इंजीनियरिंग छोड़ देसी गाय के गोबर से शुरू किया अपना व्यवसाय, अब कईयों को दे रहे रोज़गार

गुजरात के जिग्नेश पटेल और उनकी पत्नी रिंकल पटेल की पहल से न सिर्फ़ कई लोगों को रोज़गार मिला, बल्कि इससे देसी गाय के सरंक्षण में भी मदद मिलेगी और गाय के गोबर का भी सदुपयोग होगा।

आमतौर पर देसी गाय का दूध ही केवल आमदनी का ज़रिया माना जाता है और जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो बहुत से उन्हें खुले में यूं ही छोड़ देते हैं। ऐसे में गुजरात के जिग्नेश पटेल और पत्नी रिंकल पटेल की अनोखी पहल गायों के सरंक्षण में बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकती है। वह देसी गाय के दूध के अलावा, उसके गोबर से पैसे कमाने का तरीका बता रहे हैं। इंजीनियरिंग छोड़ जिग्नेस गोबर से ढेरों उत्पाद बनाकर बेच रहे हैं। अब उनका व्यवसाय काफ़ी लोकप्रिय हो चुका है। उनसे बात की किसान ऑफ़ इंडिया की संवाददाता दीपिका जोशी ने।

गिर और कांकरेज गुजरात की प्रसिद्ध देसी नस्ल की गायें हैं।
गिर और कांकरेज गुजरात की प्रसिद्ध देसी नस्ल की गायें हैं

इंजीनियरिंग छोड़ देसी गाय के गोबर से शुरू किया अपना व्यवसाय, अब कईयों को दे रहे रोज़गार

इंजीनियरिंग छोड़ गौपालन से क्यों जुड़े?

जिग्नेश पटेल का कहना है कि कंप्यूटर इंजीनियर के पेशे में सुबह से शाम तक बस कंप्यूटर पर बैठे रहना होता है। कुछ नया करने को नहीं मिलता। इसलिए कुछ अलग और नया करने के लिए गौपालन से जुड़े और देसी गायों डेयरी फ़ार्म की शुरुआत की। शुरुआत में सिर्फ़ 5 देसी गायें ही थीं, लेकिन अब 45 के आसपास गिर और कांकरेज नस्ल की गायें हैं। गिर और कांकरेज गुजरात की प्रसिद्ध देसी नस्ल की गायें हैं।

क्या-क्या बनाते हैं?

शुरुआत में गोबर से कंडे और दीये बनाएं, लेकिन इनका रोज़ाना इस्तेमाल नहीं हो सकता है। फिर हमने इस दिशा में सोचना शुरू किया और कई और उत्पाद बनाने शुरू कर दिए।

जिग्नेश बताते हैं कि गोबर से वह घर में इस्तेमाल होने वाली कई चीज़ें बनाते हैं जैसे घड़ी, पूजा थाली, अगरबत्ती, आइना, बच्चों के खिलौने, हेयर ऑयल, पेंटिंग आदि। ये प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए जो गोबर चाहिए वह सूखा और सख्त होना चाहिए। ऐसे में गाय को चारा खिलाते समय ध्यान रखना पड़ता है कि कुछ ऐसा न खिलाएं जिससे गोबर गीला और फैला हुआ हो। गोबर सख्त होना चाहिए। प्रॉडक्ट बनाने के लिए, गोबर के साथ चुने का इस्तेमाल होता है।

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चारे में देसी गाय को क्या खिलाते हैं?

जिग्नेश कहते हैं कि वह गायों को हरा और सूखा जौ व ज्वार खिलाते हैं। प्रोटीन की आपूर्ति के लिए गायों को सभी दालों का चूरा देते हैं। इसके साथ ही शतावरी और अश्वगंधा भी देते हैं। वह 120 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अहमदाबाद के कई इलाकों में देसी गायों के दूध की बिक्री भी करते हैं।

देसी गाय एक, काम अनेक
देसी गाय एक, काम अनेक

कैसे बेचते हैं देसी गाय के पशुधन से तैयार किए गए प्रॉडक्ट?

सामान की बिक्री के लिए जिग्नेश पटेल हैंडमेड चीज़ें बेचने वाली दुकान के साथ संपर्क में रहते हैं। वहां उनके उत्पाद बिकते हैं। इसके अलावा, लोग सामने से भी प्रॉडक्ट खरीदने आते हैं।

रोज़गार के अवसर पैदा किए

जिग्नेश अपने व्यवसाय के ज़रिए न सिर्फ़ गौ सरंक्षण का काम कर रहे हैं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में भी मदद कर रहे हैं। उनके साथ 50-60 महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो घर बैठे ही उत्पाद बनाती हैं। जिग्नेश पटेल की यह पहल यकीनन सराहनीय हैं।

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