचाव के उपाय (storm prevention measures)

आंधी से भी केले की फसल को बहुत नुकसान होता है ऐसे में किसान इसे बचाने के लिए बांस का सहारा देते हैं या फिर मिट्टी चढ़ाते हैं। इस बारे में बमबम राय कहते हैं कि आंधी कभी भी आ सकती है जिससे बहुत नुकसान होता है, इसलिए आंधी से बचाने के लिए वो पेड़ों को बांस का सहारा देते हैं ताकि पेड़ गिरे नहीं और फसल बर्बाद होने से बच जाए।

केले से बनते हैं स्वादिष्ट व्यंजन (Delicious dishes are made from bananas)

केले को फल के रूप में तो सभी खाते हैं। इसके अलावा कच्चे केले के चिप्स भी बहुत लोकप्रिय है, मगर बिहार में केले से तरह-तरह की स्वादिष्ट सब्ज़ियां बनाई जाती हैं, जिसका स्वाद लाजवाब होता है। बमबम राय कहते हैं कि केले की सब्ज़ी, भुजिया, कोफ्ता, मछली फ्राई सब्ज़ी बहुत स्वादिष्ट लगती है। एक बार जो इनका स्वाद चख लेता है वो इसे कभी भूल नहीं पाता है।

कितना होता है मुनाफा (How much is the profit)

अच्छी फसल उगाने के बाद किसानों के लिए एक बड़ी समस्या होती है मंडी तक इसे पहुंचाना, मगर बमबम राय के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है। उनका कहना है कि यहां पास में ही मंडी है जहां केला किलो और गंडा के हिसाब से बिक जाता है। आमतौर पर वो 15-16 रूपए किलो और 500 से 600 रुपए सैंकड़ें के हिसाब से केला बेचते हैं। केले की खेती (Banana Cultivation) में लागत बहुत आती है। उनका कहना है कि अगर बाढ़ न आए, तो फसल अच्छी हो जाती है जिससे अच्छा मुनाफा हो सकता है। यानी मुनाफा मौसम के ऊपर काफी हद तक निर्भर करता है।

क्या केले के पेड़ से रेशा बनाने का प्लान है? (Are you planning to make fibre from banana tree?)

कई जगहों पर केले के पेड़ से रेशे बनाए जाते हैं, मगर हाजीपुर इलाके में अभी तक इससे जुड़ी कोई योजना नहीं आई है। बमबम राय का कहना है कि केले से रेशे, कपड़े आदि बनाने से जुड़ी अभी तक कोई योजना सरकार की तरफ से उनके इलाके में नहीं आई है, आती तो अच्छा होता, क्योंकि फसल बर्बाद होने पर कई बार किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में अन्य उत्पाद बनाना किसानों के लिए फायदेमंद होगाय़

कितने किस्म के केले की करते हैं खेती (How many varieties of bananas are cultivated)

हाजीपुर का चीनिया केला तो पूरे देश में लोकप्रिय है ही, बमबम राय केले की 6 किस्में उगाते हैं जिसमें कोठिया, चीनिया, बरेली चीनिया, कंठाली चीनिया, अल्पान, बत्तीसा शामिल है। इसकी खासियत के बारे में वो बताते हैं कि अल्पाना मोटा और छोटा होता है, जबकि कंठाली चीनिया लंबा और बहुत मीठा होता है, बरेली चीनिया मोटा और लंबा दोनों होता है और स्वाद में अच्छा होता है। चीनिया केले का साइज़ थोड़ा छोटा होता है, मगर सभी केले मीठे होते हैं। बत्तीसा केला एक फीट का होता है और इसका सब्ज़ी में भी इस्तेमाल किया जाता है। 

ऑनलाइन वैज्ञानिक परामर्श (Online scientific consultation)

बमबम राय बताते हैं कि सरकार की तरफ से सुविधा मिली है कि किसी तरह की समस्या होने पर वो ऑनलाइन परामर्श कर लेते हैं। उनके इलाके में नीलगाय फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है ऐसे में वो सरकार से निवेदन करना चाहते हैं कि नीलगाय को हटाने का कुछ उपाय करें। 

किसानों को सलाह (Advice to farmers)

बमबम राय नए किसानों की मदद के लिए भी तैयार है वो कहते हैं कि एक कट्ठा में 16 बीट लगता है, तो किसानों को जितनी ज़रूरत हो उस हिसाब से वो उनसे बीट लेकर लगा सकते हैं। एक साल के बाद खेत की फिर जुताई करनी होगी, घास आदि हटाने होंगे, क्यारी बनाकर पानी देना होगा फिर खाद डालना होगा, पहले गोबर की खाद डालकर सिंचाई करें। जून-जुलाई में एक कट्ठा में 5 किलो खाद डालकर फिर सिंचाई करें। अगर बारिश नहीं होती है तो 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना ज़रूरी है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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