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पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे? किन रोगों से मवेशियों को मिल सकता है आराम?

कृषि संस्थान द्वारा सुझाए गए इन तरीकों से हो सकता है पशुओं का उपचार

खेती के साथ ही ज़्यादातर किसान पशुपालन भी करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें कई फ़ायदे होते हैं। दूध, दही, घी के साथ ही खेती के लिए जैविक खाद मिलती है। लेकिन पशुओं के बीमार होने पर पशुपालकों को दवाओं पर काफ़ी खर्च करना पड़ जाता है, जिससे लाभ कम हो जाता है। ऐसे में औषधीय पौधे बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।

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औषधीय पौधे (Medicinal Plants): कुदरत ने हमें जड़ी-बूटियों का खज़ाना दिया है, जिसका अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इंसानों के साथ ही पशुओं के दवाओं के खर्च में भी बहुत बचत होगी। मगर जानकारी के अभाव में ज़्यादातर लोग प्रकृति के नायाब तोहफ़े का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और बाज़ार में मिलने वाली दवाओं के पीछे पानी की तरह पैसा बहाते रहते हैं। वैसे तो हर पशुपालक अपनी तरफ़ से पशुओं की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ता है, बावजूद इसके कई कारणों से वो बीमार पड़ ही जाते हैं।

ऐसी स्थिति में अगर उन्हें जड़ी-बूटियों के नाम, इस्तेमाल का तरीका पता होगा, तो पशुओं को इन्हें खिलाकर दवाओं पर होने वाले फिज़ूल खर्च से बच सकते हैं।

बहुत महंगी होती है बाज़ार में मिलने वाली दवाएं

पशु किसानों की संपत्ति हैं, लेकिन कोई पशु अगर बार-बार रोगग्रस्त होने लगे तो इसके इलाज के लिए उन्हें बाज़ार से महंगी दवाएं लेनी पड़ती हैं। कई बार तो इसी चक्कर में किसान कर्ज के चंगुल में भी फंस जाता है। इसलिए बेहतर है कि वो औषधीय गुणों वाले पौधों और उन्हें पशुओं को किस तरह देना चाहिए, इसके बारे में जानकारी जुटाएं, क्योंकि ये छोटी सी जानकारी उनके पशुओं के स्वास्थ्य और उनकी वित्तिय स्थिति को बेहतर कर सकती है। ICAR द्वारा सुझाए गए कुछ तरीकों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

किसी रोग में पशुओं को कौन सी जड़ी-बूटी दें?

दूध में कमी आना: अगर आपका पशु कुछ दिनों से कम दूध दे रहा है, तो उसे शतावरी साघकुल खिलाएं। सबसे पहले इसके 250 ग्राम जड़ का पाउडर बनाकर रातिब में मिलाएं। फिर एक बार में 60 ग्राम पाउडर 3-5 दिनों तक खिलाएं। इसके अलावा, पशुओं को चारे के साथ जीवन्ती के पत्ते और डंठल भी काटकर दे सकते हैं। एक बार में 60 ग्राम पत्ती ये डंठल 30 दिनों तक दिन में दो बार देना सुझाया गया है।

हल्का अफारा: इस रोग से पीड़ित होने पर पशुओं को अदरक, लहसुन, इलायची और गुड़ दिया जा सकता है। 60 ग्राम अदरक, 2 पोट लहसुन, 4 इलायची, 6-7 लौंग को आधे लीटर पानी में उबालें और इस पानी में गुड़ मिलाकर घोल तैयार करें। 100 मि.ली. घोल दिन में एक बार दो दिनों तक बीमार पशु को पिलाएं।

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डिहाइड्रेशन: इंसानों की तरह ही पशुओं को भी डिहाइड्रेशन होता है। ऐसी स्थिति में उन्हें नमक, खाने का सोडा और चीनी दिया जाना चाहिए। 2 चम्मच नमक, आधा चम्मच खाने का सोडा और 4 चम्मच चीनी, 2 लीटर पानी में अच्छी तरह घोल लें। इस घोल को बछड़े को 1–1.2 लीटर और वयस्क पशु को 2–3 लीटर रोज़ाना दिन में 2–3 बार पिलाएं। पशु की हालत सुधरने तक इसे पिलाते रहें।

दस्त: पशुओं को दस्त होने पर चाय की पत्ती अदरक और अमरूद की पत्तियां देना फ़ायदेमंद होता है। चाय की पत्ती एक लीटर पानी में उबालें और उसमें कुटी हरी अदरक मिलाकर घोल तैयार करें। 3-4 दिनों तक दिन में दो बार ये घोल पशुओं को दें। इसके अलावा, अमरूद की पत्तियों का घोल भी दे सकते हैं। आधा किलो अमरूद की पत्तियों को 1–2 लीटर पानी में उबालकर पशु को दें।

त्वचा रोग: त्वचा रोग होने पर नीम और बैंगन का इस्तेमाल लाभदायक होता है। फुल, छाल, टहनी का तेल या नीम का तेल पशु के शरीर के प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। इसके अलावा, पाउडर और बैंगन का चूरा मिलाकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

बांझपन: पशुओं की इस समस्या को दूर करने के लिए बैंगन, कुल्थी और नारियल का इस्तेमाल करें। रोज़ाना एक हफ़्ते तक पहले 1 किलो पका हुआ बैंगन और 250 ग्राम भीगी और पीसी हुई कुल्थी पशु को दें। इसके अलावा, आप उन्हें नारियल के नये लगे फूलों के जूस और नारियल पानी का मिश्रण भी 3-5 दिनों तक रोज़ाना एक बार दे सकते हैं।

बुखार: पशुओं के शरीर का तापमान बढ़ने या बुखार होने पर गिलोय और नीम देना फ़ायदेमंद होता है। 100 ग्राम गिलोय और 50 ग्राम नीम की लकड़ी को 1 लीटर पानी में उबालें। ठंडा होने के बाद ये पानी 100 मि.ली. दिन में तीन बार दें।

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