चारा चुकन्दर की खेती (Fodder Beet): हरे चारे की भरपाई करने वाली शानदार फसल की किस्म विकसित

‘काज़री’ ने हरे चारे की एक नयी किस्म वाली फसल को विकसित किया है। इसका नाम है- चारा बीट या चारा चुकन्दर। इसकी खेती किसी भी किस्म की मिट्टी में हो सकती है। इसकी पैदावार पर मिट्टी और पानी के खारेपन या ख़राब गुणवत्ता का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लिहाज़ा, इसे पूरे देश में कहीं भी उगाया जा सकता है।

चारा चुकन्दर की खेती chara beetroot farming

चारा चुकन्दर की खेती (Fodder Beet Cultivation): खेती-किसानी से जुड़ा हर शख़्स जानता है कि एक ओर गाँवों में बढ़ती आबादी के दबाव की वजह से परम्परागत चारागाहों (grassland) की संख्या घट रही है तो दूसरी ओर, पशुधन की बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मवेशियों के लिए हरा चारा उपलब्ध करवाना पशुपालकों के एक बड़ी चुनौती बन रही है। शुष्क या कम बारिश वाले इलाकों में तो चारे की उपलब्धता और ख़ासकर हरे चारे की कमी से वैज्ञानिकों का समुदाय भी बहुत चिन्तित रहा है। इसीलिए हरे चारे की कमी की चुनौती से उबरने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद (ICAR) के जोधपुर स्थित केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान (Central Arid Zone Research Institute या काज़री) ने हरे चारे की एक नयी किस्म वाली फसल को विकसित किया है। इसका नाम है- चारा बीट या चारा चुकन्दर।

क्यों ख़ास है हरे चारे की नयी किस्म की खोज?

खेती-बाड़ी की दुनिया के लिए देश में हरे चारे की नयी किस्म का विकसित होना बहुत ख़ास बात है। इसके प्रभाव को समझने के लिए आइए ज़रा आँकड़ों में झाँकते चलें। पशु जनगणना 2019 के अनुसार, देश में पशुधन की आबादी की वृद्धि दर 4.42 प्रतिशत है। पशुधन के लिहाज़ से दुनिया में भारत का अग्रणी स्थान है। 2019 में देश में पशुधन की कुल संख्या 53.58 करोड़ थी। इसमें से 30.52 करोड़ गौवंश यानी गाय-भैंस की हिस्सेदारी थी। इस तरह देश के कुल पशुधन में 43 प्रतिशत हिस्सेदारी ऐसे गाय-भैंस की है जिन्हें मुख्य रूप से दूध और इससे बनने वाले उत्पादों के लिए पाला जाता है।

चारा चुकन्दर की खेती chara beetroot farming
तस्वीर साभार: ICAR-CIRC

दूसरी ओर, कृषि जनगणना 2015-16 के मुताबिक, देश में किसानों की कुल संख्या 15.8 करोड़ है। इनमें ज़्यादातर का वास्ता किसी ना किसी तरह से पशुपालन से भी है। पशुपालन के ज़रिये अच्छी उत्पादकता और लाभ पाने के लिए हरे चारे की अहमियत बहुत ज़्यादा है। ज़ाहिर है, कृषि वैज्ञानिकों की ओर से विकसित चारा चुकन्दर फसल से 76 करोड़ की आबादी वाला देश का वो विशाल समुदाय किसी न किसी रूप में प्रभावित होगा जो खेती-बाड़ी के पेशे से किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ या प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष तौर पर कृषि पर निर्भर है। इसीलिए, यदि आपका ज़रा भी नाता किसानों के विशाल समुदाय से है तो आपको चारा चुकन्दर के बारे में ज़रूर जानना चाहिए।

चारा चुकन्दर की खेती chara beetroot farming
तस्वीर साभार: ICAR

चारा चुकन्दर की खेती (Fodder Beet): हरे चारे की भरपाई करने वाली शानदार फसल की किस्म विकसित

शानदार ख़ूबियों से भरपूर है चारा चुकन्दर

पशुपालकों के लिए चारा चुकन्दर की खेती करना बेहद फ़ायदेमन्द साबित हो सकता है क्योंकि अन्य चारा फसलों की तुलना में चारा चुकन्दर काफ़ी कम क्षेत्रफल और कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली अनूठी चारा फसल है। इसकी पैदावार जनवरी से लेकर अप्रैल के दूसरे पखवाड़े तक मिलती है और यही वो मौसम होता है जबकि अन्य चारा फसलों की उपलब्धता काफ़ी कम होती है।

चारा चुकन्दर की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी बढ़िया मानी गयी है, लेकिन इससे भी बढ़कर इसकी ख़ूबी ये है कि इसे किसी भी किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है। मिट्टी और पानी के खारेपन या ख़राब गुणवत्ता का भी चारा चुकन्दर की पैदावार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसे ऊसर और परती ज़मीन पर भी उगाया जा सकता है। लिहाज़ा, इसे पूरे देश में कहीं भी या कहें कि हर जगह चारा चुकन्दर की खेती हो सकती है।

चारा चुकन्दर की खेती chara beetroot farming
तस्वीर साभार: ICAR

विदेश में भी बेहद लोकप्रिय है चारा चुकन्दर

चारा चुकन्दर का पौधा सलाद के काम में आने वाले चुकन्दर जैसा होता है, लेकिन आकार में बड़ा होता है। चारा चुकन्दर के पौधे के ऊपर की तरफ 6 से 7 पत्तियों का गुच्छा होता है और इसका कन्द ज़मीन की सतह से थोड़ा ऊपर निकला होता है। दुनिया के ऐसे सभी देशों में जहाँ व्यावसायिक पैमाने पर पशुपालन किया जाता है, वहाँ चारा चुकन्दर की फसल बहुत लोकप्रिय है। इसे ब्रिटेन, फ्राँस, हॉलैंड, न्यूज़ीलैंड और बेलारूस में हरे चारे के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और कई प्रदेशों के कृषि विभागों ने चारा चुकन्दर की फसल को बहुत गुणकारी पाया है और ये सभी मिलकर इसे ज़्यादा से ज़्यादा प्रोत्साहित करने की दिशा में काम भी कर रहे हैं। चारा चुकन्दर के बारे में ज़्यादा जानकारी के इच्छुक किसान और पशुपालक जोधपुर के केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान से भी सम्पर्क कर सकते हैं।

चारा चुकन्दर की खेती chara beetroot farming
तस्वीर साभार: ICAR

चारा चुकन्दर की खेती (Fodder Beet): हरे चारे की भरपाई करने वाली शानदार फसल की किस्म विकसित

कैसे करें चारा चुकन्दर की उन्नत और वैज्ञानिक खेती?

चारा चुकन्दर की किस्में: पशुपालक किसानों के लिए हरे चारे की इस शानदार फसल की कई नयी किस्मों को विकसित किया गया है। इनके नाम हैं – जेके कुबेर, मोनरो और जामोन।

बुआई का मौसम: चारा चुकन्दर की फसल की बुआई का सबसे सही वक़्त 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच का माना गया है।

बुआई की तैयारी: चारा चुकन्दर की बुआई से पहले मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से खेत को तैयार करना चाहिए। इसके बाद पाटा लगा देना चाहिए।

बीज दर: अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 2 से लेकर 3 किलोग्राम चारा चुकन्दर के बीज की ज़रूरत पड़ती है। इसके एक बीज से एक से ज़्यादा पौधे निकल सकते हैं, क्योंकि इसकी अधिकतर प्रजातियाँ ‘मल्टीजर्म’ प्रकृति की होती हैं।

बीजोपचार और रोग नियंत्रण: चारा चुकन्दर की फसल में कभी-कभार ज़्यादा सिंचाई होने की वजह से जड़गलन रोग देखने को मिल सकता है। ज़ाहिर है इससे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुँचाता है। लेकिन इसकी रोकथाम के लिए बुआई से पहले ही प्रति 3 किलोग्राम बीज को 1.25 ग्राम मैंकोजेब से उपचारित करना चाहिए।

सिंचाई: चारा चुकन्दर की फसल को बुआई के 15 दिनों के भीतर हल्की सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है। इसके बाद इसे  सिंचाई और अतिरिक्त देखरेख की ज़रूरत कम ही पड़ती है। 

फसल पकने का समय और पैदावार: चारा चुकन्दर की फसल को तैयार होने में 4 महीने लगते हैं। यदि वैज्ञानिक विधि से खेती की जाए तो इससे प्रति हेक्टेयर 65 से लेकर 100 टन हरा चारा और 600 क्विंटल का बायोमास हासिल होता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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