Top 10 Desi Cow Breeds: गौपालन से जुड़े हैं तो जानिए देसी गाय की 10 उन्नत नस्लों को
हर नस्ल की है अपनी खासियत
उन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।
खेती और पशुपालन आज भी गांव में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय है। पशुपालन का व्यवसाय तो अब गांव के दायरे से निकलकर शहरों तक भी पहुंच गया है। इस बिज़नेस पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो इसमें अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा हो सकता है। यदि आप भी पशुपालन से जुड़े हैं, तो आपको गायों की कुछ उन्नत नस्लों की जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ये अधिक दुधारू होती हैं। कौन-सी हैं गाय की 10 उन्नत नस्लें और आप उनकी पहचान कैसे कर सकते हैं, जानिए यहां।
देसी गाय की 10 उन्नत नस्लें:
गिर
यह गाय सबसे अधिक दूध देती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गिर नस्ल की देसी गाय एक दिन में 50 से 80 लीटर तक दूध दे सकती है। यह गाय मुख्य रूप से काठियावाड़ (गुजरात) के गिर जंगल में रहती है, इसलिए इसका नाम गिर पड़ा।
कैसे पहचानें?
शरीर गठीला और ललाट उभरा हुआ होता है। कान लंबे व मुड़े हुए होते हैं। सींग टेढ़े होते हैं, जिस पर लाल या कत्थई धब्बे होते हैं।

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साहीवाल
यह गाय की बेहतरीन प्रजाति है जो मूल रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होती है। इस प्रजाति की गाय आमतौर पर एक साल में 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है। एक बार बच्चे को जन्म देने के बाद यह लगभग 10 महीने तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
यह गाय गहरे लाल, सफेद, भूरे या काले रंग की भी होती है। यह लंबी और मांसल होती है। इनका माथा चौड़ा और शरीर भारी – भरकम होता है। सींग छोटी व मोटी होती है और पूंछ बड़े काले-झब्बे वाली होती है।

राठी
इस प्रजाति की गाय मूल रूप से राजस्थान में होती है और यह बहुत दुधारू होती है। राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर इलाकों में आमतौर पर राठी नस्ल की गाय पाई जाती है। यह रोज़ाना करीब 6 से 8 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय की त्वचा आकर्षक होती है। चेहरा थोड़ा चौड़ा होता है। यह गाय मध्यम आकार की होती है, रंग सफेद होता है जिस पर भूरे या काले धब्बे होते हैं। इनकी सींग मध्यम आकार की, अंदर की तरफ मुड़ी हुई होती है और पूंछ बहुत लंबी होती है।

लाल सिंधी
गाय की यह प्रजाति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु में पाई जाती है। पहले यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मिलती थी, जिसके कारण इसका नाम लाल सिंधी पड़ा। हालांकि इनकी संख्या काफी कम हो गई है। जहां तक दूध का सवाल है तो यह गाय भी पूरे साल में करीब 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इनका सिर सामान्य आकार का और ललाट चौड़ा होता है, जिसपर छोटे-छोटे बाल होते हैं। सींग घुमावदार होते हैं और इनकी गर्दन लंबी व मोटी होती है।

हरियाणवी
मूल रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पाई जाने वाली इस प्रजाति की गायें सफेद रंग की होती हैं और दूध भी अच्छा देती हैं। एक ब्यांत (lactation) में लगभग 2200-2600 लीटर दूध देती हैं ।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय के मुंह, सींग व कान छोटे होते हैं। माथा चिपटा व गर्दन लंबी और सुंदर होती है। इनकी आंखें बड़ी-बड़ी और सींग घुमावदार होते हैं।

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कांकरेज
यह गाय की बेहतरीन प्रजातियों में से एक है जो मूल रूप से गुजरात और राजस्थान में पाई जाती है। राजस्थान में भी यह मुख्य रूप से बाड़मेर, सिरोही तथा जालौर जिलों में पाई जाती है। यह गाय एक दिन में 5 से 10 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का मुंह छोटा और आंखें बड़ी व चमकदार होती हैं। इनके कान लंबे व लटके हुए होते हैं। सींग मोटे, लंबे और भीतर की ओर मुड़े हुए होते हैं। गर्दन पतली व लंबी होती है।

कृष्णा वैली
यह मूल रूप से कर्नाटक की कृष्णा वैली में पाई जाती है इसलिए इसका नाम कृष्णा वैली पड़ा। इस नस्ल की गाय बहुत शक्तिशाली होती है और दूध भी अच्छा देती है। एक ब्यांत में यह करीब 900 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का शरीर लंबा होती है। सींग और पैर छोटे व मोटे होते हैं। इनकी छाती चौड़ी होती है और गर्दन छोटी व मज़बूत होती है।

नागोरी
यह नस्ल मुख्य रूप से राजस्थान के नागौर ज़िले की है। इसके अलावा जोधपुर व बीकानेर में भी यह पाई जाती है। दूध के मामले में यह नस्ल बहुत अच्छी मानी जाती है, क्योंकि एक ब्यांत में यह करीब 600-954 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय हल्के लाल, सफेद व जामुनी रंग की होती है। इनकी त्वचा ढीली होती है, माथा उभरा हुआ, कान व मुंह लंबे होते हैं। सींग बहुत बड़े नहीं होते। यह मध्यम आकार की होती है और इनकी आंखें छोटी होती हैं ।
थारपरकर
मूल रूप से गाय की यह नस्ल पाकिस्तान में पाई जाती है। इसके अलावा राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमर, जोधपुर और कच्छ के कुछ इलाकों में भी यह गाय पाई जाती है। राजस्थान के कुछ इलाकों में इसे ‘मालाणी नस्ल’ भी कहा जाता है। अधिक दूध देनी वाली नस्ल में यह भी शामिल है। यह गाय प्रति ब्यांत करीबन 1400 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का शरीर मध्यम आकार का होता है और यह हल्के सफेद रंग की होती है। इनका शरीर गठीला और मज़बूत होता है। चेहरा लंबा, सिर चौड़ा व उभरा हुआ होता है। इनके सींग ज़्यादा लंबे नहीं होते, लेकिन नुकीले होते हैं।

नीमाड़ी
मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली गाय की यह नस्ल बहुत फुर्तीली होती है। लाल रंग और सफेद धब्बों वाली यह गाय दूध भी अच्छा देती है। एक ब्यांत में करीब 800 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस प्रजाति की गाय का शरीर और सिर लंबा होता है। कान चौड़े और सीधे होते हैं. सींग ऊपर की ओर जाकर थोड़ा मुड़ा हुआ होता है।
इन देसी नस्ल की गायों को पालकर आप भी अपने पशुपालन व्यवसाय या डेयरी उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं।
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