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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan) ने इंदौर में सोयाबीन की खेती (Improved Varieties of Soybean) को लेकर एक बड़ी पहल की। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (Indian Soybean Research Institute) में आयोजित बैठक की। अब जीनोम एडिटिंग (Genome Editing) के ज़रीये से सोयाबीन की उन्नत किस्मों को उगाया जाएगा। बता दें कि मीटिंग में वैज्ञानिकों, किसानों और अधिकारियों के साथ मंथन करते हुए कृषि मंत्री ने कहा, किसानों की आवाज सीधे रिसर्च तक पहुंचेगी। लैब की बजाय खेतों में तरक्की की नींव होगी।
क्यों है सोयाबीन इतना अहम?
भारत में सोयाबीन तिलहन फसलों का राजा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में उत्पादन घटा है। देश हर साल 1.33 लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करता है। शिवराज सिंह ने चेतावनी दी, ‘अगर हमने सोयाबीन उत्पादन नहीं बढ़ाया, तो यह आंकड़ा और बढ़ेगा।’ उन्होंने वादा किया कि सरकार किसानों को बेहतर बीज, सही दाम और बाजार मुहैया कराएगी।
अब किसानों से सीखेंगे वैज्ञानिक
कृषि मंत्री चौहान ने एक बड़ा बदलाव का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अब वैज्ञानिक लैब में नहीं, खेतों में रिसर्च करेंगे। किसानों के अनुभवों से नई टेक्नोलॉजी विकसित की जाएगी। उन्होंने बताया कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत 2170 टीमें गांव-गांव गईं, जहां किसानों ने 300 से ज्यादा इनोवेशन बताए। इनमें शामिल थे-
- लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए ग्लूकोज का घोल छिड़कना।
- सोयाबीन की नई किस्में जो सूखा और बाढ़ दोनों झेल सकें।
नहीं चलेगी नकली पेस्टिसाइड-बीज की मनमानी
किसानों की सबसे बड़ी शिकायत नकली बीज और कीटनाशकों को लेकर है। इस पर शिवराज सिंह ने सख्त संदेश दिया कि नकली सामग्री बेचने वालों को सरकार नहीं बख्शेगी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही बीज की गुणवत्ता पहचानने के लिए नई नई तकनीक और विशेष उपकरण (Special Equipment) लॉन्च करेगी।
ये हैं सरकार की बड़ी योजनाएं
‘लैब से लैंड तक’ कनेक्शन: वैज्ञानिक हफ्ते में 3 दिन खेतों में बिताएंगे।
जीनोम एडिटिंग तकनीक: यलो मोजैक जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए अत्याधुनिक विधि का इस्तेमाल।
सोयाबीन प्रोसेसिंग: तेल (18 फीसदी) के अलावा अन्य उत्पाद बनाकर किसानों की आय बढ़ाना।
‘मैं भी खेत में, आप भी खेत में’
शिवराज सिंह ने ऐतिहासिक घोषणा की है। उन्होंने कहा कि मैं हफ्ते में 2 दिन किसानों के बीच रहूंगा। अब सिर्फ दिल्ली में बैठकें नहीं, असली समाधान खेतों में निकलेगा। उन्होंने उद्योग जगत (Industry World) से भी किसानों के साथ जुड़ने की अपील की।
क्या होगा फायदा?
- सोयाबीन उत्पादन बढ़ेगा, आयात घटेगा।
- किसानों को मिलेगा बेहतर दाम और बीमारी प्रतिरोधी बीज।
- नकली उत्पादों पर रोक से होगी असली खेती।
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