Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 ‘लाल आटा बीटल’ से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया

'लाल आटा बीटल' (Red Flour Beetle) भंडारित अनाज को अंदर से खोखला कर देते हैं। ये कीट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में किसानों और अनाज भंडारकर्ताओं (grain storekeepers) के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।

Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 'लाल आटा बीटल' से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया

क्या आपने कभी गेहूं या सरसों के दानों में छोटे-छोटे लाल रंग के कीड़े देखे हैं? ये कोई साधारण कीट नहीं, बल्कि ‘लाल आटा बीटल’ (Red Flour Beetle) हैं, जो भंडारित अनाज को अंदर से खोखला कर देते हैं। ये कीट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में किसानों और अनाज भंडारकर्ताओं (grain storekeepers) के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। अगर समय रहते इन पर काबू न पाया गया, तो ये पूरे के पूरे गोदाम को बर्बाद कर सकते हैं।

लेकिन अब ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने ने एक नया DNA टेस्ट विकसित किया है, जो ‘लाल आटा बीटल’ (Red Flour Beetle) को पहचानकर फसलों को बचाने में मदद करेगा। आइए, जानते हैं कि ये कीट कितने खतरनाक हैं और इनसे कैसे निपटा जाए।

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लाल आटा बीटल क्या हैं?

इस कीट का वैज्ञानिक नाम ट्रिबोलियम कैस्टेनम (Tribolium castaneum) है। ये छोटे, लाल-भूरे रंग के कीट होते हैं, जो गेहूं, मक्का, दालें, आटा और दूसरे भंडारित अनाज को ख़राब कर देते हैं। ये कीट अनाज को अंदर से खाते हैं, जिससे बाहर से तो दाना सही दिखता है, लेकिन अंदर से पूरा खोखला हो चुका होता है।

कैसे करते हैं नुकसान?

  • लार्वा और वयस्क दोनों ही अनाज को खाते हैं।
  • अनाज में छेद कर देते हैं, जिससे दाने टूट जाते हैं।
  • 30°C तापमान पर ये कीट तेजी से बढ़ते हैं और महज 35 दिनों में अंडे से वयस्क बन जाते हैं।
  • ये कीट दोपहर के बाद उड़ते हैं, जिससे ये दूसरे गोदामों में भी फैल जाते हैं।

 फॉस्फीन केमिकल अब बेअसर 

पहले इन कीटों को मारने के लिए एल्युमिनियम फॉस्फाइड (Aluminium Phosphide) का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे फॉस्फीन गैस निकलती है। लेकिन अब इन कीटों ने इस केमिकल के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। यानी अब ये गैस भी इन्हें मार नहीं पाती, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

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 वैज्ञानिकों ने ढूंढा समाधान -DNA टेस्ट 

ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने एक नया DNA टेस्ट विकसित किया है, जिससे फॉस्फीन-प्रतिरोधी (Phosphine-resistant) लाल आटा बीटल की पहचान की जा सकेगी। इस टेस्ट को CAPS (Cleaved Amplified Polymorphic Sequence) मार्कर-बेस्ड टेक्नोलॉजी से बनाया गया है।

इस टेस्ट के फायदे 

 1.अनाज की सुरक्षा: कीटों की शुरुआती पहचान से बड़े नुकसान को रोका जा सकेगा।
 2.कीटनाशकों की बचत: अब बेवजह फ्यूमिगेंट का उपयोग नहीं करना पड़ेगा, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान नहीं होगा।
 3.लागत कम, सुरक्षा ज्यादा: ये टेस्ट सस्ता और प्रभावी है, जिससे छोटे किसान भी लाभ उठा सकते हैं।

Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 'लाल आटा बीटल' से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया

 कीटों से बचाव के घरेलू और वैज्ञानिक उपाय

अगर आप भी अपने भंडारित अनाज को इन कीटों से बचाना चाहते हैं, तो ये उपाय अपनाएं-

1. गोदाम की सफाई और फ्यूमिगेशन

खाली गोदाम में एल्युमिनियम फॉस्फाइड की गोलियां रखें। इसके साथ ही गोदाम को 0.05 प्रतिशत मैलाथियान के घोल से स्प्रे करें।

2. पुराने बोरों को कीटाणुरहित करें

बोरों को 0.0125 फीसदी साइपरमेथ्रिन या फेनवेलरेट से उपचारित करें।

3. दालों को तोड़कर रखें

दालों को फोड़कर भंडारित करें, क्योंकि ये कीट पूरी दालों पर ही हमला करते हैं।

4. वायुरोधी भंडारण (Hermetic Storage)

अनाज को एयरटाइट बैग या ड्रम में रखें, ताकि कीट अंदर न जा सकें।

 

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