Seed Nano-Priming: क्या है सीड नैनो प्राइमिंग? कैसे फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मददगार??

बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक फसल उत्पादन की ज़रूरत है और इसके लिए खेती में लगातार नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी ही एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है सीड नैनो प्राइमिंग।

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सीड नैनो प्राइमिंग (Seed Nano-Priming): कृषि वैज्ञानिक लगातार रिसर्च करके नई-नई तकनीकों का विकास कर रहे हैं। ऐसे ही एक तकनीक है सीड नैनो प्राइमिंग, जो फसल का उत्पादन बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होगी।

बढ़ती आबादी की भोजन की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए फसल उत्पादन का बढ़ना बहुत ज़रूरी है और इसलिए सीड नैनो प्राइमिंग कृषि क्षेत्र के लिए किसी क्रांति से कम नहीं है। इसकी बदौलत विपरित परिस्थितयों में भी पौधों का विकास अच्छा होता है, जिससे किसानों को अच्छी उपज प्राप्त होती है।

क्या है सीड नैनो प्राइमिंग? (Seed Nano Priming)

सीड या बीज नैनो-प्राइमिंग एक नई तकनीक है, जिसमें सीड प्राइमिंग के लिए खासतौर पर नैनोकणों का इस्तेमाल किया जाता है। सीड नैनो प्राइमिंग पारंपरिक सीड प्राइमिंग से अलग है, क्योंकि पारंपरिक सीड प्राइमिंग में मुख्य रूप से पानी (हाइड्रोप्राइमिंग) या पोषक तत्व, हार्मोन, या बायोपॉलिमर वाले घोल का उपयोग होता है। इसे बीज अवशोषित (Absorbed) कर लेते हैं या बीज पर इनकी परत चढ़ जाती है। जबकि बीज नैनो-प्राइमिंग में सस्पेंशन या नैनोफॉर्म्यूलेशन मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है। जब नैनोपार्टिकल बनते हैं, तो बड़ा हिस्सा लेप के रूप में बीज के ऊपर लग जाता है। इससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और रोगजनकों से इनका बचाव होता है।

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क्या कहती है स्टडी?

बीज अंकुरण पर सीड नैनो प्राइमिंग तकनीक का प्रभाव दिखाने के लिए एक अध्ययन किया गया था। इसके मुताबिक, टमाटर के बीज कार्बन नैनोट्यूब को ग्रहण कर सकते हैं। कार्बन नैनोट्यूब ने पानी के अपटेक की मात्रा बढ़ा दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि टमाटर के पौधों में फूल 2 गुना अधिक बढ़ गए। टमाटर के अलावा जौ, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलों पर किए गए अध्ययन में भी सामने आया कि कार्बन नैनोट्यूब पौधों में बीज के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित कर सकते हैं और कई प्रकार के जीन में बदलाव करके पौधों का विकास तेज़ी से करने में मदद करते हैं।

नैनो प्राइमिंग के फ़ायदे

इस विषय पर हुए अध्ययन बताते हैं कि सीड नैनो प्राइमिंग के कई फायदे हैं, जैसे- ये पौधों के विकास को बढ़ावा देता है, उत्पादन बढ़ाता है, भोजन में पौष्टिक तत्वों की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। नैनो प्राइमिंग बायोकेमिकल रास्ते को व्यवस्थित करता है और प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों और पौधों के विकास हार्मोन के बीच संतुलन को नियंत्रित करता है। इससे कीटनाशकों और उर्वरकों के इस्तेमाल में कमी आती है और इससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और तनाव कम होता है।

दरअसल, उपज बढ़ाने के लिए उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन और फॉस्पोरस का बहुत इस्तेमाल हो रहा है, जबकि खेत में डाले गए नाइट्रोजन का 30-50% और फास्फोरस का 45% अंश ही फसलों द्वारा अवशोषित किया जाता है। बाकि नाइट्रोजन और फास्फोरस जल और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। नैनो प्राइमिंग का उपयोग करके इस समस्या से निपटा जा सकता है।

इन नैनोपार्टिकल्स का हो रहा इस्तेमाल

सिल्वर नैनोपार्टिकल्स- कार्बन नैनोट्यूब के बाद अब सिल्वर नैनोपार्टिकल्स का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। इसमें बीजों को जीवाणुओं और कवक से बचाने की क्षमता है। इसके अलावा इसमें ऑप्टिकल, चुंबकीय और विद्युत गुण होते हैं। इसलिए बागवानी के साथ ही अन्य कृषि कार्यों में भी इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

(Silicon nanoparticles) सिलिकॉन नैनोपार्टिकल्स- वैज्ञानिकों की मानें तो यह पौधों को लवणता के तनाव से निपटने में मदद करता है। इसके अलावा यह पत्तियों के प्रकाश अवशोषण, प्रकाश संश्लेषक गतिविधि, वाष्पीकरण, जैविक व अजैविक तनाव को कम करने में मदद करता है। इससे प्रतिकूल जलवायु में भी पौधों का अच्छा विकास होता है।

इसके अलावाजिंक, टाइटेनियम और चांदी के नैनोकण, नैनो-पाइराइट (FeS2), बायोजेनिक सिल्वर नैनोकणों (biogenic silver nanoparticles), जिंक ऑक्साइड और आयरन ऑक्साइड नैनोकणों का उपयोग भी किया जाता है।

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नैनो कमों का उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है, मगर कृषि में इसका इस्तेमाल विशेष सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। बीज उपचार से पहले, नैनोपार्टिकल के आकार और सांद्रता (concentratio) और जोखिम की अवधि को देखना ज़रूरी है।

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